देश के लिए 2020 बेहद अहम ,कोरोना संकट से सभी देश विश्व के हतप्रद

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शिरीष नंदन श्रीवास्तव 9407070665

शहडोल।२०२० शुरुआत से आपदाओं का वर्ष कहा जा रहा था. तमाम खगोलशाशत्रियों और जानकारों ने काफी समय पहले ही इसकी तस्दीक कर दी थी के यह वर्ष सम्पूर्ण मानव जाती के लिए चुनौतियों से परिपूर्ण रहने वाला है। उक्त उदगार प्रकट करते हुए समाज सेवी रवि मिश्रा ने कहा कि भारत में कोरोना का पहला मामला ३० जनवरी को सामने आया लेकिन जब इटली और अमेरिका जैसे विकसित देशों में कोरोना ने अपना दायरा बढ़ाया तब भारत की सरकार ने खतरे की गंभीरता को भांपते हुए सक्रियता दिखाई और विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों का पालन करते हुए एहतियातन २५ मार्च को सम्पूर्ण देश में लॉक-डाउन की घोषणा की जो के आज की तारीख तक ३ तरह के जोन में बांटकर ( ग्रीन,ऑरेंज और रेड) रिस्क-प्रोफाइलिंग की जा चुकी है और इसी आधार पर इन जोन में आने वाले नागरिकों को जरूरी निर्देश और उचित छुट भी दी गई है।
जानकारो की माने तो भारत में कोरोना का विकराल रूप अभी बाकी है और इसकी तस्दीक करते हैं वर्तमान परिस्थितियाँ. देश की जनसंख्या के अनुपात में बहुत कम लोगों की जांच होना, जांच-तकनीक का आभाव,विदेशों से लाए गए जांच किटों का आभाव साथ ही साथ इन जांच किटो की विश्वसनियता पर सवाल खड़े होना, सोशल-डीस्टेंसिंग का सख्ती से पालन न होना, कुछ ऐसे बिंदु हैं जिन पर चिंता लाजमी है. देश के प्रधानमंत्री पर लोगों को भरोसा है के कोरोना के खिलाफ इस जंग में भारत की जीत होगी लेकिन सिर्फ हौसलों से उड़ान पूरी नही होती. जरूरी संसाधनों और कारगार रणनीति के बिना इस जंग की कल्पना भी दूभर है. इन सबके बीच राहत पैकेज के सहारे सरकार अर्थव्यवस्था में जान फूकना चाहती है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक बार कहा था के “दिल्ली से हम एक रुपया भेजते हैं लेकिन अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक सिर्फ दस य पंद्रह पैसे ही पहुचता है” उनके ये शब्द देश की राजनीति की वास्तविकता को बयां करते हैं और इसमें कोई संदेह नही के परिस्थितियाँ आज भी जस के तस हैं।
विषम परिस्थितियों में राहत पैकेज की घोषणा करना सराहनीय है लेकिन ये सभी प्रस्तावित चीजें धरातल पर किस तरह क्रियान्वित होते हैं ये वक्त ही बताएगा और इसी पर भारत की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक निर्भर है. जो लोग हाट-स्पाटों में फसे हैं धीरज रखे और प्रशासनिक अमले की हिदायतों का पालन करें और जो हाट-स्पाट से बाहर हैं वह भी पूरी सावधानी बरतें. मुश्किल समय है, बीत जाएगा ।

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