मजदूर बनकर लाखों का फर्म चला रहे गुप्ता जी

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मटेरियल सप्लायर और मनरेगा मजूदर बने लक्ष्मीनारायण और उनकी पत्नी
इन्ट्रो- सरकार भले ही बदल जाये, लेकिन पंचायतों में भ्रष्टाचार का तरीका नही बदल सकता। नतीजतन ग्राम पंचायत पयारी नंबर-2 में लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने दस्तावेजों में करोडो रूपए की दुकान खोल ली और कुछ कमी रह गया तो मनरेगा का मजूदर भी अपने धर्मपत्नी के साथ बन गये। एक का खाता स्टेट बैंक में खुल गया और दूसरे का पंजाब नेशनल बैंक में खोल दिया गया, इसके बाद शुरू हुआ गरीबों के पैसा डकार कर अपने खाते में जमा करने का कार्य।

 

अनूपपुर। जनपद पंचायत अनूपपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत पयारी नंबर-2 में विकास कार्य छोड कर अपने निजी विकास में लोगों ने ध्यान लगा रखा है। सरपंच और सचिव जब किसी पर मेहरबान हो जाते है तो नती जा यही निकलता है कि अपने ही मातहतो को चंद कमीशन के फेर में नियम विरूद्व कार्य करने के लिए तैयार कर देते है। यही कारण है कि लक्ष्मीनारायण गुप्ता पहले रोजगार गारंटी में अपना नाम दर्ज करवाते है और फिर जुगाड बनाकर ठेकेदार व मटेरियल सप्लायार भी बन जाते है, उसके बाद लाखो रूपए का बिल पंचायत में लगाकर दस्तावेजों में हेर-फेर कर दिया जाता है। सरपंच और सचिव जिन्हे पूरे पंचायत के विषय में संपूर्ण जानकारी होती है उन्होंने ही ग्रामीणों को छोड अपने फायदे के लिए लक्ष्मीनारायण जैसे भ्रष्टाचारी को शामिल कर लिया और चंद फायदे के लिए पंचायत की राशि को बंदर बांट करना सीख लिया।

निकला लाखो का बिल
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत हुए कामों में लाखों रुपए से ज्यादा का घोटाला सामने आया  है। ऑनलाइन सिस्टम में सेंधमारी कर फर्जी मजदूर, फर्जी काम की एंट्री करके लाखो-करोड़ों रुपए का पेमेंट निकाला गया है। पिछले कई माह से यह

 

खेल पयारी नम्बर 02 के साथ अन्य पंचायत में चल रहा है। इस घोटाले में सरपंच, सचिव से लेकर जिला पंचायत स्तर के आला अफसर शामिल है। मनरेगा के ऑनलाइन सिस्टम में छेडख़ानी कर फर्जीवाड़े किया गया  है। सांठ-गांठ कर करोडो रूपए का बिल कैश में बदल कर अपने नाम कर लिया जाता है।

ऐसे दिया घोटाले को अंजाम
मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों के साथ लक्ष्मी नारायण गुप्ता और पत्नी उमा का फर्जी जॉब कार्ड तैयार किए गए, घोटाला के लिए काम जरूरी था, इसलिए फर्जी ई मस्टररोल तैयार किया गया, जिसमें लक्ष्मीनारायण गुप्ता और पत्नी उमा और दूसरे मजदूरों के साथ नाम डाल दिये गये तथा मनरेगा की मजदूरी का हजारों रूपये बैंक खातों में पंचायत द्वारा डाल दिये गये। ज्यादातर मस्टररोल में सरपंच और सचिव के अलावा किसी भी मजदूर के दस्तखत या अंगूठे के निशान नहीं हैं। जबकि नियमों के हिसाब से बिना दस्तखत वाले मस्टर रोल वैध नहीं होते।

लक्ष्मीनारायण और पत्नी का फार्जी जाब कार्ड
लक्ष्मीनारायण गुप्ता पेशे से पंचायतों में मटेरियल सप्लाई का कार्य करते है। प्रतिमाह लाखों करोडों के कारोबारी एवं कागजों में जीएस्टी रिर्टन भरनें के बावजूद भी मनरेगा का फर्जी जॉब कार्ड बनवा कर पंचायत से लाखो का ठगी करते आ रहें है। वही लक्ष्मीनारायण गुप्ता द्वारा फर्जी तरीके मजदूरों के हक भी मारा जा रहा है। सचिव सरपंच की मिली भगत से पंचायत में फर्जी बिल और मास्टररोल लगा कर लाखो का घोटाला पयारी नम्बर 02 में किया जा रहा है। लक्ष्मीनारायाण गुप्ता ने अपनें साथ अपनी पत्नी का भी मास्टररोल मे नाम भरवाकर मनरेगा का भुकतान खाते में करवाया है।

और भी है कारनामें 

पंचायत अंतर्गत इतना ही नही भ्रष्टाचार के कारनामे नही है, पीसीसी सडक हो या पुलिया निर्माण के साथ मजदूरी भुगतान में अपने ही चहेतो सरपंच और सचिव ने लाभ पहुंचाने का बखूबी कार्य किया है। इसके साथ कार्यो में भ्रष्टाचार में शामिल होने वाले इंजीनियर और एसडीओ भी कमीशन के फेर में कुछ भी करने को तैयार हो जा रहे है। चंद चांदी के सिक्को के लिए अपने कीमती पदो का दाव लगाकर लाखों रूपए का गबन करने में कोई कसर नही छोड रहे है, जबकि गरीब मजदूरो की व ग्राम पंचायतों के विकास के लिए इन्हे पदस्थ किया गया है, लेकिन कलयुग में बाप बडा न भैया सबसे बडा रूपैया के तर्ज पर कार्य करने वाले अधिकारियों सब कुछ बदल कर रख दिया है।

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