कोटवारों ने खाद्य मंत्री से लगाई न्याय की गुहार
खाद्य मंत्री को पत्र लिख बताया अपना दर्द
वर्षो से 24 घंटे दे रहे सेवा, लेकिन भविष्य आज भी है अंधकारमय
जिलेभर के कोटवारो ने 1 अगस्त को खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह को जन्म दिवस की बधाई देते हुए, उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है, साथ ही वर्षो से पीडित होने की बातें भी पत्र के माध्यम से व मौखिक रूप से कोटवारो द्वारा रखा गया, जहां मंत्री ने कोटवारो को आश्वासन भी दिया गया कि निश्ििचत ही आपकी समस्याओं को मैं कैबिनेट में रखूंगा और सरकार द्वारा पूरी कोशिश के साथ आपका मदद किया जायेगा, किसी भी के साथ भेद-भाव नही होने दिया जायेगा, कोटवारों ने खाद्य मंत्री से कहा कि जल्द से जल्द इस विषय पर विचार किया जाये, क्योकि वर्षो से सभी को कुछ न कुछ फायदा सरकार के द्वारा मिला है, लेकिन एक कोटवार ही ऐसा पद रहा है, जिसे कभी भी कोई लाभ नही दिया गया है।
अनूपपुर। म.प्र. के कोटवार म.प्र. राज्य के गठन के पूर्व से राजस्व विभाग पर कोटवार पद सृजित है और आज भी विद्वमान है, 1 नवम्बर 1956 को म.प्र. राज्य का गठन हुआ, जिसमे सभी शासकीय विभागो पर पदानुसार अलग-अलग श्रेणी बनाई गई और अलग-अलग वेतन निर्धारित हुआ व सब में संसोधन व परिवर्तन किया गया है। एक कोटवार जो मप्र्र के राजस्व विभाग के अंतिम छोर में कार्यरत व सेवारत है जिसे किसी प्रकार का न संसोधन किया गया न परिवर्तन किया गया, क्या कोटवार पाषाण (पत्थर) का बना हुआ है, जिसे न भूख लगती है न प्यास लगती है न कोई उसका परिवार होता है।
24 घंटे करते है सेवा
कोटवार पटवारी हल्का पर किसी प्रकार का प्राकृतिक आपदा आ जाये जन-धन की हानि हो या राजरव विभाग के अन्तर्गत कोई शासकीय कार्य हो तो वह अपने अधिकारी को तुरन्त जानकारी देता है और यह नही देखता की अभी कितना समय है, 24 घण्टे की सेवा करता है व इस 24 घण्टे सेवारत सेवक की भुखमरी और गरीबी का तोहफा मिलता है, कोटवार को म.प्र. शासन के मुख्यमंत्री द्वारा शासन का ऑख और कान का उदबोधन देकर संबोधन किया गया और 22 जून 2007 को कोटवार पंचायत बुलाकर कोटवारो के गरीबी और भुखमरी के शिकार होकर मृत्यु की गोद मे सो रहे है, क्या कोटवार को महँगाई की मार नही पड़ता है, क्या आने वाले त्यौहार पर अपने परिवार को खुशहाल रखने का अधिकार हक नही बनता है, क्या कोटवार का भविष्य एक जानवर से बदतर होता है, जिसका कोई सुनने व जानने वाला कोई नेता नही है।
सबका भविष्य उज्जवल पर कोटवार का नही
म.प्र. मे शासकीय कर्मचारी है जिसे आज सॉतवा वेतनमान मिल रहा है 31 दिसंम्बर 1983 के पूर्व मानकर शासकीय विभाग में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी जिसे कलेक्टर दर पर वेतनमान मिलता था, उसे भी नियमित कर दिया गया है और जो शेष नियमित होने से बचे है उन्हें भी नियमित कर दिया गया है व कलेक्टर दर पर वेतनमान मिल रहा है, कांग्रेस के शासनकाल पर शिक्षाकर्मी, पंचायतकर्मी, गुरूजी पद बनाया गया और उन्हें 500 रूपए वेतनमान दिया जाता था, पंचायत से भर्ती होती थी, जिन्हे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा महापंचायत बुलाकर भविष्य उज्जवल कर दिया गया।
महज 4 हजार में जीविकोपार्जन
एक कोटकर को आज तक कोटवार को प्रतिमाह 4 हजार रूपए जो 24 घण्टा सेवा का परिणाम है आज मुख्यमंत्री द्वारा समस्त शासकीय कर्मचारियों के मॉगो को तत्परता के साथ विशेष महत्व देते हुये मॉगो को पूरा किया गया है, लेकिन कोटवार कितने बार ज्ञापन के माध्यम से व हड़ताल के द्वारा शासन को अवगत कराया गया, 22 जून 2007 के बाद म.प्र. के मुखिया के द्वारा पूर्णत: कोटवारो के प्रति अपना ऑख और कान बन्द कर लिया है, म.प्र. शासन के धारा 239 1959 के तहत पंचायत के अनुमोदन व तहसील दार के यहाँ से कोटवारो की भर्ती की जाती हैं जो राजस्व विभाग के बनने के साथ आज भी वही नियम है जो किसी प्रकार राज्य शासन की पास संसोधन व परिवर्तन करने का औचित्त नहीं समझा है कि कोटवार भी एक मनुष्य है जो एक शासकीय कर्मचारी व एक नेता की तरह वह भी मनुष्य है, जिसे पूरा हक बनता है, कोटवार म.प्र. राज्य के गठन के पूर्व व राजस्व विभाग के राजस्व संहिता की धारा 230 के तहत आज भी सेवारत व कार्यरत है।
कोटवार को छोड सबकी चिंता
सरकार के पास कोटवार के समास्या को जानने के लिये कोटवार के भविष्य उज्जवल करने के लिये व करीब से झॉकने का फुरसत नही है जो आज भी कोटवार अपने भविष्य को उज्जवल होने का व कम से कम कलेक्टर रेट वेतनमान पाने के लिये टकटकी निगाहो से समय का इन्तजार कर रहा है एक शासकीय कर्मचारी व अधिकारी 60 साल की सेवा सुखमय जिदंगी के साथ करता है और सेवा निवृत्ति के बाद उसे शासकीय फन्ड के माध्यम से सेवा निवृत्त कर्मचारी या अधिकारी को कम से कम 10 से 20 लाख रूपए तक का भविष्य निधि फन्ड दिया जाता है और प्रतिमाह पेशन गिलता है जिसे सेवा निवृत्त कर्मचारी अपने घर परिवार के साथ सुखमय जिदंगी गुजारता है एवं मुख्यमंत्री द्वारा शासकीय कर्मचारी को बिना पदोन्न्त हुये सेवा निवृत्त हो रहे है जिसका शासकीय कर्मचारियो के लिये सरकार अलग से समिति गठित किया है लेकिन एक कोटवार अपने जीवन पर्यान्त राजस्व विभाग के साथ रह कर सेवा करता है और जिस दिन उसका शरीर चलने योग्य नही रह जाता उस दिन अपने सेवा को छोड़कर अपने घर पर बैठ जात है और सेवा छोडऩे के बाद उसे भुखमरी और गरीबी और परिवार के दिनचर्या व धुतकारने का तोहफा मिलता है।
मजदूरो से भी कमा मजदूरी
किसी नेता को यह सुध नही आया कि कोटवार भी एक शासकीय कर्मचारी की तरह नौकरी और सेवा करता है, पुराने जमाने में कोटवार शासन का ऑख कान कहा गया था एक शिक्षित कोटवार पूरे दिन अपने हत्का पटवारी के साथ राजस्व निरीक्षक एवं उच्च अधिकारियों के साथ रह कर व उनके आदेशानुसार पूरे माह कार्य करता है जिसका वेतन सिर्फ 4 हजार रूपए मात्र मिलता है। एक मजदूर की मजदूरी भी 350 रूपए प्रतिदिन दिया जाता है, लेकिन उक कोटवार की मजदूरी 133 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से 4 हजार प्रतिमाह दिया जाता है। क्या इस मजदूरी से कोटवार अपने परिवार का भरण-पोषण व बच्चो की पढाई लिखाई व त्यौहारो पर खुश हाली दे सकता है, यह बहुत ही सोचनीय है राजस्व विभाग के अधिकारी का आदेश हो जाये उतने समय उस स्थान पर पहॅुच जाता है और अधिकारी को धूप, ठण्डी, गर्मी व बरसात के समय अपने अधिकारी के पीछे खडे रह कर अधिकारी को मौसम की मार से बचाते है और स्वंय सब कुछ अपने शर पर मौसम की मार झेलता है क्यो कि कोटवार राजस्व विभाग मंत्री को भी इस बात की जानकारी है इस विकाससील व राज्य में खुशहाल जिदंगी व भविष्य उज्जवल करने की जरूरत होती है विधानसभा लोकसभा एवं पंचायत चुनाव व अन्य किसी प्रकार चुनावो पर विशेष पोलिंग पार्टी के सुरक्षा के लिये तीन दिवस तक ड्यूटी करता है, जिसे किसी प्रकार का कोई भत्ता नही दिया जाता है कोटवार स्वंय के व्यय पर तीन दिवस ड्यूटी के दौरान पोलिंग पार्टी के सुरक्षा के लियें तीन दिवस ड्यूटी के दौरान पोलिंग बूथ पर कार्य करता है लेकिन जीवन पर्यान्त राजस्व विभाग जैसे शासकीय विभाग मे सेवा करने वाला एक सेवक को जिंदगी के अंतिम समय पर भुखमरी और गरीबी का ईनाम दिया जाता है जो सबसे गरीब सबसे पीछे व सबसे नीचे है।