कटनी से पंकज हर दिन भेज रहा संभाग में राजश्री का जखीरा
संभाग के तीनों जिलो सहित जबलपुर व रीवा संभाग में भी दखल
प्रतिबंध के बावजूद लॉकडाउन के हर दिन बिका लाखों का गुटखा
कर चोरी के साथ ही तीन गुने दाम पर बिक रहा नशा
चंदिया से जयङ्क्षसहनगर और शहडोल से कोतमा तक है जुडे है तार
वाणिज्य कर विभाग सहित खाद्य व औषधि विभाग की बरस रही कृपा
लॉकडाउन से पहले के माहों में राजश्री के कारोबार करने वाले कारोबारी जहां वस्तु सेवा कर के करोडो के चोरी के आरोप से घिरे थे, वहीं कोविड-19 अब ऐसे कारोबारियों के लिए समस्या नही बल्कि अवसर बनकर आया है। शासन ने भले ही गुटखे व पान मसाले पर पहले ही दिन से प्रतिबंध लगाया था, लेकिन कटनी में बैठे पंकज के रसूख से बनी चैन शहडोल संभाग के तीनों जिलो में इस गुटखे की आपूर्ति करती रही। खुलेआम प्रतिबंधित गुटखा तीन गुना दामों पर बिकता रहा, लेकिन दोनो विभाग आंखे मूंद कर अपना हिसाब करते रहे।
शहडोल। 24 मार्च से लगे लॉकडाउन से पहले के माहों में वस्तु एवं सेवा कर विभाग सहित खाद्य एवं औषधि विभाग के निशाने पर रहा, राजश्री गुटखा और उसके कारोबारियों ने इन दोनो विभागों के आशीर्वाद लेकर वस्तु एवं सेवा कर की चोरी के मामलें को तो दबा ही दिया, वही इन कारोबारियों के लिए कोरोना संक्रमण का काल जो समूचे देश और विश्व के लिए श्राप बनकर आया है, यह संक्रमण इन कारोबारियों के लिए अवसर बनकर आया है। शर्म की बात तो यह है कि इस कारोबार में जिन लोगों के नाम कटनी से लेकर शहडोल और कोतमा तक जुडे है, वे धर्म के ठेकेदार बने हुए है। एक अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन से पहले जीएसटी चुकाने के बाद ये व्यापारी राजश्री का एक झाल लगभग 18700 रूपए में फुटकर व्यापारियों को बेचते थे, जिसमें बिना वस्तु एवं सेवा कर चुकाये कच्चे पुर्जे पर क्रय विक्रय होने वाले माल में 25-30 प्रतिशत लाभ इन व्यापारियों को मिलता था। कोरोना वायरस इनके लिये इस तरह वरदान बनकर आया कि इनके लाभ का प्रतिशत 300 गुना तक बढ गया। इन सबकी जानकारी दोनो विभागों को है, लेकिन सब मौन है।
इस तरह कर रहे खेल
लॉकडाउन के पहले दिन से ही राजश्री और इस तरह के अन्य पान मसालों पर पूर्णत: प्रतिबंध था, चूंकि ऐसे गुटखो के बाजार में राजश्री ने 80 प्रतिशत बाजार पर अपना कब्जा कर रखा है, इस छोटे से गांव में भी भी 25 प्रतिशत आबादी इस तरह के गुटखे के आदी। शहडोल तथा उमरिया और अनूपपुर जिले में यह कारोबार कटनी से संचालित होता है। कटनी में बैठे पंकज आहूजा नाम के कारोबारी ने उमरिया में रंगलानी, शहडोल में जगवानी और अनूपपुर में राजानी जैसे लोगों को इसकी जिम्मेदारी दी हुई है। यही कारोबारी अपने-अपने जिले में अन्य विक्रेताओं तक माल पहुंचाते है। जिस दिन लॉकडाउन किया गया, इन तीनों कारोबारियों के पास 40 से 50 लाख का माल गोदामों में कैद होने की जानकारी है। पहले दिन से ही प्रतिबंध का हवाला देकर माल न होने की बातें कही गई, जिसके बाद मांग और पूर्ति के सिद्धांतों पर चलते हुए माहिर खिलाडियों ने गुटखे की एक बोरी की कीमत को 18 हजार से इस तरह उछाला की बीतें 50 दिनों में थोक में यह बोरी 40 हजार तक बिकी। ग्राहकों के हाथो में पहुंचते-पहुंचते 20 रूपए के राजश्री का पाउच 50 से 70 रूपए तक बिका जो अभी भी जारी है।
पूरा खेल कच्चे में
लॉकडाउन से पहले भले ही राजश्री के ये कारोबारी अपने यहां खपत होने वाले कुल सामग्री को आधा वस्तु एवं सेवा कर एवं आधा अधिकारियों की सेवा कर विक्रय कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद इन्होने अपने सभी गोदाम बदल दिये, पूर्व के गोदामों को खाली कर दिया गया। सेल फोन पर एडवांश में खुदरा विक्रेताओं से सौदे कर अग्रिम भुगतान के बाद हर तीसरे दिन नये गोदाम से, खाद्य सामग्री की पैकिंग में राजश्री के पाउचों की चैन कटनी से चंदिया, उमरिया, शहडोल, जयसिंहनगर, बुढार, धनपुरी, अमलाई, अनूपपुर, कोतमा, बिजुरी तक फैली रही। पूरा का पूरा खेल कटनी के माधव नगर में बैठकर पंकज जैसे कारोबारी अपने गुर्गो के माध्यम से करते रहे। शहडोल, उमरिया और अनूपपुर के तथाकथित तीन बडे कारोबारियों के माध्यम से मझौले और खुदरा व्यापारियों तक यह पूरा माल हर दिन पहुंचा। राजश्री के प्रेमियों को हर दिन दुगने और तिगुने दामों में राजश्री मिलती रही और मुनाफे की रकम घोषित रूप से बंद किराना और पान दुकानों से बटती हुई कटनी तक पहुंचती रही।
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राजानी का राज बरकरार
अनूपपुर जिले का कोतमा इन दिनों कटनी के बाद दूसरा बडा हब बनकर उतरा है, यहां मुकेश और दीपक राजानी नाम के दो भाई मिलकर इस कारोबार के सूत्रधार बने हुए है। कोतमा से राजश्री गुटखे का कारोबार 24 मार्च से 3 मई तक बंद दरवाजों के भीतर से होता रहा, लेकिन अब यह कारोबार खुले शटर से हो रहा है। बकौल मुकेश राजानी कहते है कि कलेक्टर का आदेश है, हम इसलिए बेच रहे है, हालांकि हर दिन लाखों की राजश्री पूरे अनूपपुर सहित शहडोल जिले तक किस तरह परिवहन पर प्रतिबंध होने के बाद भी पहुंचा रहे है, यह ठीकरा उन्होने ग्राहकों के सर पर फोड दिया। राजानी यह भी नही बता पाये कि 24 मार्च को उनके यहां कितना माल गोदाम में था, जब प्रतिबंध था तो उनके यहां के गोदाम कैसे खाली हो गये और फिर दोबारा उन गोदामों में कैसे राजश्री के बोरे पहुंच गये। बहरहाल वस्तु एवं सेवा कर सहित कोरोना काल के कायदों को चुनौती देते हुए अपनी चतुराई से मुकेश और दीपक जैसे कारोबारियों के लिए यह संक्रमण काल वरदान बनकर आया है।
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चोरी-छुपे हो रहा परिवहन
कारोबार से जुडे सूत्रों की माने तो कटनी में बैठे पंकज आहूजा के रसूख और राजनैतिक सहित प्रशासनिक पकड के कारण ही तीनों जिलों सहित लगभग अन्य 10 जिलों में यह कारोबार लॉकडाउन के दौरान इनके लिए वरदान बनकर साबित हुआ है। ऐसी परिस्थितियों में जहां आमजन अपने घर से निकल कर किराना दुकानों तक नही जा पा रहे है, उनके लिए होम डिलीवरी की व्यवस्था की गई थी, ऐसे काल में राजश्री के हर प्रेमी के जेब में गुटखे का पाउच पहुंचाना अपने आप में अनूठा काम है। मजे की बात तो यह है कि हर थाने के अलावा जिले की सीमाओं पर वाहनों की जांच हो रही है, इसी बीच राजश्री के गोदामों तक माल पहुंच रहा है और वहां से होता हुआ खुदरा व्यापारियों से ग्राहकों को उपलब्ध हो रहा है, यह जांच का विषय है।
बनती हैं दो खाता बही
राजश्री के कारोबार से जुड़े व्यापारी इन दिनों दो-दो खाता बहियों का संचालन कर रहे हैं, ऐसा नहीं है कि इनके द्वारा जीएसटी और आयकर आदि नहीं चुकाये जा रहे हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि जो राजश्री पक्के बिलो में कर चुकाकर आ रही है, उसे आगे भी उसी सिस्टम से बढ़ाया जाता है, जिसके लिए बनाई गई खाता-बही सामने रहती है, दूसरी खाता-बही कच्चे की होती हैं, जिसमें व्यापारियों के नाम भी गोपनीय कोड के नाम से अंकित किये जाते हैं। चूंकि गोदाम में रखा स्टॉक और परिवहन के माध्यम से जा रही हर खेप की जांच नहीं होती, इसका फायदा व्यापारी खुलेआम उठा रहे हैं।