नपाध्यक्ष उर्मिला कटारे का अविश्वास प्रस्ताव धराशायी
सियासी ड्रामे के बीच चला पूरा खेल
शहडोल। पिछले एक महीने से शहडोल में नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष उर्मिला कटारे के खिलाफ चल रही सियासी जंग मंगलवार को खत्म हो गई। इसी के साथ भाजपा जहां अपना किला बचाने में कामयाब रही वहीं हार के बाद भी कांग्रेसी खेमे के माथे पर चिंता की लकीरें खत्म होने की वजाय और बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव के बाद हुये मतदान में भाजपा ने अपनी एक जुटता दिखाते हुये पार्टी के 17 पार्षदों को मनाने में सफलता पा ली और तो और एक निर्दलीय पार्षद भी भाजपा के साथ खड़ा नजर आया।
कांग्रेस फ्लोर में पास, हकीकत में हो गई फेल
मतदान के बाद जो नतीजे सामने आये उसमें भाजपा अध्यक्ष उर्मिला कटारे के पक्ष में 18 मत और विपक्ष में 20 मत पड़े। वहीं एक मत रिजेक्ट भी हो गया। भाजपा ने तो अपना किला बचा लिया, लेकिन बीते सप्ताह भाजपा द्वारा नगर पालिका के उपाध्यक्ष व कांग्रेस नेता कुलदीप निगम के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस और उनके उपाध्यक्ष मुश्किल में पड़ सकते हैं। भाजपा में यदि यही एक जुटता कायम रही तो उपाध्यक्ष की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। प्रदेश में सत्ता का लाभ उठाने का काम शहडोल में देखने को मिला। पिछले एक वर्ष से नपा में भाजपा वर्सेस कांग्रेस की मैदानी जंग चल रही थी। इस मैदानी जंग को प्रशासनिक तौर पर अमली जामा पहनाने के लिये कलेक्टर पर राजधानी का भी दबाब था और 10 दिनों के अंदर कलेक्टर ने फ्लोर टेस्ट के हकीकत को जमीन पर लाने के लिये समय भी दिया। प्रदेश की सत्ता का लाभ उठाने के लिये पूरी एड़ी चोटी एक की गई लेकिन कॉग्रेस की अंदरूनी फूट से मिलती कुर्सी छिन गई और भाजपा का अंदरूनी संगठन एक जुट होकर कुर्सी बचाने में कामयाब हो गया।
शहडोल में रीवा बनाम रीवा
शहडोल संभाग भले ही रीवा से संभाग से अर्सा पहले अलग हो चुका है लेकिन आज भी यहां की राजनीति रीवा के साथ ही चलती नजर आती है। मंगलवार को कांग्रेस और भाजपा दोनो ही दलों की अगुवाई रीवा से आये नेताओं ने की। भारतीय जनता पार्टी की कमान जहां सीधे पूर्व खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ला अपने हाथों में ले ली वहीं कांग्रेस की कमान कांग्रेस नेता गुरमीत सिंह मंगू के हाथों में रही। सोमवार को राजेंद्र शुक्ला दोबारा शहडोल पहुंचे थे और पार्षदों को लामबंद कर उन्हें मतदान के पहले तक अपने साथ रखा वहीं कांग्रेस भाजपा के पार्षदों की नाराजगी का फायदा उठाने में सफल नहीं हो सकी और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
रूठे भाजपाई पार्षदों ने बदल दिया गेयर , अब सता रही उपाध्यक्ष की चिंता
भारतीय जनता पार्टी ने तो अविश्वास प्रस्ताव में जीत हासिल कर अपने किले को बरकरार रखा लेकिन बीते सप्ताह उपाध्यक्ष कुलदीप निगम के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव की अग्रि परीक्षा से बाहर निकलना कांग्रेस के लिये मुश्किलें खड़ा कर सकता है। गौरतलब है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया तो गया है और जिस तरह से कलेक्टर ने 10 दिनों के अंदर अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ झण्डा गाड़ा और आदेश जारी किये गये थे ठीक उसके विपरीत पांच दिन पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव में कलेक्टर ने अब तक आदेश ही जारी नहीं किया है।
चली गहमा गहमी
सोहागपुर एसडीएम को चुनाव अधिकारी बनाकर नगर पालिका में भेजा गया और उन्होने आज अविश्वास प्रस्ताव के मतदान पर सियासी ड्रामे के बीच मतदान कराया। हालांकि 11 बजे से शुरू होने वाला यह मतदान, सम्मिलन की बैठक और अन्य प्रक्रियाओं के बीच गुजरा। लेकिन देखते ही देखते नगर पालिका में पहले तो पार्षदों की संख्या में काफी कमी रही और बाद में पार्षदों की एक टोली इकऋा अंदर घुसी और तस्वीर ही बदलने लगी। देखते ही देखते पहले तो नगर पालिका के अंदर गिनती के 13-14 पार्षद नजर आ रहे थे और बाद में पूरे 39 वार्डों के पार्षद नपा में पहुंच गये।
शुरू हुआ मतदान
नगर पालिका परिषद शहडोल में अध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव जो लाया गया उसमें मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43 (क) के अंतर्गत नगर पालिका परिषद शहडोल के अध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया ।
गुप्त मतदान के पश्चात जो गणना सामने आई वह चैंकाने वाली रही।
1- कुल मतदाता पार्षद 39
2- कुल डाले गये मत 39
3- अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 20
4- अविश्वास प्रस्ताव के विरूद्ध में 18
5- मतगणना में निरस्त मत 01
नहीं हो सका अविश्वास प्रस्ताव पारित
कांग्रेस की रणनीति कांग्रेस के लिये ही सिरदर्द बन गई और बिसात कांग्रेस ने बिछाई थी वो कांग्रेस के गले की ही हड्डी बन गई तथा उर्मिला कटारे को लाये गये अविश्वास प्रस्ताव में यह उम्मीद दर्शाई जा रही थी कि यह अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जायेगा और जिस तरह से धनपुरी में पर्दे के पीछे से नगर पालिका में बतौर प्रतिनिधि अध्यक्ष बैठाया गया है उसी तरह से शहडोल में भी स्थिति को जन्म दिया जायेगा। लेकिन सारा का सारा मामला टांय-टांय फिस्स हो गया।
संगठन ने जीता चुनाव
उर्मिला कटारे के अविश्वास प्रस्ताव पर शुरूआती दौर में तो भाजपा के रणनीतिकार पूरी तरह से मौन रहे, यहां तक कि भाजपा के जिलाध्यक्ष ने भी इस पूरे मामले में अनभिज्ञता जाहिर की थी लेकिन जब बात संगठन की आई तो अविश्वास प्रस्ताव के विरूद्ध संगठन ने खड़े होकर विरोध जताया और भाजपा से चुने गये पार्षदों को तो अपने साथ लिया ही निर्दलीय पार्षद भी मैदान में भाजपा के पक्ष में खड़े नजर आये। इस पूरे मामले में रीवा के विधायक पूर्व मंत्री एवं शहडोल जिले के पूर्व प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ल की रणनीति और बिछाई गई बिसात पर कांग्रेस चारो खाने चित्त हो गई। यूं तो रीवा से आये गुरमीत सिंह मंगू ने भी अपने तरीके से बिसात बिछाने का काम किया था लेकिन मंगू की रणीनीति फेल हो गई और भाजपा का संगठन चैका मार गया।