ग्रीन इंडिया मिशन पर जिम्मेदारों ने लगाया ग्रहण

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कागजों में लगा दिये पौधे, योजना में खुलकर हुआ बंदरबांट

(अमित दुबे+8818814739)
उमरिया। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर हर साल हजारों की संख्या में पौधरोपण किया जाता है, लेकिन पौधे रोपने के बाद इनकी देखभाल के लिए किसी को फुर्सत ही नहीं मिलती है। यही कारण है कि पौधे बढऩे से पहले ही दम तोड़ देती है। कुछ इसी तरह के हालात घुनघुटी वनमंडल के द्वारा घुनघुटी, बिजौरी, मिठौरी में लगभग कुछ माह पूर्व तामझाम कर पौधरोपण किया गया, लेकिन विभाग के आलाधिकारियों को पौधों की देखरेख करने की फुर्सत ही नही है। यहां अनदेखी का आलम यह है कि इसमें से कई पौधे तो पनप ही नही सकें। इतना जरूर है पौधरोपण की आड़ में विभागीय अफसर जरूर पनप रहे है। पौधे लगाने के लक्ष्य को तो लगभग अधिकारियों ने हासिल कर लिया, लेकिन इन पौधों की परवरिश पर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजतन लगभग पौधे सूख गए हैं या गायब हो चुके हैं। ट्री गार्ड से घिरे अधिकांश पौधे भी मर गए। अब मौके पर केवल ट्री गार्ड खड़े हैं, लेकिन वह भी खर्च राशि के हिसाब से नजर नहीं आ रहे हैं।
वर्ष 2019 में वन विभाग को ग्रीन इंडिया मिशन योजना अंतर्गत पौध लगाने के लक्ष्य को पूरा करने की होड़ में घुनघुटी के कक्ष क्रमांक 308 में 55200 और कक्ष क्रमांक 294 में 40000 पौधें लगाने का लक्ष्य मिला था, इस बार विभाग के जिम्मेदारों ने पौधों के लिए आई शासकीय राशि की होली खेलने का नया तरीका इजाद कर लिया, सूत्र बताते हैं कि जिम्मेदारों ने पौधों की सुरक्षा तय करने के लिए कोई बांस के बाड़े का प्रबंधन किया, लेकिन परिणाम पहले से ज्यादा खराब सामने आये, लगाये गये बड़े और उनमें अगर पेड़ों की गिनती की जाये तो बाड़े सहित पेड़ दोनों कम ही नजर आयेंगे, मजे की बात तो यह है कि देख-रेख के आभाव में जो पौधे इमानदारी से लगाये गये थे, वह भी चौपट हो गये।
आरोप है कि वन विभाग ग्रीन इंडिया मिशन योजना में जानबूझ कर सिर्फ पौधरोपण के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है। पौधों के नाम पर हजारों रुपए प्रत्येक वर्ष खर्च किए जा रहे हैं। पौधों को लगाने के बाद उन्हें सुरक्षित रखने की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में सिर्फ और सिर्फ पौधरोपण के नाम पर विभाग को चूना लगाने का काम हो रहा है। उच्चाधिकारियों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। बार-बार पौधरोपण के नाम पर धन की बर्बादी करने से बेहतर है कि पहले पौधों की सुरक्षा तय करने का प्रबंध होना चाहिए और आज तक लगाये गये पौधों का हिसाब भी जिम्मेदारों से लेना चाहिए।
पौधरोपण विभागीय अफसरों के लिए कमाई का ऐसा जरिया बन गया है जो हींग लगे ना फिटकरी फिर भी रंग चोखा होय की कहावत को चरितार्थ कर रहा है। जिस प्रकार से घुनघुटी के बीट क्रमांक 308, 294 में पौधों को रोपण करने के बाद जिस हालात में अभी पौधे है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग के अफसरों को केवल पौधरोपण के दौरान पौधों की गिनती करने के बाद उसे भूला दिया जाता है। या यूं कहे कि पौधरोपण के बाद आलाधिकारी केवल कागजी घोड़े दौड़ाते है।

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