भूत ढूंढ पा नही रहे और लगा रहे बच्चों पर आरोप!

शहडोल/अनूपपुर। भूत के पाव पीछे इसकी कहावत तो आपने सुनी होगी लेकिन यहा तो भूत ही पीछे लग रहा है! मामला अनूपपुर जिले के वेंकटनगर के कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का है।यहाँ विगत1 साल से छात्राये काफी परेसान है। कही छात्रायें घबराने लगती है, तो कही चिल्लाने लगती है, तो कही बेहोश हो जाती है। तो कही विचित्र प्रकारों की हरकतें करती है।इनकी हरकतों से ऐसा लगता है कि किसी प्रेत बाधा से पीड़ित हैं लेकिन अब तक स्कूल के प्राचार्य और डॉक्टर इसे मानसिक कमजोरी व खान पान की अनियमितता बता रहे हैं।लेकिन छात्राओं के परिजन और ग्रामीणों ने इस बात को सिरे से इंकार कर दिया है।और अब झाड़ फूक पर विश्वास कर रहे हैं।और इन्हें आराम भी मिल रहा है ऐसा कहना छात्राओं के परिजन का है।
यह हुआ बीते बुधवार को
विद्यालय में दोपहर के समय कक्षा ग्यारहवी की कला संकाय की 6 छात्राओ के साथ यह घटना क्रम हुआ।विद्यालय की छात्रा दीपिका सिंह, दीपाली पनिका, कीर्ति संत, वर्षा केवट, प्रतिभा सिंह और भारती सिंह अपने कक्षा में पढ़ते पढ़ते अचानक असमान्य हरकते करने लगी आनन फानन इन्हें पास के चिकित्सालय में उपचार के दौरान ले जाया गया जहाँ सभी को प्राथमिक उपचार दिया गया वही वर्षा केवट की हालत बिगड़ने लगी जहा उसे अनूपपुर रेफर कर दिया गया। कुछ दिनों के आराम के बाद शानिवार को सुबह से ही 3 छात्राए अपने घर पर ही झूमने चिल्लाने लगी इनकी विचित्र हरकतों की खबर पूरे वेंकटनगर में लगी तो स्कूल में कक्षा 11 वी छात्राओं की संख्या आधी हो गई अब 28 में से 13 छात्राये ही स्कूल पहोच रही है। घटना क्रम को ध्यान में रखते हुए छात्राओं और परिजनों ने अलग से दूसरे कमरे में अध्ययन की बात की लेकिन प्रभारी प्राचार्य ने मनगढ़ंत व अंधविश्वास भरी बातो को बताया।अभी भी जिम्मेदार इस घटना को अफवाह मान रहे हैं। वही भूत को ढूंढ नही पा रहे और छात्राओं पर अफवाहों का आरोप लगा रहे हैं।
यह भी है कहानी
असामान्य व्यवहार में जो हरकते सामने आ रही है वो परिजनों को खटक रही है।परिजनों का कहना है कि विद्यालय से कुछ ही दूरी पर यूनिफ़ॉर्म में एक 9 वी कक्षा की बच्ची ने अपने घर पर फांसी लगा ली थी।ऐसा ग्रमीणों का कहना है। छात्राओं के असामान्य हरकतों में किसी लड़की की तस्वीर आने की बात कर रहे हैं। लिहाज झाड़ फूंक पूजा पाठ के दौर इन दिनों पीड़ितों के घर और मंदिरों में किये जा रहे हैं।
बाउंड्रीवाल की दरकार
अनूपपुर जिले की कई स्कूल ऐसी है जिन्हें आज बाउंड्रीवाल की दरकार है।बगैर बाउंड्री बाल की है स्कूलअसमाजिक तत्वों के साथ साथ अब अंधविश्वासी हवा भी पूरे स्कूल के वातावरण को भय युक्त कर रखी है। यहा से श्मशान घाट भी 400 मीटर की दूरी से देखा जा सकता है।
भालू प्रभावित क्षेत्र भी है
स्कूल वेंकटनगर के गांव के बाहर स्थित जैतहरी रोड़ पर है।यह एरिया पूरी तरह भालू प्रभावित क्षेत्र में आता है। यहाँ पूर्व में कई बार गांव के अंदर तो कही सड़को पर भालुओं को देखा गया है।इस प्रभाव को देखने के बाद भी प्रसाशन बाउंड्रीवाल को क्यों नजर अंदाज कर रहे हैं।ये तो प्रशासन ही जाने हा यह जरूर है। आज भी आधे से अधिक स्कूल बगैर बाउंड्रीवाल के चल रहे हैं।
यह कह रहे जिम्मेदार
परिजन द्वारा लगाए जा रहे।भूत पिशाच के मामले में प्राचार्य से बात की गई तो उनका कहना है कि बच्चो के द्वारा ह्यूमर फैलाया जा हम इकीसवीं सदी में जी रहे हैं।ये सब अंधविश्वास की बाते है परिजनों को समझया गया है कि बच्चों का इलाज करवाय स्कूल में किसी प्रकार का भूत नही है।मैं यहाँ काफी दिनों से पदस्थ हूँ।जो बच्चो की फासी की बात है ये सब अफवाह है।

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