डेढ़ साल पहले खनिज निरीक्षकों ने सौंपी थी रिपोर्ट, अब निकला जिन्न बाहर
दिलीप सूर्यवंशी व त्यागी के खिलाफ पीसीबी ने दर्ज कराया मामला
शहडोल। शिवराज सरकार के दौरान अचानक सतह पर आई दिलीप बिल्डकॉन नामक कंपनी और उसके मुखिया दिलीप सूर्यवंशी के खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की 1986 की धारा 15 एवं 16 के तहत पर्यावरण प्रभाव अधिसूचना 2006 के तहत उनके कृत्यों को दण्डनीय अपराध की श्रेणी में रखा गया है तथा मुख्य दण्डाधिकारी शहडोल के न्यायालय में वाद पंजीकृत कराया गया है। विभागीय सूत्रों और खनिज विभाग के दस्तावेज बताते हैं कि वर्ष 2015 में एनएच-78 निर्माण के दौरान शहडोल से अनूपपुर जिले के रामनगर तक दिलीप बिल्डकॉन ने सड़क निर्माण का कार्य लिया था, इसके लिए उसने शहडोल के लालपुर, समदा टोला में पत्थरों के उत्खनन के लिए अस्थाई अनुज्ञा ली थी, लेकिन कंपनी के स्थानीय कारिंदे रामावतार त्यागी द्वारा मिली अनुमति से लगभग 3 से 4 गुना अधिक मात्रा में पत्थरों का उत्खनन किया गया, मामले की शिकायत और जांच के बाद उत्खनन पर जुर्माना भी तय हुआ, लेकिन तात्कालीन भाजपा सरकार में दिलीप सूर्यवंशी के प्रभाव व संबंधों के चलते प्रशासनिक कर्मचारियों ने मामले को दबाये रखा था। गौरतलब है कि उक्त मामले को पत्रकार व पर्यावरणविद अफसर खान द्वारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की भोपाल न्यायालय के संज्ञान में लाया गया था, वहीं पूरे मामले की शिकायत केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भी भेजी गई थी, श्री खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश चांद ने माननीय न्यायालय में उक्त मामले की पैरवी की थी। जिसके बाद मामला गरमाया और जांचें शुरू की गई।
यह किया था बिल्डकॉन ने
दिलीप बिल्डकॉन ने 50 हजार घन मीटर पत्थर उत्खनन की अनुमति लेकर 187886 घन मीटर पत्थरों का उत्खनन सिर्फ लालपुर से ही कर डाला, जो निर्धारित अनुमति से 137886 अधिक था, इस मामले में दिलीप बिल्डकॉन द्वारा अवैध रूप से अधिक उत्खनन किये गये 137886 घन मीटर पत्थर की रॉयल्टी 13788600 रूपये जमा करने के आदेश दिये गये, लेकिन 31 अगस्त 2017 को तात्कालीन खनिज निरीक्षक द्वारा कलेक्टर कार्यालय की खनिज शाखा को दिये गये पत्र वहीं रखे रह गये।
30 गुना जुर्माने के प्रावधान
सोहागपुर तहसील के लालपुर की तरह ही बुढ़ार तहसील के समदाटोला में भी दिलीप बिल्डकॉन ने निर्धारित अनुमति से कई गुना अधिक पत्थरों का उत्खनन कर दिया, तात्कालीन खनिज निरीक्षक कमल परस्ते ने 31 अगस्त 2017 को ही यह दोनों रिपोर्ट साथ में कार्यालय में सौंपी थी, जिसमें यह उल्लेख किया गया कि समदाटोला के खसरा क्रमांक 38 रकवा 4.50 हे. में दिलीप बिल्डकॉन द्वारा 166320 घन मीटर पत्थर का उत्खनन करना पाया गया, जबकि सिया के द्वारा प्रतिवर्ष 75000 घन मीटर की पर्यावरण स्वीकृति दी गई थी। निर्धारित अनुमति से 91320 घन मीटर अधिक उत्खनन करने पर दी गई अस्थाई अनुज्ञा निरस्त की जाती है, साथ ही अवैध रूप से उत्खनित पत्थर की रॉयल्टी 9132000 होती है, वहीं दोनों ही मामलों में मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के संशोधित नियम 53 (1) के अनुसार प्रथम बार उल्लंघन करने पर अवैध रूप से उत्खनित किये गये खनिज की रॉयल्टी की न्यूनतम 30 गुना तक दण्ड करने के प्रावधान हैं।
सर्वेयर ने किया था सत्यापन
सड़क निर्माण के लिए दिलीप बिल्डकॉन को बुढ़ार तहसील के समदाटोला में खसरा क्रमांक 38 रकवा 4.50 हे. एवं सोहागपुर तहसील के लालपुर में खसरा क्रमांक 34, रकवा 4.0 एकड़ में अस्थाई पत्थर खनिज अनुज्ञप्ति स्वीकृत की गई थी, लेकिन 11 अगस्त 2017 को खनिज सर्वेयर शहडोल द्वारा मौके पर जाकर जब भौतिक सत्यापन किया गया तो दो गड्ढों में क्रमश: 22880 एवं 165006 घन मीटर उत्खनन करना पाया गया, कुल 187886 घन मीटर उत्खनन कथित कंपनी द्वारा किया गया, जबकि यहां उसे सिया द्वारा 50000 घन मीटर प्रतिवर्ष पत्थर उत्खनन की पर्यावरणीय स्वीकृति दी गई थी। जिसके बाद 16 जनवरी 2017 को अस्थाई अनुज्ञा निरस्त कर दी गई।
यह बताया अधिकारी ने
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव कुमार मेहरा ने बताया कि उक्त मामले को मुख्य दण्डाधिकारी शहडोलके समक्ष न्यायिक वाद पंजीकृत कराया गया है, तथा प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के तहत चल रहे स्टोन क्रेशर एवं खदान के विरूद्ध मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उपरोक्तनुसार बड़ी कार्यवाही की गई, साथ ही यह संदेश भी जारी किया गया है कि जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 तथा वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले उद्योगों विशेषकर स्टोन क्रेशर के विरूद्ध लगातार कड़े कदम उठाये जायेंगे।
अनूपपुर की जांच अभी बाकी
उक्त मामले को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण व केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय तक ले जाने वाले अफसर खान ने बताया कि दिलीप बिल्डकॉन को अनूपपुर जिले के कोतमा तहसील में भी दो खदानों की अस्थाई अनुज्ञा जारी की गई थी, इस संबंध में भी शिकायतें साक्ष्यों सहित भेजी जा चुकी हैं, जिनमें अभी निर्णय आना बाकी है, यही नहीं शहडोल मुख्यालय से अनूपपुर जिले के राजनगर तक निर्माणधीन सड़क की लंबाई व उससे जुड़े कई भ्रष्टाचार अभी भविष्य के गर्त में छुपे हुए हैं।