ग्राम पंचायत मालाचुआ में धांधली की हदें पार

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जीएसटी भी नहीं रोक सका पंचायतों का फर्जीवाड़ा

(विपीन शिवहरे+91 79871 71060)
उमरिया। प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता परिवर्तन के बाद नये मुखिया ने जीरो टालरेंस की बात कहीं थी, लेकिन जिले में ठीक इसके विपरीत होता नजर आ रहा है, जिले की पाली जनपद के मालाचुआ पंचायत में खुलेआम भ्रष्टाचार जारी है, उसके बाद भी जनपद सहित जिले में बैठे अधिकारी इस ओर से चुप्पी साधे बैठे है। जीएसटी लागू होने से पहले दावे किए जा रहे थे कि पंचायतों के यह फर्जीवाड़े जीएसटी लागू होने के बाद खत्म हो जाएंगे, लेकिन यह सिर्फ भ्रम साबित हुआ। जीएसटी के बाद यह फर्जीवाड़े बंद नहीं हुए बल्कि सुरक्षात्मक ठगी हो गई है। पंचायत के इंजीनियर, सरपंच व रोजगार सहायकों ने खुद या परिजनों के नाम से जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना शुरू कर दिया है, ऐसी फर्जी फर्में जिनका कोई अस्तित्व नहीं वह पंचायत में मनमाने दामों में सप्लाई कर सरकारी को चूना लगा रहे हैं।
फर्जी फर्मों को पहुंचाया लाभ
ग्राम पंचायतो में मनरेगा तथा अन्य योजनाये जो संचालित हों रही थी उनके निर्माण कार्यो के लिये मटेरियल खरीदी की गई, जिसमें फर्जी बैंडरो के नाम लाखों की राशि का भुगतान किया गया अधिकांश बैंडर इस प्रकार बने हुये है जिनके पास मटेरियल के नाम पर कुछ भी नही है, लेकिन उनके नाम से गिट्टी, पत्थर, रेत, मुरम, लोहा सहित सभी आवश्यक वस्तुये खरीदने के फर्जी बिल लगाये गये है सरपंच, सचिव उपयंत्रियों के परिचित रिश्तेदारो कर्मचारियो के नाम से फर्म बनाकर मटेरियल खरीदी की गई है।
बगैर प्रशासकीय स्वीकृति निकाली राशि
जिन खातो में राशि भेज कर भारी बंदरबांट किया गया है, ग्राम पंचायतों में भारी फर्जीवाड़ा किया गया है वर्ष 2018-19 में पंचपरमेश्वर की नियमावली के विपरीत जाकर बगैर प्रशासकीय स्वीकृति के पुलिया निर्माण की राशि निकाली गई, खबर है कि उक्त पुलिया निर्माण के लिए रवीना सिंह नामक फर्म से बिल लिया गया और सामग्री नहीं ली गई, स्थानीय लोगों का कहना है कि उक्त फर्म द्वारा जो सामग्री बिल में दर्शाई गई है, उक्त निर्माण कार्य में इतनी सामग्री का उपयोग ही नहीं होना है।
आनन-फानन में शुरू किया काम
ग्राम पंचायत मालाचुआ में पुलिया निर्माण की राशि में बंदर बांट की खबर जैसे ही बाहर आई तो आनन-फानन में सरपंच, रोजगार सहायक सहित इंजीनियर द्वारा जेसीबी लगाकर गड्ढा खुदवाना शुरू कर दिया गया, स्थानीय जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि उक्त निर्माण कार्य में मजदूरों को रोजगार देना था, लेकिन पहले से लगाये गये बिल एवं निर्माण स्थल पर सामग्री का न होना साथ ही कार्यस्थल पर निर्माण से संबंधित बोर्ड न लगा होना इस ओर इशारा करता है कि रोजगार सहायक सहित इंजीनियर ने शासकीय राशि की होली तो खेली, लेकिन अब मामले को छुपाने के लिए आनन-फानन में मशीनों के माध्यम से कार्य को पूर्ण कराने के चक्कर में है।
इनका कहना है…
हमारे पास जीएसटी है और हमनें पंचायत में सामग्री भी सप्लाई की है।
रवीना सिंह
फर्म संचालक


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