…तो कैब बनने के बाद क्यों ली रेत की मंजूरी

करतूत छुपाने संभाग से लेकर प्रदेश के अधिकारियों को किया गुमराह
(Amit Dubey-8818814739)
उमरिया। कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी का एक और कारनाम सामने आया है, जिसमें उन्होंने अपनी करतूतों को छुपाने के लिए न सिर्फ संभाग के अधिकारियों को गुमराह किया, बल्कि राजधानी में बैठे अधिकारियों की कलम को भी ऐसा फंसा दिया कि अगर कोई उन दस्तावेजों को लेकर कोर्ट चला जाये तो, उनकी भी नौकरी पर बन पड़ेगी। तैनातगी से लेकर अभी तक रेत के कारोबार में साझेदारी और माफियाओं से रिश्ता किसी से छुपा नहीं है, लेकिन अपने हितों के लिए कोरोना संकट के दौरान भी उन्होंने रेत के अवैध कारोबार में ही रूचि दिखाई। अधिकतर समय जब उन्हें चिकित्सालय और लोगों के बीच कोरोना की जंग के दौरान जाना चाहिए था तो, वह नजर नहीं आये।
निर्माण हो चुका पूरा
जनसंपर्क कार्यालय द्वारा 21 अप्रैल को जारी किये गये समाचार में उल्लेख किया गया था कि कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी के विशेष प्रयासों से चंदिया में 10 हजार मैट्रिक टन क्षमता वाले कैब तथा मानपुर जनपद मुख्यालय में 5 हजार मैट्रिक टन क्षमता वाले कैब के निर्माण की स्वीकृति मिली थी। चंदिया में 10 हजार मैट्रिक क्षमता वाले कैब का निर्माण पूर्ण हो चुका है, उपार्जित गेहूं के भण्डारण हेतु मानपुर में कैब का निर्माण किया जा रहा है, जो कि एक-दो दिन में पूरा हो जायेगा। कैब के निर्माण हो जाने से भण्डारण की समस्या का निदान हो सकेगा। जब 21 अप्रैल की स्थिति में चंदिया का कैब का निर्माण पूरा हो चुका था और 2 दिनों बाद मानपुर का कार्य पूर्ण हो चुका होगा, तो फिर भोपाल से रेत के लिए अनुमति की आवश्यकता की अनुमति क्यों पड़ी। वहीं जनसंपर्क अधिकारी गजेन्द्र कुमार द्विवेदी का कहना है कि जो समाचार जारी हुआ था, वह सत्य है, उन्हें कलेक्टर ने ही बताया था कि निर्माण कार्य की स्थिति क्या है।
वाहन की आड़ में खेल
इंदवार पुलिस को सूचना मिली थी कि ग्रामीण जरवाही नदी के बाहरी से आये वाहनों और मशीनों को लेकर विरोध कर रहे हैं और वह तोड़-फोड़ भी कर सकते हैं, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची, लॉक डाउन, धारा 144 का उल्लंघन मिलने पर वाहन चालकों के विरूद्ध धारा 188, 269, 270, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 के तहत मामला दर्ज करते हुए वाहनों को थाना में खड़ा कराया था और सभी लोगों को क्वारंटीन कराने के बाद उनके सैंपल जांच के लिए लैब भेजे गये थे। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद पुलिस ने शनिवार को सभी को नियमानुसार कार्यवाही करते हुए छोड़ दिया और वाहनों को भी छोड़ दिया गया।
फिर शुरू हुआ गुमराह करने का खेल
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका था, राजस्व अमले को भेजकर पंचनामा बनवाया गया कि जिस एजेंसी को काम दिया गया था, पुलिस ने उनके वाहन 23 अप्रैल को पकड़ लिये, जिससे चंदिया व मानपुर में कैब निर्माण के कार्य में देरी हुई और कार्य बंद हो गया, अति महत्वपूर्ण शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न हुई, प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद भी ऐसी कार्यवाही होने से भण्डारण की उचित व्यवस्था न बन पाने से कई टन अनाज के खराब होने एवं किसानों को उनके उपज का उचित लाभ न मिलने की दुहाई दी गई। जबकि चंदिया में चतुर्वेदी के रेत भण्डारण से रेत ली गई, वहीं उक्त दिनांक तक किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नियमानुसार कोई अनुमति जारी नहीं हुई थी।
एक ही दिन में हुआ खेल
शनिवार को एक पत्र अति आवश्यक कार्य बताकर खनिज विभाग के प्रमुख सचिव और संचालक को भेजा गया, जिसमें यह उल्लेख किया गया कि रेत की कोई खदान संचालित नहीं है और कैब का निर्माण किया जाना जरूरी है, जिसमें ईसी और सीटीओ की शर्त को शिथिल करते हुए मंजूरी प्रदान की जाये। प्रदेश के अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया और शनिवार को ही नियमों के तहत अग्रिम रॉयल्टी जमा कराते हुए मंजूरी दे दी, लेकिन जब बेल्दी में संदीप वाजपेयी का रेत भण्डारण शुरू था तो, क्या रेत की आवश्यकता फिर भी निर्माण पूरा हो चुके काम में नहीं ली जा सकती थी। जिसके लिए इतनी मशक्कत आखिर क्यों की गई।
अधिकारियों को भी रखा धोखे में
कैब निर्माण के लिए जिस ग्राम का चयन किया गया है, वह पनपथा वन्यजीव अभ्यारण के दायरे में आता है, चनसुरा के खसरा क्रमांक 61, रकवा 1.300 हैक्टेयर क्षेत्र से 5 हजार घन मीटर रेत निकालने की अनुमति संचालक ने जारी की है, वह भी प्रमुख सचिव के आदेश से, लेकिन न तो बांधवगढ़ के अधिकारियों से इस बारे में अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया और अगर लिया भी गया है तो, वह गलत है, क्योंकि केन्द्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार दो किलोमीटर की परिधि में किसी भी प्रकार की कोई खनन गतिविधि संचालित नहीं हो सकती। कुल मिलाकर अगर इस मामले में किसी ने कोर्ट की ओर रूख कर लिया तो, लेने के देने यहां से लेकर राजधानी तक पड़ जायेंगे।
इनका कहना है…
चन्सुरा ग्राम कोर क्षेत्र में आता है और अधिसूचित ग्रामों की सूची के दायरे में भी है, यहां पर किसी भी प्रकार की गतिविधियों पर रोक है, इस पर कल प्रदेश कार्यालय को अवगत कराया जायेगा।
अनिल शुक्ला
प्रभारी उपसंचालक, बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व