फूलचंद ने 3 उपभोक्ताओं को बनाया ”फूल”
क्या 40 दुकानों के लिए 43 से हुआ था एग्रीमेंट?
अनूपपुर। जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ की किरगी पंचायत में एक बोतल में नहीं दुकानों के एग्रीमेंट की फाईल के साथ ही भ्रष्टाचार का जिन्न कैद किया गया, सूत्रों का कहना है कि तात्कालीन सचिव फूलचंद मरावी के कार्यालय के दौरान जनपद पंचायत के किरगी पंचायत में लगभग 40 दुकानें बनाई गई, जिसके लिए कथित सचिव द्वारा एग्रीमेंट किया गया, मजे की बात तो यह है कि सबसे पहले इन दुकानों के लिए प्रेस के माध्यम से विज्ञापन प्रकाशित करवाना था, उसके बांद दुकान आवंटित करनी थी, लेकिन पंचायत अंतर्गत ऐसा न करके सरपंच सहित अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को धोखे में रखकर कथित सचिव द्वारा भ्रष्टाचार का खुला खेल-खेला गया, सूत्रों का कहना है कि इन दुकानों के निर्माण के समय ही इनका एग्रीमेंट करवा लिया गया, यहां सोचनीय पहलू यह है कि सचिव द्वारा आखिर दुकान निर्माण से पहले ही एग्रीमेंट क्यों करवाया गया, साथ ही अगर पंचायत द्वारा 40 दुकानों का निर्माण कराया गया तो 40 ही दुकानों का एग्रीमेंट होना था, लेकिन तात्कालीन सचिव की लालच के चलते वर्तमान में पदस्थ कर्मचारियों को इस दंश झेलना पड़ रहा है।
3 को आज भी दुकान की तलाश
ेऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार केवल दुकानों में हुए एग्रीमेंट तक सीमित रहा, कथित सचिव द्वारा तीन लोगों से दुकान से ज्यादा एग्रीमेंट कर राशि अपने जेब में रख ली गई, सूत्र बताते हैं कि आज भी रूपये देने वाले फूलचंद के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें आश्वासन देकर टाल दिया जाता है, पंचायत से जुड़े सूत्रों की माने तो कथित लोगों को दुकान नहीं मिल सकती, क्योंकि दुकाने जितनी बनी थी, वह पूर्व में ही आवंटित हो चुकी है, रही बात रूपये वापस करने की, तो उक्त दुकानदारों द्वारा पंचायत या जनपद से किसी प्रकार का एग्रीमेंट नहीं किया है, इसलिए राशि देने की जवाबदारी पंचायत या जनपद की नहीं है।
नहीं मिलेगी दुकानें
पंचायत से जुड़े सूत्रों की माने तो जो भी 3 व्यक्ति दुकानों के आवंटित होने के बाद बचे हैं, उन्हें दुकान आवंटन नहीं हो सकता है, क्योंकि पंचायत में अभी और दुकाने बनाने का प्रस्ताव संभवत: नहीं है और पंचायत रूपये देने के लिए भी बाध्य नहीं है, क्योंकि उक्त लोगों द्वारा एग्रीमेंट तात्कालीन सचिव से किया था, सूत्रों का कहना है कि अगर उक्त व्यक्तियों द्वारा थाना में शिकायत दी जाये कि उन्हें साथ धोखा हुआ है तो संभवत: उनका पैसा वापस लौट सकता है और कथित भ्रष्टाचारी को सजा हो सकती है। हालाकि पूरा मामला जांच के दायरे में है। लोगों का कहना है कि इस पूरे मामले में वरिष्ठ अधिकारियों सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों को आगे आकर रूपये देने वाले ग्राहकों को न्याय दिलवाना चाहिए, जिससे पंचायत की छवि धूमिल न हो।