किसके आदेश से ट्रैफिक थाने के सामने खड़े हुए दर्जनों राखड़ से लदे कैप्सूल

लाक-डाउन से बेफिक्र यातायात पुलिस पर इंट्री वसूली के आरोप
(हलचल टीम शहडोल)
शहडोल। सोमवार की दरमियानी रात अनूपपुर जिले के जैतहरी स्थित मोजर बेयर के अलावा चचाई स्थित अमरकंटक थर्मल पावर केंद्र से राखड़ लोड करके कटनी, सतना, रीवा स्थित सीमेंट प्लांट पर जाने वाले दर्जनों कैप्सूलों को यातायात पुलिस शहडोल ने खड़ा करवाया हुआ है।
सड़क पर कई किलोमीटर तक लगी कैप्सूलों की लंबी कतार यातायात पुलिस द्वारा की जा रही जबरिया वसूली और मनमानी की गवाह है।
मुख्यालय में इस तरह की अवैध वसूली वह भी ऐसे समय में जब पूरा देश और प्रदेश कोरोनावायरस जैसे भयंकर महामारी के काल से गुजर रहा है, जांच के नाम पर खड़ी करवाई गई दर्जनों कैप्सूल यातायात पुलिस की देशभक्ति जनसेवा के नारे से विमुख होने की ओर इशारा करती है, पूर्व में भी शहडोल यातायात पुलिस पर इंट्री वसूली किए जाने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन 24 मार्च को लगे लाक डाउन के बाद जब अधिकांश वाहन सड़कों पर चलना बंद हो गए, तो ऐसी स्थिति में अब यातायात पुलिस ने पावर प्लांट से राखड़ लेकर जाने वाले कैप्सूलों को अपना निशाना बनाया है, सवाल यह भी है कि कैप्सूलों के रोके जाने के बाद यातायात पुलिस उन पर क्या कार्यवाही करती है, वाहन चालकों के नंबर, नाम और कुल कितनी राखड़ लोड है उसे यातायात पुलिस वजन भी करवाती है या नही, उसके बाद कार्यवाही करती है या फिर अपना हिसाब किताब जाने के बाद छोड़ देती है।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सड़कों पर दौड़ रहे ओवरलोड कैप्सूल यातायात के नियमों की धज्जियां उड़ाते रहे हैं, लेकिन जब जब इन कैप्सूल के मालिकों ने पुलिस को मासिक इंट्री देने में आनाकानी कि तो पुलिस नियमों का हवाला देकर उन्हें थाने के बाहर खड़ा करवाने के साथ ही कार्यवाही का भय दिखाती है।
आरोप है कि यातायात पुलिस भारी वाहनों का वजन करा कर कार्यवाही के लिए फाइल आगे बढ़ाती है, अन्यथा दो चार वाहनों पर कार्यवाही करने के बाद वाहन मालिकों पर दबाव बनाकर उनसे मासिक नजराना कर लिया जाता है ।
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रविवार और सोमवार की दरमियानी रात शहडोल से गुजर रहे जिन दर्जनों के कैप्सूलों को यातायात थाने से लेकर बुढार मार्ग की ओर सड़क पर खड़ा कराया गया है, नियमतः थाने के रोजनामचा या अन्य दस्तावेज में इन सभी वाहनों की नाम नंबर लिखे जाने चाहिए, साथ ही उस आरक्षक या अधिकारी का नाम भी दर्ज होना चाहिए जिस की तैनाती रात्रि गश्त में और इन वाहनों को खड़ा कर आने के लिए पुलिस अधिकारियों ने लगाई थी, फिलहाल जब इस संदर्भ में हमारी टीम ने मौके पर जाकर पड़ताल की तो कोई भी पुलिसकर्मी नजर नहीं आया, वाहन जरूर यातायात थाने के सामने से लंबी कतार लगाकर खड़े दिखाई दिए।
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यह भी बात सामने आई कि जिस तरीके से वाहनों को खड़ा कराया गया है, हर केप्सूल में दो से तीन लोग जिनमें चालक , परिचालक व अन्य व्यक्ति कैप्सूल में रहते हैं, दर्जनों वाहनों के हिसाब से वाहन खड़ा कराए जाने के बाद इन व्यक्तियों की संख्या आधा सैकड़ा से भी अधिक गिनी जा सकती है, लॉक डाउन के दौरान जब कलेक्टर शहडोल ने 7:00 बजे से लेकर सुबह 7:00 बजे तक कर्फ्यू घोषणा की हुई है, जिले में 144 धारा लगी हुई है, ऐसी परिस्थितियों में खुद यातायात पुलिस कोरोना संक्रमण से दूर सोशल डिस्टेंस को फेल करती नजर आ रही है,आरोप यह भी है कि पाली में रहने वाले जयकिशन नामक व्यक्ति जो बीते कुछ सप्ताहों से यातायात पुलिस के लिए इन कैप्सूल का हिसाब किताब रख रहा है,उसी के इशारे और दी गई सूची के द्वारा दिए गए नंबरों वाले वाहनों को खड़ा कराया जाता है और उन्हें इस बात की हिदायत दी जाती है कि इंट्री अगर समय पर होती रही तो सब कुछ ठीक है,अन्यथा जांच तो होगी ही….. आरोप कितने सही है कितने गलत है यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा लेकिन यह पब्लिक है ना तो ऐसे कोई बोलने से रोक सकता है और नहीं अपनी अभिव्यक्ति करने से………..