बुढ़ार sbi में सोशल डिस्टनेसिंग फेल,आये दिन जाम होती हैं सड़के

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बुढ़ार/शहडोल- लॉक डाउन 4 की प्रसाशनिक शर्तों पर बैंक सहित कई जरूरी संस्थाओ को भी अनुमति पहले से दी गई है।लेकिन सामाजिक दूरिया ,मास्क और सेनेटाइजर जैसी कोई भी व्यवस्था इस बैंक में नहीं दिख रही है। इस भीड़ को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितना पालन किया जा रहा है।

लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत पैसे की पड़ी और पैसा निकालने के लिए बैंकों में भीड़ उमड़ पड़ी। जिससे कई बैंक प्रशासन सकते में आ गए और वह सोशल डिस्टेंस का पालन अपने ग्राहकों से नहीं करवा पा रहा। बैंक के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बताते चलें कि जिले में महामारी के 4 एक्टिव केस बने हुए है वहीं कोरोना वायरस को लेकर जिला प्रशासन अलर्ट है और जनता के बीच लोगों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए लगातार सलाह दे रहे हैं। वहीं बुढ़ार रेलवे स्टेशन के जैन मंदिर रोड़ पर स्थित भारती स्टेट बैंक के शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र कस्बा में बैंकों के बाहर भीड़ लगनी आम बात हो गई है। एसबीआई बैंक शाखा के बाहर इस तरह का नजारा देखा गया।

लॉकडाउन में भी जमा निकासी के लिए जिस तरह से बड़ी संख्या में लोग बैंकों में पहुंच रहे हैं उसके चलते बैंकों के बाहर सोशल डिस्टेसिंग नहीं बन पा रही है। इसके साथ ही जो लोग बैंक पहुंचकर अपना नम्बर आने का इंतजार कर रहे हैं वे भी एक साथ एक ही स्थान पर भीड़ में खड़े हो कर शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ा रहे हैं। जानकारों द्वारा समझाने का भी इन पर कोई खास असर नहीं हो रहा है। यहां क्षेत्र के अनेक ग्रामो से आये लोग बैंक के बाहर बगैर शारीरिक दूरी के आस पास देखे गए। ऐसा लगा कि न इनको किसी संक्रमण का यहां कोई भय है और न ही इनको कोई यहां इस कृत्य से रोकने वाला है।

 

लॉकडाउन के बावजूद भी पिछले दिनों से बैंकों में जमा निकासी के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है। जनधन खाता धारकों के साथ ही श्रमिक व अन्य योजनाओं में जिन खाताधारकों के खातों में पैसा आया है वे बैंकों में बराबर पहुंच रहे है। यही कारण है कि कस्बे सहित ग्रामीण इलाकों में मौजूद बैंक शाखाओ में सुबह 10 बजे बैंक खुलने से पहले ही यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंच जाते हैं।

हालांकि बैंकों के अन्दर तो एक साथ अधिक लोगों को नही जाने दिया जा रहा है लेकिन यहां भी अंदर भी भीड़ बनी हुई है। वहीं बाहर परिसर में एक दूजे से चिपके हुए अक्सर देखे जाते है। बैंकों के बाहर यहां कोई नियम न लागू होने से उनमें सोशल डिस्टेसिंग का कोई मायने नहीं रहे। लोग एक दूसरे के बिलकुल पास खड़े होकर सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं, और जिम्मेदार सब कुछ जानकर भी यहां अनजान बने नजर आ रहे हैं। सब कुछ तीसरी आंख से देख रहे हैं।
आये दिन होती है सड़के जाम
बाजार रोड़ पर स्थित बैंक सड़को पर लगी भीड़ से ही पता लग जाता है कि बैंक है। यहाँ न तो पार्किंग की कोई व्यवस्था दिखती है न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था अंदर बैठे अधिकारियों को भी बाहर की आव हवा से कोई सरोकार नहीं।इन रास्तों से आने जाने वाले राहगीर आये दिन जाम की समस्या से रूबरू होते है।हर यही हर रोज विवाद का कारण बनता है।

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