माफियाओं से ले रहे चरित्र प्रमाण पत्र
ओहदे का इस्तेमाल कर धमका कर लिखवा रहे खत

उमरिया। विगत जिला प्रशासन के मुखिया स्वरोचिष सोमवंशी और खैरवार गोलीकाण्ड के मुख्य आरोपी व नामी गैंगस्टर पवन पाठक के बीच रिश्तों का खुलासा होने के बाद कलेक्टर बौखला गये, इस खुलासे ने पूरे प्रशासनिक अधिकारियों की बिरादरी पर ही सवाल खड़े कर दिये। फिर क्या था कलेक्टर के हर काले-पीले काम में साथ देने वाले माफिया और कुछ सफेद पोश डैमेज कंट्रोल में जुट गये। जिसके लिए नये-नये तरीकों से अलग-अलग कहानियां रचने का खेल-खेला गया, किसी को गांधी की लालच दी गई, कोई कार्यवाही के भय से, तो किसी को मुआवजे से उपकृत किया गया, ताकि इस पूरे मामले को एक नया रंग देने के बाद उसे समाप्त कर दिया जाये।
होनी चाहिए एसआईटी जांच
जानकारों का मानना है कि कलेक्टर जिले का मुखिया होता है, अगर उसके ऊपर किसी गोलीकाण्ड के आरोपी या गैंगस्टर से संबंध होने के आरोप लगे हों तो, इस मामले में तत्काल एसआईटी का गठन कर जांच करानी चाहिए, नहीं तो कार्यपालिका के ऊपर से आम जनमानस का विश्वास उठ जायेगा, वहीं ऐसे कृत्य करने वाले अधिकारियों के चलते पूरी बिरादरी भी बदनाम हो रही है, क्योंकि कलेक्टर का पद गरीबों, आदिवासियों और हर तबके के लोगों की मदद के लिए होता है, वहीं अवैध कारोबार के खिलाफ कार्यवाहियों के लिए जाना जाता है।
ऐसा रहा कार्यकाल
रेत की खदानों और भण्डारणों के अगर बीते 1 साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा अगर देखा जाये तो, केवल नोटिस जारी करना और जुर्माना प्रस्तावित करके ही भय दिखाकर लोगों से मोटी रकम वसूली गई। वहीं 50-50 का गेम भी जमकर चला। भले ही कार्यकाल में भण्डारण स्वीकृत नहीं किये गये हो, लेकिन आईडी को बंद करना और चालू करने की पूरी महारत हासिल की गई, जिस किसी ने भी साझेदारी करने से इंकार किया तो, उसे नुकसान की भरपाई कारोबार में करनी पड़ी। पंचायत की खदानों को माफियाओं के हवाले भी मुखिया जी के इशारे पर ही किया गया था, आलम यह हुआ कि तात्कालीन खनिज अधिकारी ने अपने आपको यहां से हटना ही मुनासिब समझा।
लाखों में निपटाया, करोड़ों का मुआवजा
खैरवार गोलीकाण्ड के बाद डीएम ने धारा 144 लागू करते हुए रेत के कारोबार पर रोक लगा दी, शायद अगर वह पहले ही ऐसे काम नहीं करते तो, यह हालत न बन पाते, बाहर से आये गैंगस्टरों को पनाह देना, खनिज कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय में सीधे दखल, जबकि नीति के तहत बाहरी लोगों को रेत के कारोबार पर रोक थी, वहीं पुलिस से किसी भी प्रकार का कोई सत्यापन नहीं कराया गया। अमरपुर चौकी अंतर्गत भदार नदी में संयुक्त टीम द्वारा 27 वाहनों पर की गई कार्यवाही शायद ही किसी को भूली होगी, जिसमें शासन को करोड़ों रूपये का राजस्व और वाहन भी राजसात होने थे, मौका पाकर साहब ने करोड़ों के मुआवजे को लाखों में निपटा दिया और वाहन भी छोड़ दिये।
यह लिखा जनसंपर्क ने
गुरूवार को जनसंपर्क कार्यालय द्वारा विज्ञप्ति सभी प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया को जारी की गई, जिसमें उल्लेख किया गया कि जिला प्रशासन द्वारा भू माफियाओं के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के तारतम्य में गत 19 मार्च को भू माफिया शकील खान पिता शौफीर अहमद के विरुद्ध शासकीय भूमि में अतिक्रमण किये जाने एवं निर्माण कार्य के संबंध में सक्षम अनुज्ञा न लिए जाने के संबंध में राजस्व एवं नगरपालिका की संयुक्त टीम द्वारा शकील खान की 3 दुकानों को सील करने की कार्यवाही की गई । उक्त कार्यवाही के सम्बंध में जारी नोटिस का निर्धारित अवधि में जवाब प्रस्तुत न किये जाने अथवा जवाब असंतोषजनक होने की स्थिति में दुकानों को तोडऩे एवं अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जाएगी। उक्त कार्यवाही के दौरान मौके पर तहसीलदार बांधवगढ़ दिलीप सिंह,नजूल तहसीलदार कोमल रैकवार,मुख्य नगरपालिका उमरिया शशि कपूर गढ़पाले, राजस्व निरीक्षक उमरिया, उपयंत्री देवल सिंह सहित अन्य अमला उपस्थित रहा।

माफियाओं से ले रहे सफाई

 

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