करोड़ों के घोटाले के बाद भी बैंक ने किया निवेश

भोपाल। सहकारिता मंत्री ने बुधवार को सुभाष यादव भवन में भोपाल और नर्मदापुरम संभाग के जिला सहकारी बैंकों की स्थिति को लेकर समीक्षा की। इस दौरान यह सामने आया कि भोपाल सहकारी बैंक ने दस करोड़ रुपए का निवेश यस बैंक में अगस्त 2019 में किया। यह निवेश पांच साल के लिए किया गया, जबकि बैंक का ही 118 करोड़ रुपए का निवेश जोखिम में पडऩे के बाद सहकारिता विभाग ने सभी बैंकों को निवेश को लेकर एहतियात बरतने के निर्देश दिए थे।
अधिकारियों के खिलाफ होगी कार्यवाही
बैंक ने एक बार फिर दस करोड़ रुपए यस बैंक में निवेश कर दिए। यह राशि पांच साल तक बैंक जरूरत पडऩे पर भी नहीं निकाल सकेगा। मामले का खुलासा होने पर सहकारिता मंत्री डॉ.गोविंद सिंह ने बैंक के प्रबंध संचालक आरपी हजारी के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, उन बैंकों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के लिए कहा है कि जिन्होंने बिना आयुक्त सहकारिता की अनुमति के वेतन बढ़ा दिया। इसको लेकर भी सहकारिता मंत्री ने आपत्ति उठाते हुए दोषी सहकारिता विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है।
सख्ती से होगी वसूली
बैठक में डॉ.सिंह ने दो-टूक कहा कि जो भी अधिकारी-कर्मचारी बैंकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उन्हें नौकरी से बाहर करें। अच्छा काम करने वाले को पदोन्न्ति दी जाए। खाली पड़े पदों को आयुक्त से अनुमति लेकर भरा जाए। वित्तीय गड़बड़ी करने वालों से वसूली सख्ती के साथ हो और एफआईआर भी दर्ज कराई जाए। इस दौरान प्रमुख सचिव सहकारिता अजीत केसरी ने बताया कि कर्ज की वसूली समय से करना बेहद जरूरी है। जिलेवार समीक्षा में यह सामने आया है कि सभी बैंकों में कालातीत ऋण राशि काफी है। बैंक स्तर पर वसूली के ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
कालातीत ऋण में बढ़ोत्तरी
सीहोर बैंक का वर्ष 2016-17 में कालातीत ऋण 38 करोड़ से 2018-19 में बढ़कर 280 करोड़ रुपए हो गया। इसके मायने यह हुए कि बैंक ने वसूली के लिए कोई कदम नहीं उठाए। डॉ.सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो बोर्ड भंग करने की कार्रवाई की जाएगी। बैतूल बैंक में कालातीत ऋण 143 करोड़ रुपए, रायसेन में 148 करोड़ रुपए, राजगढ़ में 183 करोड़ रुपए और विदिशा बैंक में 45 करोड़ रुपए के कालातीत ऋण की वसूली होनी है।