पहले सरपंच बनाया फिर बंद कर दी भुगतान की आईडी @ सीईओ भूल गए अधिनियम

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  1. पहले सरपंच बनाया फिर बंद कर दी भुगतान की आईडी @ सीईओ भूल गए अधिनियम

अनूपपुर। 16 जनवरी को अतिरिक्त कलेक्टर द्वारा जैतहरी जनपद के ग्राम पंचायत बरगवां के उपसरपंच दिलेंद्र पाठक को मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1983 की धारा 86(2) के तहत ग्राम पंचायत देवहरा का सरपंच बनाया गया।

कलेक्टर कार्यालय द्वारा जारी उक्त पत्र में इस बात का हवाला दिया गया कि ग्राम पंचायत के सरपंच यदुराज पनिका के ऊपर चचाई थाने में भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468 व अन्य धाराओं के तहत अपराध दर्ज हुआ था, जिसके कारण लगातार अपने कार्यस्थल से फरार है, जिस कारण ग्राम का विकास अवरुद्ध हो रहा है ,गांव से आ रही लगातार शिकायतों और विकास को पटरी पर लाने के लिए कलेक्टर कार्यालय द्वारा गांव के उप सरपंच को सरपंच का प्रभार पंचायत राज अधिनियम की धाराओं का हवाला देते हुए दिया गया।

गौरतलब है कि पंचायत के सरपंच को दिए गए अधिकारों का उपयोग करके ही कोई सरपंच गांव को विकास के मार्ग पर आगे ले जा सकता था और जिस कारणों से पूर्व सरपंच को पद से हटाया गया, उपसरपंच को सरपंच का पद और अधिकार दिए अभी एक पखवाड़ा भी नहीं बिता की जनपद पंचायत जैतहरी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा नए सरपंच की आईडी ब्लॉक करने के आदेश जारी कर दिए गए।

हालांकि इस तरह की कोई लिखित सूचना या कारण अभी स्पष्ट नहीं किया गया है, जनपद द्वारा संभवत है मौखिक आदेशों से ही सरपंच की आईडी को ब्लॉक करवा दिया गया है, सवाल ये उठता है कि जब पूर्व के सरपंच को विकास कार्यों की दुहाई देते हुए जनपद व जिला पंचायत में बैठे अधिकारियों ने उपसरपंच को सरपंच का पद दिया और उसे रुके हुए कार्यों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी, ऐसी स्थिति में जब भुगतान संबंधी पोर्टल और अधिकार उससे छीन लिए गए हैं , तो गांव का विकास कैसे होगा यह समझ से परे है ।

दूसरी तरफ सवाल यह भी उठता है कि जब पंचायत राज अधिनियम और ग्राम स्वराज अधिनियम की धाराओं का उल्लेख करते हुए अपर कलेक्टर जैसे जिम्मेदार अधिकारी ने गांव के उप सरपंच को सरपंच की जिम्मेदारी दे दी और उसके बाद उसे सरपंच के सभी अधिकार भी सौंप दिए गए, सार्वजनिक तौर पर उसे सरपंच बनाने का पत्र दिया गया और पखवाड़ा बीता ही नहीं कि बिना किसी कोई ठोस कारण बताएं मौखिक रूप से ही अन्य धाराओं की बात कहते हुए उसे अधिकार छीन लिए गए, जब अधिकारियों द्वारा उसे आदेश और अधिकार दिए गए थे, तब क्या अधिकारियों को उन धाराओं का ज्ञान नहीं था, यदि नहीं था तो उनको खुद उस पद पर बैठने और न बैठने पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाता है ।

इधर ग्रामीणों ने मांग की है कि लगभग 1 वर्ष से रुके हुए विकास कार्यों को गति देने के लिए जब नई व्यवस्था प्रारंभ कर दी गई, तो फिर उस पर गंदी राजनीति का शिकार होकर खेल- खेला जा रहा है, जिस खेल को ग्रामीण कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे , जनप्रिय कलेक्टर ग्रामीणों ने इस संदर्भ में ध्यान आकृष्ट कराते हुए व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की है।

यह पहला मौका नहीं है जब जिला पंचायत में बैठे सीईओ सरौधन सिंह और उनके समकक्ष कलेक्टर कार्यालय में बैठे अधिकारियों ने इस तरह के कार्यवाही की हो, जैतहरी जनपद के सीईओ का पद भी कुछ इसी तरह के पत्रों में उलझा हुआ रहा, करीब 2 से 3 माह पूर्व एक पखवाड़े के अंदर ही इमरान सिद्दीकी वर्तमान सीईओ और अरुण भारद्वाज अधिकारियों को सीईओ के पद पर बैठाने और हटाने का खेल खेला जाता रहा देवहरा के मामले में जनपद से हो रही है कार्यवाही उसी की प्रवृत्ति ही दिख रही है।

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