पत्रकार वार्ता बुलाकर गायब हो गए कांग्रेसी @ सिटी स्टार में नजर आए भाजपाई और कांग्रेसी

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पत्रकार वार्ता बुलाकर गायब हो गए कांग्रेसी
सिटी स्टार में नजर आए भाजपा के विभीषण
(शुभम तिवारी)
शहडोल ।कल 30 दिसंबर को होने वाले नगर पालिका शहडोल के उपाध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के मतदान को लेकर मुख्यालय की राजनीति गरमाई हुई है कांग्रेस नेता जहां जीत को लेकर आश्वस्त है वही भारतीय जनता पार्टी की नपाध्यक्ष श्रीमती उर्मिला कटारे और पार्टी द्वारा 5 पार्षदों की समन्वय समिति भी अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कुलदीप निगम को समर्थन नहीं देने के दावे कर रही है इसी बीच रविवार की दोपहर कांग्रेश द्वारा बस स्टैंड के समीप स्थित सिटी स्टार होटल में देर शाम 7:30 पर पत्रकार वार्ता बुलाई गई थी, जिसे नगरपालिका के वर्तमान उपाध्यक्ष कुलदीप निगम और अन्य पार्षद मिलकर संबोधित करते, कांग्रेश द्वारा बुलाई गई पत्रकार वार्ता को लेकर कई पत्रकार इसमें शामिल होने बुलावे पर वहां पहुंचे लेकिन वहां सिर्फ कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मोहम्मद हुसैन और दिनेश अग्रवाल ही मिले लगभग एक से डेढ़ घंटे तक इंतजार करने के बाद भी कांग्रेस के पार्षदों उपाध्यक्ष कुलदीप जो पत्रकार वार्ता को संबोधित करने वाले थे आयोजित कार्यक्रम में नहीं पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के कुछ विभीषण और लगभग 12 जरूर बंद कमरों में गुणा गणित लगाते हुए नजर आए वहीं दूसरी तरफ नगर पालिका के अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला कटारे कटारे भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों को लेकर चार पहिया वाहन में जरूर दौड़ते भागते नजर आए।

नगर पालिका अध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव से पहले भाजपा का संगठन और पूर्व मंत्री ने शहडोल में पूरी ताकत झोक दी थी, लेकिन उपाध्यक्ष के मामले में भाजपा का पूरा संगठन पूरे दांव लगाकर बचता नजर आ रहा है, संगठन का हर व्यक्ति रूठे हुए पार्षदों को मनाकर जैसे-तैसे भाजपा की कुर्सी बचाकर एक बार भाजपा मैदानी जंग जीत गई, लेकिन उपाध्यक्ष के चुनाव से पहले भाजपा के पार्षदों द्वारा संभवत: पाला बदल दिया और संगठन ने भी हवा के रूख को भांपते हुए अपने हथियार डाल दिये हैं। अब तो स्थिति यह बन रही है कि न तेरी, न मेरी, तू भी जीता, हम भी जीते।
ये है गिनती का आंकड़ा
शहर की नगर पालिका में कुल 39 पार्षद वार्डों से चयनित होकर नगरपालिका पहुंचे है, जिसमें कांग्रेस के पास वर्तमान में उपाध्यक्ष की कुर्सी बचाने के लिये 17 पार्षद मौजूद है, उधर भाजपा के पास 22 पार्षदों की अपनी टीम है और इन्हीं के सहारे वो कुलदीप निगम की जहाज को टाईटेनिक जहाज बनाकर जनता के सामने प्रस्तुत करना चाह रहे थे, लेकिन इस जहाज में छेद नहीं हुआ, अलबत्ता भाजपा को ही पीछे हटना पड़ रहा है। यह पहला अवसर होगा जब भाजपा ने मैदान छोडऩे का मन बनाया है।
चाहिए तो 27 पर गिनती अधूरी
भाजपा को यह अविश्वास प्रस्ताव पास करवाने के लिये 27 पार्षदों की आवश्यकता है, लेकिन जोड़-तोड़ में माहिर रही भाजपा लगता यह है कि अध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के समय से सग्गा-मित्ती के खेल पर आगे बढ़ चुकी है, उधर उर्मिला कटारे की कुर्सी बची, इधर भाजपा के पार्षद कुलदीप की कुर्सी बचाने में जुट गये है, क्योंकि भाजपा के पास कुल 22 पार्षद और 27 पार्षदों की गिनती चाहिए, ऐसे में यह अविश्वास प्रस्ताव धरा का धरा रह जायेगा।
भाजपा ने बनाया भागने का रास्ता
भाजपा अपने ही जाल में उलझकर रह गई और उसे पांच पार्षद नहीं मिल पाये, अब भाजपा के पास एक ही रास्ता है, अपनी उलझी हुई इज्जत को बचाने का बचा हुआ है, जिसमें वो उपाध्यक्ष कुलदीप निगम के साथ मिलकर इस अविश्वास प्रस्ताव को ही न होने दें, ऐसे में दोनों ही पार्टियों की इज्जत सुरक्षित रह जायेगी और न तेरी न मेरी वाली राजनीति को पूर्ण विराम भी लग जायेगा, शायद यह पहला अवसर होगा, जब भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने मिलकर एक संयुक्त सम्मेलन को अंजाम देने की कोशिश की है। बहरहाल यह भी कहा जा सकता है कि अपने को खतरे में देखकर या पार्टी की डूबती लुटिया को देखकर भाजपा ने खुद ही भागने का रास्ता बना लिया।
ऐसा हो चुका है
सरकारी दस्तावेजों को अगर मानें तो 25 अक्टूबर को भाजपा-कांग्रेस के पार्षद एकत्र होकर उर्मिला कटारे के अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे थे और सामूहिक रूप से हस्ताक्षर कर कलेक्टर को दस्तावेज सौंपा था, मात्र तीन पार्षदों के हस्ताक्षर उस दस्तावेज में नहीं हो पाये थे लेकिन जैसे ही खाली कुर्सी, भरी कुर्सी की गिनती शुरू हुई, उसके पहले कुलदीप निगम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का बिगुल बजा था और उसी समय से कांग्रेस को अपनी कुर्सी बचाने के लिये शीतलहर जैसा एहसास हुआ था, इसी के चलते उर्मिला कटारे को वरदान मिला था, लेकिन यहां तो कुलदीप के चक्रब्यूह ने भाजपा को पहले ही पवेलियन लौट दिया।

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