शिकायत: हजारों का शुल्क लिया और लगवाते रहे 10 साल से चक्कर
बुढ़ार के अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने की संभागायुक्त से शिकायत
(अमित दुबे-8818814739)
शहडोल। जिला संयुक्त कार्यालय में कलेक्टर कक्ष से महज 100 मीटर दूर पर नकल शाखा का कार्यालय है, यहां जिले भर के आवेदक राजस्व सहित अन्य मामलों की नकल लेने के लिए यहां आते हैं। जिला सरकार द्वारा यहां हमेशा 4 से 5 लोगों की तैनाती करके रखी गई होती है, इन आवेदनों के ऊपर कार्यालय अधीक्षक की निगरानी होती है, वे उन आवेदनों को मार्क करते हैं, उसके बाद जमा किये गये शुल्क व रसीद व रेवेन्यू टिकट की जांच होती है, आवेदन जमा होते ही नकल मिलने की तिथि बताई जाती है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 17 अप्रैल 2009 को कलेक्टर कार्यालय के प्रकरण क्रमांक 10/ए, 74/056 की प्रति मांगने के लिए लगाये गये आवेदन की नकल यहां बैठे अधिकारी और कर्मचारी आज तक नहीं दिला पाये। नकल शाखा से लेकर कलेक्टर और संभागीय कार्यालय में जिले व संभाग की प्रशासनिक व्यवस्था देखने के लिए सैकड़ों कर्मचारी, अधिकारी जनता द्वारा चुकाये गये कर से मोटा वेतन पा रहे हैं और इन्हें यहां नियुक्त करने वाली सुशासन वाली सरकार जनता की सेवा का ढोल पीटती रही, लेकिन हालात क्या हैं यह किसी से छुपे नहीं, बहरहाल मंगलवार को यह मामला संभागायुक्त जे.के. जैन के आने के पास इसमें नकल मिलने से लेकर लापरवाहों के खिलाफ कार्यवाही की भी बातें सामने आ रही हैं, लेकिन यह सिर्फ अभी बातें ही हैं।
10 साल में लगाये 116 आवेदन
बुढ़ार अभिभाषक संघ के अध्यक्ष विश्वेश पटेल द्वारा नकल शाखा व रिकार्ड रूम के संबंध में मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान संभागायुक्त को जो शिकायत सौंपी गई, उसमें उन्होंने यह उल्लेख किया कि उनके व उनके सहायक अधिवक्ताओं द्वारा कलेक्ट्रेट के नकल शाखा में बीते 10 सालों के दौरान 116 नकल की अर्जियां लगाई, दर्जनों बार कर्मचारियों द्वारा पुरानी रसीदें मंगाई गई, हर बार पूरे आवेदनों की प्रति रसीदों के बंडल सहित मेरे द्वारा दिखाई गई, लेकिन हर बार रिकार्ड नहीं आया कहकर मामले को टाल दिया जाता था।
लिया था शुल्क, नहीं मिली नकल
आवेदक द्वारा 17 अप्रैल 2009 को कलेक्टर कार्यालय के प्रकरण की नकल का आवेदन लगाया गया था, इसके बाद वर्ष 2010 में 4 आवेदन, वर्ष 2011 में 15 आवेदन, वर्ष 2012 में 18 आवेदन, वर्ष 2013 में 4 आवेदन, वर्ष 2014 में 16 आवेदन, वर्ष 2015 में 12, वर्ष 2016 में 21, वर्ष 2017 में 14 और शेष 11 आवेदन वर्ष 2018 के विभिन्न माहों में लगाये गये, इन सभी आवेदनों का शुल्क उनके द्वारा जमा किया गया और निर्धारित प्रारूप में रेवेन्यू टिकट भी लगाये गये, लेकिन नकल नहीं मिली।
नकल शाखा में ”जीरो टॉलरेंसÓÓ बड़ी चुनौती
प्रदेश के सूबे के नये मुखिया के ”जीरो टॉलरेंसÓÓ की घोषणा के बाद भी जिले में उस पर अमल होता नहीं दिख रहा है, कलेक्टर कार्यालय के महज 100 मीटर के अंदर ही संचालित नकल शाखा अर्से से ”टोटल टॉलरेंसÓÓ पर काम कर रही है, मीडिया में भी कई बार यहां पर चल रहे रिश्वत का खुलासा किया गया है, अधिकारियों ने कार्यवाही तो की, लेकिन लगाम नहीं कसी, नई सरकार और उसकी ”जीरो टॉलरेंसÓÓ की मंशा के बाद नकल शाखा और रिकार्ड रूम में सरकार की मंशा पूरी तरह लागू करना फिलहाल कलेक्टर और कमिश्नर के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, वहीं विश्वेश पटेल के मामले में बीते 10 सालों के दौरान किन कर्मचारियों पर यहां की जिम्मेदारी थी और लापरवाही सामने आने पर प्रशासन क्या करता है, यह भी बड़ा सवाल है।