जरहा धार्मिक स्थल जहाॅ शहडोल संभाग का पहला सूर्य मंदिर

जरहा धार्मिक स्थल जहाॅ शहडोल संभाग का पहला सूर्य मंदिर
कहा जाता है कि सुर्य एवं चन्द्रमा ये दोनो प्रत्यक्ष देवता हैं। जिनकी हर धर्म के लोग अपने -अपने रीति रिवाज से पूजा करते है।हर सभ्यता कि शुरूआत प्राचीन काल से ही कुण्ड ,तालाब,नदी ,समुन्दर के पास हुई हैं।बडे गर्व कि बात है कि शहडोल शहर से लगभग 12 कि0मी0 दूर जरहा के पास एक ऐसा स्थान है,जहा पर प्राकृतिक रूप से स्वतः ही भूमि के फव्वारे के रूप मे जबरन जल निकल रहा। स्थानीय निवासियो द्वारा ज्ञात हुआ कि इस क्षेत्र मे सूखा पडे अथवा पानी की उपलब्धता कम हो जाये फिर भी स्वतः रूप से हमेषा जल निकलता रहता है। इसी स्थान पर प्राचीन षिवलिंग भी हैं वहां अब प्राकृतिक जल के स्त्रोत के पास ही एक भव्य मंदिर के रूप में स्थानांरित कर दिया गया है ,ताकि स्थानीय निवासी एवं शहडोल के लोग विधि विधान से पूजा अर्चना कर सकें ।
बडे गर्व की बात पुरे शहडोल संभाग के लिये है कि इस क्षेत्र का पहला सूर्य मंदिर भी सामूहिक प्रयास से बनाया गया है, इस प्रकार यह क्षेत्र धार्मिक स्थल जरहा धाम मे परिवर्तित हो गया । इस क्षेत्र के विकास और मंदिर निर्माण में सामूहिक रूप से सभी का विषेष योगदान रहा है । विदित हो कि यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहा पर स्वतः रूप से अनवरत जल का निकलना एवं षिवंलिग का होना अपने आप ही इस क्षेत्र और क्षेत्रवासियों की प्रााचीन काल से ही धर्म और अस्था को दर्षाता है।
उल्लेखनीय है कि एक ही स्थान पर षिवलिंग एवं प्राकृतिक जल की धारा का अनवरत निकलना विचित्र संयोग है । ऐसा लगता है कि निष्चित रूप से यह स्थान षिव की धर्म स्थली रहा होगा। अब यहाॅ सूर्य मंदिर बन जाने से षिवलिंग जल प्रपात और सूर्य देव का वेदो मे वर्णित महिमा सुनिष्चित होती है।
तीन अक्तूबर को छठ पर्व के त्योहार के अवसर पर सुर्य मंदिर कि स्थापना का महत्व और बढ गया है । यहा सभी स्थानीय लोग भविष्य में सूर्य देव की भी विषेष पूजा कर सकेगंे । जिससे इस धार्मिक स्थल की महत्वता और बढेगी । इस स्थान को जरहा धाम का नाम दिया गया है। हम सभी शहडोल वासियों को भविष्य में भी इस स्थान की पवित्रता ,देखभाल एवं नियमित पुजा पाठ में सुविधानुसार सम्मनित होते रहना चाहिये ।ताकि इस पवित्र देव कुण्ड की पूजा एवं सूर्य मंदिर जरहा महादेव षिवलिंग की महिमा का आर्षीवाद पूरे शहडोल एवं आस पास ये सभी बना रहें । तीन तारीख को छठ के पावन पर्व पर सूर्य मंदिर की स्थापना के अवसर पर भंडारे का आयोजन किया गया है। ताकि इस क्षेत्र के लोग ,स्थानीय ग्राम वासी जन एवं समस्त नगरवासी इस पवित्र स्थल से परिचित हो सके और इस स्थान की पवित्रता के साथी हों।