जरहा धाम धार्मिक स्थल में हुआ परिवर्तित

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(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। कहा जाता है कि सूर्य एवं चंद्रमा ये दोनों प्रत्यक्ष देवता है, जिनकी हर धर्म के लोग अपने-अपने रीति रिवाज से पूजा करते हैं, हर सभ्यता की शुरूआत प्राचीन काल से ही कुण्ड, तालाब, नदी, समुंदर के पास से ही हुई है। बड़े गर्व की बात है कि मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर जरहा में एक ऐसा स्थान है, जहां पर प्राकृतिक रूप से स्वत: ही भूमि से फव्वारे के रूप में अनवरत जल निकल रहा है, स्थानीय निवासियों द्वारा ज्ञात हुआ कि इस क्षेत्र में सूखा पड़े अथवा पानी की उपलब्धता कम हो जाए फिर भी स्वत: रूप से मेशा जल निकलता रहता है। इसी स्थान पर प्राचीन शिवलिंग भी है, वहां अब प्राकृतिक जल स्त्रोत के पास ही एक भव्य मंदिर के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया है। ताकि स्थानीय निवासी एवं जिले के लोग विधि विधान से पूजा अर्चना कर सकें।
बड़े गर्व की बात पूरे संभाग के लिए है कि इस क्षेत्र का पहला सूर्य मंदिर भी सामूहिक प्रयास से बनाया गया है, इस प्रकार यह क्षेत्र धार्मिक स्थल जरहा धाम में परिवर्तित हो गया। इस क्षेत्र के विकास और मंदिर निर्माण में सामूहिक रूप से सभी का विशेष योगदान रहा है। विदित हो कि यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां पर स्वत: रूप से अनवरत जल का निकलना एवं शिवलिंग का होना अपने आप ही इस क्षेत्र और क्षेत्रवासियों की प्राचीन काल से ही धर्म और आस्था को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि एक ही स्थान पर शिवलिंग एवं प्राकृतिक जल की धारा का अनवरत निकलना विचित्र संयोग है। ऐसा लगता है कि निश्चित रूप से यह स्थान शिव की धर्म स्थली रहा होगा। अब यहां सूर्य मंदिर बन जाने से शिवलिंग जल प्रपात और सूर्य देव का वेदों में वर्णित महिमा सुनिश्चित होती है।
3 अक्टूबर को छठ पर्व के त्यौहार के अवसर पर सूर्य मंदिर की स्थापना का महत्व और बढ़ गया है। यहां सभी स्थानीय लोग भविष्य में सूर्य देव की भी विशेष पूजा कर सकेगें। जिससे इस धार्मिक स्थल की महत्वता और बढ़ेगी। इस स्थान को जरहा धाम का नाम दिया गया है। हम सभी जिले वासियों को भविष्य में भी इस स्थान की पवित्रता, देखभाल एवं नियमित पूजा पाठ में सुविधानुसार सम्मलित होते रहना चाहिए। ताकि इस पवित्र देव कुण्ड की पूजा एवं सूर्य मंदिर जरहा महादेव शिवलिंग की महिमा का आशीर्वाद पूरे जिले एवं आस-पास सभी पर बना रहे। रविवार को छठ के पावन पर्व पर सूर्य मंदिर की स्थापना के अवसर पर भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय सहित समस्त नगरवासी पवित्र स्थल से परिचित हुए, साथ मंदिर की पवित्रता के साक्षी हुए।

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