जान जोखिम में डाल संचालित है विद्यालय व आईटीआई

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Ajay Namdev-7610528622

हरमिलाप आईटीआई गोफ एरिया में संचालित

अनूपपुर। जमुना कोतमा क्षेत्र व आसपास के क्षेत्र में भूमिगत कोयला खदान संचालित होने तथा भूमि से कोयला निकल जानें के कारण जमीन पूरी तरह से खोखली है। ऐसी स्थिति में यदि यहां पर कोई भवन बनाया जाता है तो कभी भी धराशाही सकता है। कॉलरी प्रबंधन नें एरिया में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा रखी है। खसरा नं. 230, 231 के भाग को कलेक्टर अनूपपुर और मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय जमुना कोतमा क्षेत्र नें गोफ एरिया में आने की पुष्टी पत्र लिख कर की गई थी। बाबजूद इसके हरमिलाप आईटीआई के संचालक द्वारा गोफ एरिया में ही आईटीआई भवन का निर्माण कर सैकडों बच्चों की जान जोखिम में डाल दी है। जब और मन नहीं भरा तो हरमिलाप संचालक द्वारा प्राथमिक स्कूल भी खोलनें की अनुमति व मान्यता भी सांठगांठ से कोतमा जनपद शिक्षा केन्द्र से लेकर एक ही भवन में स्कूल का संचालन कर दिया गया है। प्राथमिक स्कूल गोफ एरिया में बना हुआ है। गोफ एरिया में कभी भी मिट्टी के धंसकने की संभावना बनी रहती है।
संचालित है विद्यालय व आईटीआई
जानकारी अनुसार भूमि खसरा नं. 230, 231 को मुख्य महाप्रबंधक साउथ ईस्र्टन कोल्ड फील्ड लिमिटेड कोतमा एरिया द्वारा डिस्टर्ब एरिया बताया गया था जहां पूर्व से संचालित सरकारी आईटीआई संस्था को वहां से नवीन स्थान पर स्थापित कर दिया गया है। इसी खदान खसरा नंबर पर प्राइवेट आईटीआई भवन बना कर स्कूल और आईटीआई का संचालन कर दिया गया है। यह एरिया हैवी ब्लास्टिंग वर्क ऑफ़ एरिया में आने के कारण यहां हमेशा हादसों की आशंका बनी रहती है। शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था का पुराना भवन या यहां आज भी अनुउपयोग पड़ा है।
बच्चो की जान जोखिम में
हरमिलाप आईटीआई के साथ अन्य शिक्षा व औद्योगिक संस्थानों में अध्ययन कर रहें सैकडों बच्चें व छात्रों का भविष्य संकट में है। मिलीभगत तथा जनकारियां छुपाकर खसरा नं. 230,231 में जिन भवनों का निर्माण करा कर चंद रूपयों के लिये सैकडो बच्चों की जान जोखिम में डाल दी गई है, वह गोफ एरिया में आनें के कारण कभी भी धरासाही हो सकता है। परिजनों की अज्ञानता व संचालकों की जालसाजी से सैकडों नन्हें मुन्हें बच्चों की जान जोखिम में डाल दी गई है। गुणवत्ता युक्त शिक्षा की लालसा में परिजन अपनें बच्चों की सुरक्षित भाविष्य के लिये जिन प्राईवेट संस्थानों में विश्वास कर पठनें के लिये भेजा जाता है। वे संस्थान ही बच्चों के भविष्य को अधर में डाल देते है।
कॉलरी प्रबंधन ने लिखा था पत्र
मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय जमुना एवं कोतमा क्षेत्र के पत्र क्रमांक एईसीएल/ सीजीएम/ जे &के/ ईएस/लैंड/10/498 दिनांक 7 सितंम्बर 2010 के तहत अधीक्षक औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र कोतमा खसरा नंबर 230 एवं 231 में गोफ एरिया की जानकारी देकर उसे डिस्टर्ब एरिया बताया था तथा भविष्य में डिफलेरिंग करने की जानकारी आईटीआई के पत्र 0252 जवाब में लिख दी और रिकॉर्ड के अनुसार पूरे माइन प्लान की जानकारी दी थी।
मान्यता की प्रक्रिया पर उठे सवाल
भालूमाड़ा रोड में एक प्राइवेट संस्थान द्वारा कोतमा पटवारी हल्का क्रमांक 6 के खसरा नंबर 231 में आईटीआई भवन का निर्माण कराया गया। फिर आईटीआई के संचालन के कुछ ही वर्ष बाद उसी भवन में प्राथमिक स्कूल का संचालन कर दिया गया। एक ही भवन में दो संस्था को चलाया जा रहा है। आईटीआई तथा स्कूल के संचालन के सारे मापदण्ड को दरकिनार करते हुये गांधी के सहारे सेटलमेन्ट कर एक ही भवन मे स्कूल तथा विद्यालय को चलाया जा रहा है। बताया जाता है की आईटीआई संचालन के वक्त जिस प्रयोगशाला को दिखा कर औेद्योगिक केन्द की मान्यता ली गई थी। उसी प्रयोग शाला को दो भागों में बांट कर एक भाग में स्कूल तथा दूसरे भाग में आईटीआई के छात्रों के लिये प्रयोगशाला बना दी गई है। जो की आईटीआई के संचालन के नियम के विरूध है।
एसईसीएल ने बताया डिस्टर्ब एरिया
मुख्य महाप्रबंधक साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड कोतमा एरिया डिस्टर्ब बताने तथा भविष्य में धराशाई होने की जानकारी देने पर कार्यालय कलेक्टर अनूपपुर के पत्र क्रमांक 13317/राजस्व/ 2010 दिनांक 7 दिसंबर 2010 को अनुभाग अधिकारी राजस्व कोतमा को पत्र लिखकर संचालक प्रशिक्षण मध्यप्रदेश जबलपुर के पत्र क्रमांक संप्र/ पीपीपी/आईटीआई /कोतमा /10/ 6262 के संदर्भ में लिखकर कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे। इसके बाद अनुभवी अधिकारी स्वराज कोतमा ने अपने पत्र क्रमांक 1 /एसडीओ/ भूमि आवंटन/ 10 दिनांक 3 जनवरी 2011 को तहसीलदार को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा था। साथ ही संचालन प्रशिक्षण मध्यप्रदेश ने भी पत्र क्रमांक संप्र/ पीपीपी/ आईटीआई कोतमा /10 जबलपुर को कलेक्टर अनूपपुर को पत्र लिखकर एसईसीएल द्वारा डिस्टर्ब एरिया बताने व खसरा नंबर 230 ,231 में बने भवन को कभी भी धराशाई होने की जानकारी देने पर नवीन स्थान की मांग की थी।

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