…प्रदेश में वक्त है कांग्रेस के जिलाध्यक्षों के बदलाव का
(रामेश्वर सिंह परमार, राजनैतिक संवाददाता)
भोपाल। मप्र में वक्त है बदलाव के साथ सत्ता में आई कांग्रेस ने अपने 12 माह के शासनकाल में पूरा माहौल अपने पक्ष में कर लिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सत्ता और संगठन में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। इसलिए अब प्रदेश में राजनीतिक जमावट का वक्त आ गया है। पार्टी सूत्रों की माने तो जिले की राजनीति में जल्द ही बड़े बदलाव दिखेंगे।
जिले में तीन कांग्रेस
कांग्रेस इस समय नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए जमावट करने में जुटी है, इससे पहले जिले की सियासत में बड़ा बदलाव होने की संभावना है। यह बदलाव फरवरी माह के अंत तक हो सकता है। जानकारों का कहना है कि अगले 50 दिन के भीतर कांग्रेस को नये जिलाध्यक्ष मिल सकते हैं। कांग्रेस में अंदरूनी तौर चल रही खींचतान जारी है, जिले में वैसे भी तीन कांग्रेस चल रही है। शहडोल जिला मुख्यालय में ही दो गुट काम कर रहे हैं, वहीं कोयलांचल गुट अलग ही पगडंडी पर चल रहा है।
एड़ी चोटी का लगा रहे जोर
कांग्रेस संगठन में फेरबदल को लेकर हलचल तेज हो चुकी है, जिलाध्यक्ष के पद को लेकर दावेदार अपने अपने समर्थकों से संपर्क बनाने में जुटे हुए है। जिले के अध्यक्ष पद में बदलाव के कयास लगाये जा रहे है। निकाय व पंचायत चुनाव से ऐन पहले संगठन में होने वाले इस परिवर्तन को बेहद अहम माना जा रहा है। संगठन में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कांग्रेस के आला नेता भी अपने-अपने समर्थकों के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
मंत्रियों के सामने भी गुटबाजी
सत्ता में आने के एक साल बाद भी संगठन और राजधानी सहित विंध्य और महाकौशल के नेता भी कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म नहीं कर सके। बीते दिनों प्रदेश सरकार के तीन मंत्री यहां आये, मंत्रियों के यहां आने के दौरान भी गुटबाजी साफ नजर आई, मुख्यालय से लेकर कोयलांचल तक किसी मंत्री का किसी जगह तो, किसी का किसी जगह स्वागत हुआ। शहडोल जैसी झलक हर तरफ नजर आई। अचरज तो इस बात का है कि किसी भी मंत्री ने इस गुटबाजी को नहीं देखा…? या फिर देखने के बाद भी नजर अंदाज कर दिया। राजधानी में बैठे मुखिया भले ही चुनावों के समय पूरा दम-खम लगा दें, लेकिन जमीनी स्तर पर यदि स्थिति पर नियंत्रण नहीं किया गया तो, पूर्व में निकाय, पंचायत से लेकर विधानसभा चुनावों के नतीजे दोबारा दोहराये जायेंगे।