विकास की नब्ज टटोलने मैदान में उतरी विधायकों की टीम

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अनूपपुर, उमरिया सहित कार्यों का होगा निरीक्षण
कोयले के घोटाले में उलझा विद्युत उपक्रम

(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। शहडोल संभाग के दो जिले उमरिया एवं अनूपपुर में मध्यप्रदेश विधानसभा के ११ विधायकों का दल बांधवगढ़ पहुंच चुका है और ये विधायक विकाशात्मक गतिविधियों के साथ – साथ स्थलों का निरीक्षा भी करेंगें। संजय गांधी ताप विद्युत परियोजना में निरीक्षण करने के बाद वो वन विकास निगम एवं पर्यटन विकास निगम के कार्यों का भी निरीक्षण करेंगें। इस निरीक्षण में कौन-कौन सी गतिविधियां शामिल होंगी, कौन-कौन सी बातें सामने आयेंगी या दफन हो चुके मुद्दों को भी टटोला जायेगा जैसे विभिन्न मुद्दे भी शामिल होंगें। इसपूरी टीम का नेतृत्व लक्ष्मण सिंह कर रहे हैं और वरिष्ठ विधायक होने के नाते उन्हें एक-एक नब्ज की पूरी जानकारी उन्हें है। अब महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इन विधायकों का दल इन उपक्रमों में हुये भ्रष्टाचार को भी टटोलेगा या उन पर यूं हीं पर्दा पड़ा रहेगा यह बात भी महत्वपूर्ण है।
क्या हैं संगतावि के हाल
संजय गांधी ताप विद्युत परियोजना की नींव स्व.इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री ने रखी थी और इस नींव को रखने के बाद यह सोचा गया था कि प्रदेश के साथ-साथ देश में यह उपक्रम विद्युत उत्पादन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। २१० मेगावाट की ४ विद्युत इकाईयों के साथ-साथ ५०० मेगावाट एवं जल विद्युत परियोजना सहित व ६५ मेगावाट विद्युत उत्पादन जल से किया जा सकेगा। इस तरह से कुल १३६५ मेगावाट बिजली का उत्पादन करने वाली यह विद्युत इकाई कहीं कमजोर न पड़ जाये इसके लिये सारे संसाधन भी जुटाये गये थे। लेकिन निर्माण काल से ही यह विद्युत इकाई विवादों के घेरे में रही और शुरूआती दौर से ही यह विद्युत इकाई लंगड़ा घोड़ा साबित हुई। जिस समय विधायकों का दल संजय गांधी ताप विद्युत परियोजना में प्रवेश कर रहा है, गौरतलब है कि कोयले के घोटालों के साथ-साथ महत्वपूर्ण यह भी है कि ५०० मेगावाट विद्युत इकाई का उत्पादन पूरी तरह से ठप्प है। संजय गांधी ताप विद्युत परियोजना में जिस तरह से निर्माण कार्यों एवं खरीदी में घोटाले सामने आये साथ ही कोल ट्रासपोर्टेशन में भी जमकर खेल हुआ, कोयले की जगह पत्थर की सप्लाई की गई, न जाने कितने टन कोयला जलकर खाक हो गया, जैसे महत्वपूर्ण पहलू भी इस संजय गांधी ताप विद्युत परियोजना में दफन हैं।
अमरकंटक ताप विद्युत परियोजना में भी घोटाले
अमरकंटक ताप विद्युत परियोजना की विद्युत उत्पादन क्षमता तो लगभग न के बराबर है, यहां भी यही सारे घोटाले सामने आयेंगें जो चौंकाने वालें होंगें। फ्लाई ऐश का मामला भी कुछ कम नहीं है, किन-किन लोगों से अनुबंध किया गया और उनसे विकास के कौन-कौन से कार्य हुये यह भी महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि संगमा सायडिंग से आने वाला कोयला बड़े पैमाने पर घोटाले का इतिहास रचेगा अगर इस पूरी नब्ज को टटोलने में विधानसभा की इस पूरी कमेटी ने अधिकारियों की दुखती रग पर हाथ रखा तो सारे के सारे मामले सामने आ जाएंगें। अमरकं टक ताप विद्युत गृह का उत्पादन एवं उसके स्टेबलिश मेंट पर किये जाने वाले खर्च को अगर जोड़ा जाये तो यह पूरी की पूरी इकाई केवल और केवल हाथी दांत साबित होगी। यह पूरी की पूरी परियोजना जहां हजार कर्मचारियों को पाल रही है वहीं यह परियोजना शासन का उपक्रम होने के बाद भी केवल दिखावटी घोड़ा साबित हो रही है। इस अमरकंटक ताप विद्युत गृह में आक्सीजन की आवश्यकता तो है ही साथ ही वहां अंदर फैले भ्रष्टाचार को भी विधानसभा की यह कमेटी कैसे खंगाल पायेगी यह भी चौंकाने वाला है।
जंगल में मोर नाजा किसने देखा
वन विकास निगम का अपना इतिहास रहा है और वृक्षों को संरक्षित करने का काम वन विकास निगम का होता है। शहडोल, उमरिया, अनूपपुर तीनों जिलों को मिलाकर वनविकास निगम कार्यालय की स्थापना की गई है। छत्तीसगढ़ की सीमा तक वन विकास निगम का अपना कार्य है। कॉलरी क्षेत्रों में होने वाले कार्यों में तो वन विकास निगम का कोई इतिहास खंगालकर देखे तो करोड़ों रूपये की राशि सिंचाई के नाम पर वनविकास निगम ने डकार लिये हैं। ऐसे-ऐसे व्हाऊचर सामने आयेंगे जो कि हर उस अधिकारी की गिरेबां तक हाथ डालेगा जो इस प्रक्रिया में शामिल हैं। धनपुरी, कोतमा, बुढ़ार क्षेत्र में कितना वृक्षारोपण हुआ, कॉलरी ने कितना फण्ड दिया इसको भी देखने की आवश्यकता है। क्योंकि वनविकास निगम के वनपरिक्षेत्राधिकारियों जिस तरह से व्हाऊचरों में खेल खेला है यहां तक कि टै्रक्टरों एवं मोटर सायकलों में पानी की ढुलाई की है जबकि जिन जगहों पर वृक्षारोपण हुआ है क्या उन वृक्षारोपणों में वन विकास निगम ने कभी सिंचाई की है जैसे महत्वपूर्ण पहलू भी सामने होंगें।
और भी हैं मुद्दे
चूंकि पूरी की पूरी विधानसभा की यह टीम सरकारी दौरे पर है, नि:संदेह उन्होने अपने पूरे कार्यक्रम को संधारित कर रखा है, लेकिन उमरिया और अनूपपुर के बीच में शहडोल भी एक स्थान है जहां विधानसभा की पूर्व में आई कमेटियों ने निरीक्षण कर चौंकाने वाले तथ्य भी सामने लाये थे। यहां तक कि ट्राईवल विभाग में बच्चों की मच्छरदारी और कंबलों का मामला सामने आने पर प्रशासन की क्लास ली थी। वहीं सहायक आयुक्त को कटघरे में भी खड़ा किया था और विधानसभा कमेटी के निर्णय पर सरकार को कार्यवाही भी करनी पड़ी थी। ऐसे ही कई मामले इस शहडोल में है जहां डीएमएफ फण्ड में सर्वशिक्षा अभियान में घोटालों का इतिहास रचा गया है। वर्तमान में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से लचर हो चुकी है। जल निगम द्वारा कराये जा रहे अरबों रूपयों के कार्य में जिस गुणवत्ताविहीन कार्य को अंजाम दिया गया है यह कार्य भी अपने आप में महत्वपूर्ण है। अगर विधानसभा की कमेटी इन मुद्दों पर भी सवाल खड़ा करेगी तो एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आयेंगें।
ये हैं शामिल
विधानसभा की कमेटी में प्रदेश की राजनीति में दम रखने वाले भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज नेता जो विधानसभा में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं वो इस कमेटी में शामिल होकर ११ लोगों की टीम के साथ मैदान में उतरे हैं। ये ११ विधायक विकास की किन-किन गतिविधियों में २०-२० खेलेंगे, कितनी विकासात्मक गतिविधियों पर नजर रखेंगें, कौन कौन सा विकास इस संभाग में कम है यह प्रदेश सरकार तक पहुंचाएगें या कौन कौन सी गतिविधियां अनियमितताओं के दायरे में है यह पहुंचाएगें इस पर भी नजर रखी जायेगी। गौर तलब है कि इस टीम में जहां लक्ष्मण सिंह, अजय विश्रोई, ग्यासीलाल रावत, जालम सिंह पटेल, श्रीमती मीना विक्रम वर्मा, प्रद्युमन सिंह लोधी मुन्ना भैया, बहादुर सिंह चौहान, रवि जौहरी, नाती राजा, विजयपाल सिंह, संजय यादव जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं।

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