कोयले की खदानों  का निजीकरण मजदूरों के हित में नहीं    – नौशेरमा खान

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शिरीष नंदन श्रीवास्तव 9407070665

शहडोल । कोयला क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी कोल इण्डिया लिमिटेड के बारे में कभी कहा गया था कि   इस  कंपनी में दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी बनने की क्षमता  है ।  अब केन्द्र सरकार अपनी पुरानी और गुप्त मंशा के तहत कोयला खदानों को निजी क्षेत्रों के कारोबारियों के इस्तेमाल के लिए देने की पूरी तैयारी कर चुकी  है ।  इतना ही नहीं  नहीं   अनंत संभावनाओं से भरपूर बेहतरीन  कोल ब्लॉक्स की सूची भी तैयार कर ली गई ह।  जिस तेजी   और गुपचुप तरीके से महीनों से तैयारी चल रही है उसको उस समय  जब समूची दुनिया और खुद भारत बुरी तरह से कोरोना के संक्रमण काल से गुजर रहा है उसकी भी परवाह न करते हुए निजी हाथों को सौंपने की तैयारी कर चुकी  है।  इस हरकत से  सरकार की नीयत से साफ हो  चुकी है कि बहुत ही जल्द मप्र, छत्तीसगढ़, ओडीशा और झारखण्ड में कई बड़े और मेगा प्रोजेक्ट अब देश के बहुचर्चित और मौजूदा सरकार की शह पर कोयला क्षेत्र में एकाधिकार जमा चुके पूंजीपतियों की झोली में दे दिए जाएंग।  उक्त सभी  आरोप  धनपुरी काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं कोल सेक्टर के जाने-माने श्रम संगठन आरसीएमएस (इण्टक) के सोहागपुर एरिया के अध्यक्ष, कॉलरी कर्मचारी क्रेडिट क्वापरेटिव्ह के वरिष्ठ उपाध्यक्ष  नौशेरमा खान ने लगाते हुए  इस कृत्य को कोयला उद्योग के लिए काला अध्याय बताया है।

  मजदूरों के हित संकट में
श्री खान ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सबको पता है कि पहले से ही कोयला उद्योग अघोषित रूप से निजीकरण की साजिश का शिकार हो रहा है  यही स्थिति 1973 से पहले  थी   लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री   इन्दिरा गाँधी ने मजदूरों के इस  कष्ट और जरुरटी को समझा था और निजी  कर दी गई  कोयला खदानों का राष्ट्रीय करण कर कोयला मजदूरों को एक बहुत ही सम्मानजनक स्थिति में पहुँचाया जिससे न केवल शोषण रुका बल्कि आर्थिक रूप से वो मजबूत हुए. लेकिन अब ऐसा लगता है कि गरीबों की बैसाखी से सत्ता तक पहुँची भारतीय जनता पार्टी और उसके स्वनामधन्य जुमलेबाज प्रधानमंत्री से कोयला मजदूरों की खुशहाली देखी नहीं जा रही है इसलिए अपने तथाकथित मित्रों की झोली भरने के लिए कोयला खदानों को वापस निजी हाथों में सौंपने की पूरी तैयारी कर ली है. ऐसे में इस कोशिश का जबरदस्त विरोध होना चाहिये।श्रमिक विरोधी कृत्य
नौशेरमा खान ने   कहा  कि एक ओर जब देश वैश्विक महामारी जैसी विपदा के बीच बहुत बड़े संकट के दौर से गुजर रहा था तभी केन्द्र सरकार के 20 लाख करोड़ के आत्म निर्भर पैकेज की हवा हवाई योजनाओं की झूठी दिलासा और सांत्वना के साथ कोल सेक्टर के लिए तुगलकी फरमान जारी कर एक नया श्रमिक विरोधी तानाशाही पूर्ण आदेश जारी कर भाजपा ने नया दमनकारी आदेश जारी कर पूरे देश के श्रमिकों का सुख, चैन छीनने की शुरुआत शुरू कर दी है. श्री खान ने आरोप लगाया है कि केवल कोल ब्लॉक निजी हाथों में सौंपा जा रहा है ऐसा भर नहीं है बल्कि उससे दो कदम आगे अपने चहेतों को भरपूर फायदा उठाने के लिए बड़ी ही चतुराई से कोयला और लौह अयस्क के भण्डार की क्षमता और दूसरी जानकारियों का सर्वेक्षण जो कि बेहद आसान है सहित उत्खनन का काम भी निजी कंपनियों को देने की तैयारी कर ली है जो   कोल सेक्टर के लिए किसी काले कारनामे से कम नहीं है. ऐसा करने से जिन कंपनियों के ऊपर मोदी जी की कृपा दृष्टि बरसेगी वह कोयला भण्डार को लेकर कम आंकलन या भ्रामक आंकलन भी कर सकती हैं. पूरे देश के कोल सेक्टर में इससे चिन्ता की लहर भी फैल गई है और इसका व्यापक विरोध भी शुरू हो गया है।
कोयला श्रमिक का अस्तित्व   संकट में
नौशेरमा खान ने कहा है कि देश के हित और तरक्की के लिए पूर्व प्रधानमंत्री और लौह महिला कहलाने वाली इन्दिरा गाँधी ने जहाँ राजघरानों के प्रीवीपर्स तक बन्द कर दिए वहीं अब मोदी जी अपने चहेते मित्रों को नया राजा बना उनके राजघरानों को देश की ऊर्जा की बागडोर सौंपने की तैयारी कर चुके हैं जो बहुत ही घातक है. श्री खान ने कहा है कि इसको रोकना ही होगा और सबको मिल जुलकर इसके लिए एक रणनीति बनानी होगी।  कोल सेक्टर और माइनिंग सर्वे को निजी हाथों में जाने से रोकने के लिए एक सर्वदलीय सहमति बनानी ही होगी ताकि कोलइण्डिया पर जबरन थोपा जा रहा काला कानून को प्रभावहीन किया जा सके. यदि जल्द ही कोयला उद्योग इसको लेकर नहीं चेता तो वह दिन दूर नहीं जब एक  बार फिर पूरा कोयला उद्योग 1973 के पूर्व वाली स्थिति में चला जाएगा और आबाद कोयला श्रमिक ठेकेदारी प्रथा का शिकार हो पाई-पाई को मोहताज हो जाएगा. श्री खान ने सभी श्रमिक संगठनों को इसके लिए एक मंच पर जुटने के प्रयासों की तारीफ करते हुए कहा है कि जल्द ही इस पर फैसला करना होगा वरना कोयला श्रमिकों के अस्तित्व पर ही बड़ा और सूदूर प्रभाव डालने वाला संकट तय है.

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