प्राचार्य पी.के.लारिया अनूपपुर को निलंबन के बाद आरोप पत्र जारी

शहडोल| कमिश्नर शहडोल संभाग आर.बी.प्रजापति ने पी.के. लारिया प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अनूपपुर को निलंबन के पश्चात आरोप पत्र जारी किया है। जारी आरोप पत्र में कहा गया है कि मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विरूद्ध एवं मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के तहत विभागीय जाॅच संस्थित किया जाना प्रस्तावित है। विभागीय जाॅच संस्थित किए जाने से संबंधित आरोप पत्र, आरोपो का विवरण अभिलेख सूची एवं साक्ष्यो की सूची संलग्न करते हुए उल्लेखित किया गया है कि आपके विरूद्ध अधिरोपित किए गए आरोप के संबंध में अपना लिखित प्रतिवाद इस पत्र के प्राप्त होने 15 दिवस के अंदर प्रस्तुत करें साथ स्पष्ट रूप से यह भी अवगत कराएॅ कि क्या आप विभागीय जाॅच प्रकरण में प्रत्यक्ष सुनवाई चाहते है, मैखिक जाॅच चाहते है। अपने बचाव में कोई तथ्य व साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहते है। यदि हाॅ तो उसकी सूची प्रस्तुत करें। आरोप पत्र में उल्लेखित किया गया है कि यदि आपकी ओर से लिखित प्रतिवाद नियत समयावधि में प्रस्तुत नही होने पर यह माना जायेगा कि इस संबंध में आपको कुछ नही कहना है तथा प्रकरण में नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
अधिरोपित आरोपो के विवरण में कहा गया है कि शैक्षणिक गुणवत्ता एवं परीक्षा परिणामों में वृद्धि के लिए आपके द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के संबंध में 500 शब्दों में तैयार की गई कार्ययोजना के संबंध में दिनांक 12 अक्टूबर 2019 को कलेक्टर अनूपपुर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा प्राचार्यो की साक्षात्कार लिया गया जिसमें आपसे विद्यालय प्रबंधन के बारे में प्रश्न उत्तर किया गया जिसमें आप विद्यालय में चल रही कक्षाओं लेसन प्लान, समय सारणी, बोर्ड परीक्षा के परिणाम संबंधी किसी भी प्रश्न का समाधानकारक उत्तर नहीं दिया जा सका एवं समिति द्वारा किए गए मूल्यांकन में आपका प्राप्तांक सबसे कम पाया गया। इससे प्रतीत होता है कि आप अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीन हैं।
इस प्रकार आपने अपनी पदीय कर्तव्यों का सही निर्वहन ना कर मध्य प्रदेश आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विपरीत कार्य कर अपने आप को मध्यप्रदेश सिविल सेवा ( वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही का पात्र बना लिया है, जो दंडनीय है। इसी प्रकार शैक्षणिक गुणवत्ता एवं परीक्षा परिणामों में वृद्धि के लिए आपके द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के संबंध में कर्तव्यों के प्रति उदासीनता बरतने तथा इस प्रकार आपका उपरोक्त कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विरुद्ध होने से दंडनीय है।