प्रभारी रहते हैं मुख्यालय से 130 km बाहर और लेते हैं पूरी तनख्वाह
माधुरी गुप्ता रिपोर्टर
अनूूपपुर /बिजुरी–
मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग नई शिक्षा नीति को लेकर पूरी तरह से गंभीर नजर आ रहा है वही महाविद्यालय के प्रभारी डॉ विक्रम सिंह बघेल प्राध्यापक इतिहास गत 7 वर्षों से पदस्थ हैं आश्चर्य यह है कि डॉ बघेल अपने पूरे कार्यकाल में कभी भी नियमित रूप से नहीं आए तथा उनका मुख्यालय भी बिजुरी में ज्ञात नहीं है जबकि वह आवास भत्ता मुख्यालय भत्ता जैसे कई लाभ ले रहे हैं उनके द्वारा महाविद्यालय के संचालन में घोर लापरवाही बरती जा रही है जिसका दुष्परिणाम छात्रों को भोगना पड़ता है यहां 700 छात्रों के दर्ज होने के बावजूद डॉ बघेल द्वारा अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा से परीक्षा केंद्र बनाए जाने की कोई पहल नहीं की गई ।जिसकी घोषणा माननीय डॉ मोहन कुमार यादव उच्च शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश शासन द्वारा 12 जून 2021 को बिजुरी प्रवास महाविद्यालय भवन लोकार्पण के समय परीक्षा केंद्र बनाए जाने की घोषणा करनी पड़ी। डॉ विक्रम सिंह बघेल कभी मुख्यालय में रहते नहीं इसलिए छात्र हित को दरकिनार करते हुए परीक्षा जैसी जिम्मेवारी लेने से बचना चाहते हैं उनके द्वारा स्टाफ में मनमाने ढंग से उपस्थिति दी जाती है तथा अपने वरिष्ठ अधिकारियों से अनुचित पत्र व्यवहार करते हुए अपनी भूल छिपाने का षड्यंत्र किया जाता है जब से डॉ विक्रम सिंह आए है उन्होंने कभी अपने डीडीओ कार्यालय में सीएल का अवकाश नहीं दिया है उनकी कोई अवकाश पंजी ना तो अपने कॉलेज में संधारित की गई है ना ही डीडीओ कार्यालय में ही उपलब्ध है वह पूरी तरह से मनमानी करते हुए जिसको चाहते हैं बिना डीडीओ की अनुमति के बिना समुचित प्रयोजन के एवं बिना शासनादेश के अतिथि विद्वानों को ऑडी देकर अपने ग्रह ग्राम रीवा भेजते रहते हैं तथा कभी दवाई कभी खाद्य सामग्री और कभी जरूरत की निजी कामों में लगाए रहते हैं इनके द्वारा मनमानी कार्य करते रहने से कई बार छात्रों में आक्रोश भी नजर आया है तथा नवीन भवन निर्माण के दौरान गुणवत्ता के नाम पर बार-बार संविदा कार्य एवं एजेंसियों से सौदेबाजी एवं भाया दोहन करने की खबरें आई थी जिसमें कथित रूप से जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद डॉ विक्रम सिंह संभल पाए। ऐसी स्थिति में उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों शासन प्रशासन से अपेक्षा है। कि साप्ताहिक / पाक्षीक अप डाउन करने वाले डॉ विक्रम सिंह बघेल का टोल बैरियर नाकों से एवं साइबर सेल के माध्यम से डाटा खंगाल कर उनके अनियमित आवागमन की पड़ताल की जा सकती है ऐसे व्यक्तियों पर तत्काल जिला संभाग एवं राज्य एवं वरिष्ठ अधिकारियों से उनके शैक्षणिक किये कार्यों का सत्यापन किया जाना जरूरी है