विद्युत बिलों के संशोधन के नाम पर करोड़ों का गोलमाल खुद को बचाने के फेर में आउट सोर्स को कर दिया आउट बाबुओं से लेकर कनिष्ठ-वरिष्ठ व जबलपुर तक जुड़े तार परत-दर-परत खोल रहे विद्युत उपभोक्ता नौकरशाहों के राज
विद्युत उपभोक्ताओं के बिल पहले बढ़ाकर भेजे जाते, फिर कंपनी के ही आउट सोर्स कर्मचारी उनके तार बाबुओं से लेकर जबलपुर तक जोड़ देते, आधे में सौदा होता, तो बिल माफ हो जाता, जब कलई खुली तो, पुराने खाते भी खुल गये, खुद को बचाने के लिए जिम्मेदारो ने आउट सोर्स को ही आउट कर दिया। (अमित दुबे-8818814739)
शहडोल। मध्यप्रदेश विद्युत वितरण लिमिटेड से मोटा वेतन लेकर शहडोल से लेकर पड़ोस के अन्य जिलों व विकास खण्डो में बैठे कनिष्ठ व वरिष्ठ इंजीनियर अपना काम कितनी इमानदारी से और अपनी आंख व कान खोलकर कर रहे हैं, यह जानकार आप हैरान हो जायेंगे, किसी के भी घर में विद्युत मीटर की जांच के नाम पर पहुंचने पर आदर पाने वाले यह अधिकारी और उनके मातहत उपभोक्ताओं की जेब पर सिंडीकेट बनाकर डाका डाल रहे हैं, मामले के तार जब उलझने लगे तो, आउट सोर्स में रखे गये कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाकर गड़बड़झाले का पूरा ठीकरा उनके सर पर डाल दिया गया और खुद की लापरवाही के कारण उपभोक्ताओं की जो जेब पूरी सिंडीकेट ने मिलकर काटी, उसका खामियाजा भी उपभोक्ताओं को दोहरी मार झेलकर भुगतना पड़ा। ऐसे करते थे खेल
संभाग भर में फैले हजारों विद्युत उपभोक्ताओं में से पहले कुछ उपभोक्ताओं के मासिक बिल 10 से 50 गुना तक बढ़ाकर भेज दिये जाते रहे, जब उपभोक्ता विद्युत कार्यालय पहुंचा तो, वहां पहले बिल जमा करने और न करने पर कनेक्शन काटने की समझाईश दी गई, कुछ उपभोक्ताओं के कनेक्शन भी काट दिये गये, मानसिक दबाव बनाने के बाद विभाग में ही पदस्थ कुछ कर्मचारी व बाहर के दलाल मिलकर उपभोक्ता से संपर्क करने के बाद बड़े बिलों में सामान्य जाति के लिए 50 व आरक्षण वालों के लिए 70 प्रतिशत तक की छूट की योजना बताई गई,50 प्रतिशत नगद राशि लेकर जेई, एई से लेकर शहडोल व विकास खण्डों में जिन अधिकारियों के नाम पर आईडी जारी है और उन्हें बिल संशोधन के अधिकार हैं, बिना राशि जमा किये, अगले माह का बिल न्यूनतम कर दिया गया।उपभोक्ता को लगा कि पावती भले नहीं मिली, लेकिन छूट का फायदा मिल गया, इसीलिए बिल में राशि नहीं जुड़ी, लेकिन इस तरह सैकड़ों की जेब से लाखों बटोर लिये गये।
कलई खुली तो जोड़ दिया बकाया
विद्युत विभाग से जुड़े सूत्रों की माने तो बीते 1 वर्ष के दौरान एक-एक कार्यालय से लाखों रूपये की अवैध वसूली होने लगी, विभाग में आ रहे इस गलत रूपये के हिस्सेदार भी बढऩे लगे, बात सड़कों व वरिष्ठ कार्यालयों तक पहुंचने लगी तो, बीते माहों के दौरान पुन: पूर्व की राशि को वसूलने के लिए वर्तमान देयक में उसे जोड़ दिया गया, जिसके बाद उपभोक्ताओं की नींद खुली तो, वह कार्यालय जा पहुंचे।
आउट सोर्स को किया आउट
जिले के अकेले बुढ़ार स्थित विद्युत मंडल कार्यालय में इस तरह हुई खुली डकैती में सैकड़ा भर से अधिक उपभोक्ता इस सिंडीकेट का शिकार हुए, जिसके बाद आउट सोर्स के तीन कर्मचारियों में से रवि द्विवेदी व आलोक सिंह को बाहर किया गया, सुमित सिसोदिया को बुढ़ार से शहडोल बुला लिया गया, उपभोक्ताओं से इन्हीं के नाम पर शपथ पत्र लेकर मामला दबा दिया गया। जाहिर है कि फोर सी आपरेटर, लाईन मैन व सब स्टेशन आपरेटर के पद पर काबिज छोटे कर्मचारी अकेले ही लाखों का घोटाला, विद्युत बिलों का सुधार और उन्हें सुनियोजित तरीके से राशि बढ़ाने का खेल अकेले ही कर रहे थे, सच तो यह है कि स्थानीय कार्यालय प्रमुख से लेकर शहडोल तक में बैठे जिम्मेदार जुगाड़ के हमाम में एक साथ डुबकी लगा रहे थे, कलई खुलने पर मातहतों को डुबाकर खुद किनारे खड़े हो गये।