कोरोना संदिग्ध महिला की रिपोर्ट आने से पहले ही जबलपुर में मौत @ इधर जांच कर रहे चिकित्सक ने खुद को किया आइसोलेट

0

शहडोल। जिले के धनपुरी नगरपालिका अंतर्गत वार्ड नंबर 24 में रहने वाली महिला की इलाज के दौरान जबलपुर में मौत हो गई है, पीड़िता को कल ही जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था, जहां प्रथम उपचार के दौरान चिकित्सकों ने कोरोना के लक्षण देखते हुए उसे जबलपुर रेफर कर दिया था, इससे पहले चिकित्सकों ने महिला तथा उसके पति के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे थे, शनिवार की शाम महिला जबलपुर पहुंच गई थी, लेकिन रविवार को जबलपुर से महिला की मौत की खबर आई।
सोशल मीडिया पर महिला की मौत की खबर बड़ी तेजी से फैल रही है, महिला की मौत को लेकर अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि महिला की मौत कोरोना वायरस से हुई है या फिर लंबे समय से चल रही बीमारी के कारण…… यह भी बताया गया है कि महिला बीते 10 वर्षों से लगातार दमा की पेशेंट थी,यही नहीं थायराइड और अन्य बीमारियां भी थी, इलाज के दौरान उसके फेफड़ों में पानी भरने की बात भी सामने आई थी…. शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण महिला का इलाज बीते लंबे समय से चल रहा था, जांच रिपोर्ट सामने नहीं आ जाती, तब तक यह नहीं हो सकता कि महिला की मौत किन कारणों से हुई थी….माना जा रहा है कि बीमारियों से जूझ रहे महिला की मौत हुई है।

इधर शनिवार को जिला चिकित्सालय किया था, जिला चिकित्सालय में पदस्थ वरिष्ठ चिकित्सक डॉ धर्मेंद्र दुवेदी ने खुद को आइसोलेट कर लिया है, साथ ही उन लोगों की भी सूची तैयार की जा रही है, जो महिला के जिला चिकित्सालय पहुंचने के बाद उसके प्राथमिक उपचार में लगे थे, ऐसे सभी स्वास्थ्य कर्मियों को भी आइसोलेट किए जाने की तैयारी की जानकारी मिली है।

आखिर झोलाछाप ने पहुंचाया मौत के दरवाजे तक

शहडोल जिले के धनपुरी नगरपालिका अंतर्गत चीफ हाउस कॉलोनी वार्ड नंबर 24 में रहने वाली जिस महिला की आज सुबह मौत हुई है, उसकी मेडिकल हिस्ट्री देखी जाए तो यह बातें सामने आई है कि,महिला बीते करीब 15 दिनों से खांसी और ऐसे ही बुखार आदि से पीड़ित थी जिसके लिए सुभाष चौक के पास स्थित डॉक्टर गौतम नाम पर अपंजीकृत चिकित्सक द्वारा उसका इलाज किया जा रहा था समय-समय पर यह बातें सामने आती रही है कि, अंचल में झोलाछाप डॉक्टरों की बहुतायत है, उनकी मनमानी के कारण आए दिन लोगों के मौत की खबर भी आती रही है, बावजूद इसके न तो इनका कोई लगाम लगा और नहीं इन की दुकानें बंद हुई, माना जा रहा है कि यदि महिला कथित झोला चिकित्सा झोलाछाप डॉक्टर के फेर में नहीं पड़ती तो वह पहले ही शासकीय अस्पताल पहुंचकर पंजीकृत चिकित्सकों से जांच करवाती, तो शायद आज यह स्थिति नहीं होती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed