पंचायतों में फर्जी बिलों पर लाखों के भुगतान
आयकर सहित वाणिज्य कर विभाग की नजर से दूर कथित नटवरलाल
(अमित दुबे-8818814739)
शहडोल। जिले की ग्राम पंचायतों में होने वाले निर्माण कार्याे सहित विभिन्न खरीदी के फर्जी बिलों की भरमार है, जिले की कोई भी पंचायत इन फर्जी बिलों से अछूती नहीं है, इसमें पंचायत स्तर के पंच, उपसरपंच से लेकर सरपंच, सचिव व जनपद व जिला पंचायत तक के अधिकारी व जनप्रतिनिधि शामिल हैं। मजे की बात तो यह है कि कागज के टुकड़ों पर प्रिंट फर्जी फर्मों के नाम पर लाखों के भुगतान हो रहे हैं और ये न तो जीएसटी का पालन कर रहे हैं और न ही वाणिज्य कर व आयकर विभाग को इसकी खबर है।
खरीदी शून्य, बिक्री करोड़ों में
जिले के सुदूर ग्राम पंचायतों से लेकर ब्लाक व जिला मुख्यालय तक सैकड़ों ऐसे प्रतिष्ठान संचालित हैं, जिनके द्वारा सीमेंट, रेत, गिट्टी के अलावा भवन निर्माण व अन्य कार्यालयीन उपयोगी सामग्री कहीं से खरीदी नहीं गई है, लेकिन उनकी बिक्री के आंकड़े करोड़ों के हैं, इनके द्वारा पंचायतों में बिल लगाकर प्रतिष्ठान या फिर संचालकों के व्यक्तिगत खातों में भुगतान लिये जा रहे हैं, हद तो इस बात की है कि बीते वित्तीय वर्ष से केन्द्र सरकार द्वारा पूरे देश में लागू की गई जीएसटी का पालन तक नहीं हो रहा है, अधिकांश व्यापारियों के पास जीएसटी नंबर तक नहीं है और उनका टर्न-ओव्हर निर्धारित सीमा से कहीं अधिक है। पंचायतों में लग रहे बिलों में कहीं अब तक बंद हो चुके टिन नंबरों का उपयोग हो रहा है, तो कई संस्थान तो सादे कागजों पर ही पंचायतों से भुगतान उठा रहे हैं।
लगभग दुकाने गुमास्ता से बाहर
पंचायतों में लगाये जा रहे विभिन्न प्रतिष्ठानों का लेखा-जोखा, आयकर व वाणिज्य विभाग में नहीं है, 30 से 40 फीसदी प्रतिष्ठानों का पंजीयन श्रम कार्यालय तक से नहीं कराया गया है और प्रतिष्ठान कहीं घरों के पते पर तो कहीं काल्पनिक पतों पर कागजों में ही संचालित हो रही हैं, वाणिज्य और आयकर सहित श्रम कार्यालय यदि पंचायतों में संचालित ऐसे प्रतिष्ठानों की पड़ताल करे तो सैकड़ों फर्जी फर्म संचालक सामने आ सकते हैं, वहीं शासन को भी जुर्माने के रूप में लाखों का राजस्व मिल सकता है।