भाईगिरी पर उतारू विश्वविद्यालय के संविदा कर्मचारी

छात्र को फोन पर दी जान से मारने की धमकी

(शंभू यादव+91 98265 50631)
शहडोल। पं. शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय के जिम्मेदारों द्वारा तथाकथित रिश्तेदारों को संविदा कर्मचारियों के साथ ही अन्य ऐसे पदों से उपकृत किया गया, जिनके अधिकार विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जिम्मेदारों को दिये थे, कहने को तो चार से छ: हजार मासिक वेतन पर ऐसे कर्मचारी रखे गये हैं, लेकिन कर्मचारियों के ठांठ और उनकी दबंगई देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह संविदा कर्मचारी के पद की आड़ लेकर तथाकथित कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय को दुधारू गाय बना दिया है, भले ही विश्वविद्यालय को अस्तित्व में आये 2 वर्ष का समय पूरा होना है, लेकिन यह भी सच है कि रीवा और जबलपुर स्थित विश्वविद्यालयों की तुलना में पं. शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय अभी शैशव स्थिति में ही है। विश्वविद्यालय में पदस्थ गिरीश द्विवेदी और मृत्युंजय सिंह नामक कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय की साख को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है, बीते कुछ माहों के दौरान दोनों के खिलाफ जान से मारने की धमकी, गाली-गलौज सहित छात्रों से पास और फेल के नाम पर वसूली की दर्जनों शिकायतें हो चुकी हैं, बहरहाल कई मामले तो फाईलों में गुम हो गये और कुछ अभी जांच में ही लंबित हैं।
गिरीश ने दी जान से मारने की धमकी
विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्र अभिषेक सोनी ने संविदा कर्मचारी गिरीश द्विवेदी के खिलाफ कुलपति को शिकायत दी है, जिसमें कथित कर्मचारी द्वारा सेल फोन पर जान से मारने की धमकी के साथ ही बातें न मानने पर परीक्षा में फेल करने जैसे आरोप लगाये गये हैं, पीडि़त ने कुलपति के साथ ही शिकायत की प्रतिलिपि कोतवाली को भी दी है, शिकायत के साथ गिरीश द्विवेदी द्वारा सेल फोन पर दी गई धमकी की साउण्ड क्लिप भी पीडि़त ने देते हुए कार्यवाही की मांग की है, हालाकि अभी तक न ही विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से और न ही कोतवाली की ओर से कोई कार्यवाही होती दिखी है।
पास-फेल के ठेकेदार हैं गिरीश
छात्र द्वारा दी गई शिकायत में इस बात का भी आरोप लगाया गया है कि गिरीश द्विवेदी छात्र-छात्राओं से पास-फेल के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं, इनके चक्कर में कई छात्र फंस चुके हैं, पीडि़त ने यह भी बताया कि इसी दुर्भावना और रूपयों के फेर में गिरीश द्विवेदी द्वारा मुझे फेल भी कर दिया गया था, लगातार प्रताडऩा और न्याय न मिलने के कारण मैं मानसिक रूप से परेशान हंंू।
विश्वविद्यालय में पदस्थ हैं दर्जनों गिरीश
विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से यहां एक विशेष गुट पूरे प्रबंधन पर हावी रहा है, कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खुद को खास बताने वाले तथाकथित जिम्मेदार वर्तमान में कांग्रेस का चोला पहने घूम रहे हैं, विश्वविद्यालय में संविदा और अन्य अस्थाई पदों पर पदस्थ कर्मचारियों की सूची निकाली जाये तो इसमें दर्जन भर से अधिक ऐसे कर्मचारी सामने आयेंगे, जिनकी नियुक्ति जिम्मेदारों के रिश्तेदार और उनके आशीर्वाद से हुई है।

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