तो क्या 5 माह भी नहीं चलेगी मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार @ 15 अगस्त को कमलनाथ करेंगे ध्वजारोह !!
भोपाल। 15 महीनों तक मध्यप्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी की विदाई हो गई, शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। हालांकि कमलनाथ ने इस्तीफा सौंपने से पहले सीएम हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान अपने उद्बोधन में इस बात के संकेत दे दिए थे…… कि ……आज है तो कल और फिर परसों भी आएगा ……मुख्यमंत्री ने इसके बाद राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया , दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई, पूरे प्रदेश में मिठाइयां और पटाखे फूटने लगे, संभवत 2 से 4 दिनों के अंदर भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की सत्ता में काबिल हो जाएगी ….इधर शुक्रवार की देर रात प्रदेश कांग्रेस के ट्विटर से एक संदेश दिया गया है, यह संदेश न तो किसी को टैग या गया है, सिर्फ चंद शब्दों में लिखे संदेश में यह बताने की कोशिश की गई है कि कांग्रेस शांत नहीं बैठेगी, ट्विटर में लिखी गई पहली पंक्ति
इस संदेश में…जैसी भाषा का उपयोग किया गया है, इससे इस बात के स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि भले ही कमलनाथ ने शुक्रवार को अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप कर बीते 17 दिनों से चल रही उहा-पोह की स्थिति को विराम दे दिया और मुख्यमंत्री सहित सत्ता की दौड़ से खुद को किनारे कर लिया हो ……लेकिन 11 बार सांसद रह चुके तथा 40 सालों से राजनीति के शीर्ष पदों तक रहे कमलनाथ फिलहाल शांत नहीं बैठेंगे या फिर यह समझा जाए कि कमलनाथ की यह तूफान से पहले की शांति है ।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कमलनाथ प्रदेश ही नहीं देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में शामिल हैं , जिन्होंने 4 दशक से अधिक की राजनीति के दौरान अपनी छवि को साफ सुथरा बनाए रखा, कमलनाथ ने शुक्रवार को फ्लोर टेस्ट से पहले राज्यपाल को दिए गए कई पत्रों में से एक पत्र में यह भी उल्लेख किया था कि, वह 40 साल से राजनीति में है, इन 40 सालों की राजनीति में कभी भी उनके ऊपर मर्यादा से हटकर कार्य करने की आरोप नहीं लगे , अपने संदेश में भी कमलनाथ ने कहा कि वह शांति – शुचिता और विकास की राजनीति के पक्षधर हैं, इसके लिए जब फ्लोर टेस्ट से पहले ही जब साफ हो गया कि बेंगलुरु में बैठे विधायक अब कांग्रेस के खेमे में नहीं आ सकते तो उन्होंने चुपचाप फ्लोर टेस्ट कराने की जगह अपना इस्तीफा सौंप दिया।