इतना ही लें थाली में, व्यर्थ ना जाये नाली में: कामता

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(शुभम तिवारी+91 78793 08359)
शहडोल। खाद्य दिवस पर विचार व्यक्त करते हुए कामता पाण्डेय ने कहा कि वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू किए गए खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना की तिथि के सम्मान में यह वार्षिक उत्सव मनाया जाता है। विश्व खाद्य दिवस का वार्षिक उत्सव खाद्य और कृषि संगठन के महत्व को दर्शाता है। यह दुनिया भर में सरकारों द्वारा लागू प्रभावी कृषि और खाद्य नीतियों की महत्वपूर्ण आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी मदद करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दुनिया भर में हर किसी के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो।
भारत विविध संस्कृति और परंपरा का एक विशाल देश है। यह परंपरा अलग-अलग राज्य के हिसाब से अलग-अलग होती है और विभिन्न त्यौहारों में भोजन आम तत्व होता है। खाद्य पदार्थों की किस्मों को परिवारों और दोस्तों के बीच अनुष्ठानों के रूप में तैयार, खाया और वितरित किया जाता है। विवाह, जन्मोत्सव, जैसे अन्य त्योहार हम सबके लिए सबसे महत्वपूर्ण अवसरों में से एक है जहाँ विभिन्न खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं और बचा हुआ खाना व्यर्थ हो जाता है और उसे फेंक दिया जाता है। जबकि हमें अतिरिक्त भोजन सुरक्षित रखना चाहिए और गरीबों और जरूरतमंद लोगों में इसे वितरित करना चाहिए। जिससे कोई भूखा नहीं सोएगा और भोजन भी व्यर्थ नहीं रहेगा। स्वयंसेवी संगठन और सरकारी संगठन एक ऐसी योजना चला सकते हैं।
हमारे भारत जैसे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में कृषि प्रमुख आधार है परन्तु इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को अक्सर निवेश से वंचित रखा जाता है। विशेष रूप से कृषि के लिए विदेशी सहायता में पिछले 20 वर्षों में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। खाद्य और इसकी सुरक्षा दुनिया भर में हर देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। सरकारी संगठनों और स्वयंसेवी संस्थानों को विश्व खाद्य दिवस पर कार्यक्रमों, गोष्ठियों चर्चाओं आदि के आयोजन के लिए साथ आना चाहिए ताकि आम लोगों को भोजन की सुरक्षा एवम उपयोगिता के बारे में, जागरूक करने और पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए जागरूक किया जा सके, जिससे हर किसी को भोजन भी उपलब्ध हो और कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोये।

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