…तो क्या फर्जी मार्कशीट वाले कर्मचारियों के ठेकेदार है आनंद
फर्जी मार्कशीट में फंसे जब्बार ने मैनेजमेंट पर लगाये आरोप
कार्यवाही का भय दिखाकर कर्मचारियों से वसूली कर रहा गिरोह
सबएरिया मैनेजर से लेकर एरिया से जुड़े मुख्यालय के तार
(शंभू यादव+9826550631)
शहडोल। करीब एक दशक पहले कोल इंडिया में कार्यरत कर्मचारियों के द्वारा अपनी पदस्थापना के दौरान और उसके बाद समय-समय पर पदोन्नति के दौरान जो अंकसूचियां और प्रमाण पत्र संलग्न किये गये थे, उनकी जांच शुरू हुई, दर्जनों नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में ऐसे कर्मचारी और अधिकारी सामने आये, जिन्होंने बड़ी संख्या में 10 वीं, 12 वीं के अंकसूचियों के साथ ही विभिन्न ट्रेड से जुड़े ट्रेनिंग, डिप्लोमा, डिग्री के प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पाई थी, यही नहीं समय-समय पर पदोन्नति के लिए भी ऐसे फर्जी प्रमाण पत्रों का सहारा लिया गया, सैकड़ों कर्मचारी तो सिर्फ इस मामले में रडार में आ गये, जिन्होंने भाई-भतीजे, मित्र परिचित के नाम पर उसकी अंकसूची का उपयोग कर उसकी नौकरी पाई। यही नहीं ज्यादा वर्षाे तक नौकरी पाने की चाह में कई ने प्रमाण पत्रों में अंकित जन्म तिथि ही बदल दी थी, इन शिकायतों व जांचों के बाद सिर्फ सोहागपुर एरिया में ही दर्जनों कर्मचारी बाहर हो गये, विजय गौतम जैसे कर्मचारियों ने अधिकारियों की सेवा कर समय से पहले ही सेवानिवृत्ति ले ली, लेकिन जब मामला पुलिस तक पहुंचा तो इनके खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज हुए।
वसूली में लगा सिंडीकेट
बीते 3 से 4 वर्षाे के दौरान अब ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों पर विभाग की ओर से कोई कार्यवाही नहीं हो रही, बल्कि खबर यह है कि कार्यवाही का भय दिखाकर उपक्षेत्र से लेकर एरिया होते हुए बिलासपुर मुख्यालय तक ऐसे मामलों के मैनेजमेंट के लिए एक सिंडीकेट काम कर रहा है। जिसकी रडार में दर्जनों कर्मचारी आज भी फंसे हुए है, इनसे खुलासे के दौरान मोटी रकम और उसके बाद हर माह वेतन का एक हिस्सा तय कर लिया गया है, यह फिक्ंिसग होने के बाद उसकी फाईल दबा दी जाती है और जब तक कोई बड़ा दबाव नहीं आता सब सामान्य रहता है।
नहीं मिली जब्बार की डिग्री
सोहागपुर एरिया अंतर्गत नवगवां माईंस में इलेक्ट्रिकल सुपरवाईजर के पद पर कार्यरत अब्दुल जब्बार टोकन नंबर 103 भी प्रबंधन द्वारा कराई गई जांच के घेरे में आया, इस संदर्भ में एरिया में बैठे अधिकारियों पर यकीन करें तो करीब 2 माह पहले अब्दुल जब्बार के द्वारा इलेक्ट्रिक से संबंधित प्रमाण पत्र की जांच कराई गई और जब्बार के द्वारा जमा किये गये प्रमाण पत्र के सीरियल नंबर पर जो जानकारी जांच में आई, उसमें किसी मिश्रा नामक व्यक्ति का नाम अंकित था, जिससे प्रमाण पत्र के फर्जी होने की पुष्टि हुई।
निलंबन-बहाल के बीच बना जुगाड़
अब्दुल जब्बार के संदर्भ में यह भी जानकारी है कि करीब 2 माह पहले जब प्रमाण पत्र के फर्जी होने की जानकारी की पुष्टि हुई तो उसे निलंबित कर दिया गया था, करीब एक माह तक अब्दुल जब्बार निलंबित थे और इधर-उधर जुगाड़ बनाते रहे, इसमें उन्हें सफलता भी मिल गई, करीब माह भर पहले अब्दुल जब्बार पुन: कार्य पर लौट आये और इस बार उन्हें अरझुला स्थिति सबस्टेशन पर इलेक्ट्रिशियन की जिम्मेदारी दी गई, आरोप है कि इस पूरे मामले में सबरिया कुमार आनंद ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई और यूनियन के नेता के साथ एरिया और बिलासपुर तक जुगाड़ का सेतू बनाकर अब्दुल को इस बवंडर से बाहर निकाला गया।
आनंद के जुगाड़ के बाद आनंद ही आनंद
सोहागपुर एरिया से जुड़े सूत्रों की माने तो उपक्षेत्रीय प्रबंधक कुमार आनंद ने इस मामले सहित ऐसे ही अन्य कई मामलों का ठेका लिया हुआ है, जिनके द्वारा कथित नटवरलालों और एरिया सहित बिलासपुर मुख्यालय के बीच सेतू का काम किया जाता है। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि सोहागपुर सहित एसईसीएल के अन्य एरिया मुख्यालयों में इस तरह के मामलों में एक सिंडीकेट काम कर रहा है, जो पहले ऐसे कर्मचारियों की जानकारी जुटाता है, फिर साक्ष्य इक_े होते हैं, नियमत: ऐसे मामले पुलिस को सौंपे जाने चाहिए या फिर पूर्व की तरह बर्खास्तगी के साथ पीएफ और ग्रेज्युटी जैसे फंडो पर नकेल कसनी चाहिए, लेकिन यहां तो जुगाड़ के बाद सब आनंद ही आनंद है।
इनका कहना है…
आरोप गलत हैं, मैनेजमेंट के द्वारा की गई कार्यवाही के बाद मैनें सूचना के अधिकार से जानकारी लेकर प्रबंधन को दिये हैं, मैं खुद अपने ऊपर हुई कार्यवाही को लेकर मैनेजमेंट के खिलाफ मानहानि का दावा किया हुआ हँू।
अब्दुल जब्बार
इलेक्ट्रिशियन, नवगांव
सोहागपुर एरिया