कृषि विज्ञान  केंद्र ने जताई फसलों में  टिड्डी दल के प्रकोप की आशंका

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शिरीष नंदन श्रीवास्तव 9407070665
शहडोल।   कृषि विज्ञान  केंद्र  से  प्राप्त  जानकारी के   अनुसार   यह बात प्रकाश में आई है कि  इस मौसम में फसलों में टिड्डी दल का प्रकोप  होने की सम्भावना है।  कृषि विज्ञान  केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रबंधक डॉ मृगेंद्र सिंह ने बताया कि   टिड्डी दल राजस्थान से लगे हुए म0प्र0 के नीमच जिले से होता हुआ उज्जैन जिले से निकलकर देवास जिले के तहसील कन्नौद तक पहुचने की जानकारी प्राप्त हुई है।  जिसके कारण हरदा जिले में भी टिड्डी दल का प्रकोप होने की संभावना है, इसलिए किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि, आप खेतों में सतत् निगरानी रखे एवं टिड्डी दल के आगमन होने पर खेतों में तेज ध्वनि जैसे- थालियां बजाकर, ढोल बजाकर, डीजे बजाकर, खाली टिन के डिब्बे बजाकर, पटाखे फोड़कर  ट्रेक्टर  का सायलंसर निकालकर आवाज करके, टिड्डी दल को आगे की तरफ उड़ाया जा सकता है साथ ही रासायनिक दवाईयों का प्रयोग   ट्रेक्टर  माउनटेड स्पे्रयर पंप में क्लोरोपायारीफाॅस 20 प्रतिषत ई.सी. 1200 एम.एल. या डेल्टामेथ्रिन 2.8 प्रतिषत ई.सी. 625 एम.एल. या डाईफ्लूबेन्जूराॅन  25 प्रतिषत डब्ल्यू. पी. 120 एम.एल. या लेम्डासायलोथ्रिन 5 प्रतिषत ई.सी. 400 एम.एल. कीटनाषक का 500-600 लीटर पानी में घोलकर टिड्डियों के ऊपर छिड़काव कर सकते है, चूंकि टिड्डी दल का आगमन शाम को लगभग 6.00 से 8.00 तक होता है तथा सुबह 07.30 बजे तक दूसरें स्थानों के लिए प्रस्थान करने लगता है। ऐसी स्थिति में टिड्डी दल से फसलों के बचाव के लिए उसी रात में सुबह 03.00 से लेकर 07.30 बजे तक उक्त बताये गये तरीकों का उपयोंग करके टिड्डी दल पर नियंत्रण प्राप्त कर फसलों को बचाया जा सकता है।

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