महाराष्ट्र में लगातार किसानों कि आत्महत्या जारी

नई दिल्ली ।  बता दें कि महाराष्ट्र सरकार के राहत और पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने विधानसभा में लिखित जवाब में बताया कि 2015 से 2018 के बीच तीन साल में किसानों की आत्महत्या के कुल 12201 मामलो में संज्ञान में आयें हैं, जिसमें 6888 ऐसे मामले थे जो जिला स्तरीय समितियों की समीक्षा के बाद सरकारी सहायता के पात्र थे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अब तक 6845 किसानों के परिवार के सदस्यों को 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है।महाराष्ट्र ही वह प्रदेश है जहाँ हजारों किसानों ने सडकों पर उतर कर सैकङों किलोमीटर पैदल चलकर अपनी परेशानी और पीड़ा को दो-दो बार मुख्यमंत्री फडणवीस तक पहुंचाया। देश जिसको एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है, जहाँ कि लगभग 80 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहने के साथ कृषि पर आधारित है। महाराष्ट्र के विधानसभा के सदन में सरकार की तरफ से औपचारिक बयान के रूप में बताया गया है कि महाराष्ट्र में 12 हजार से ज्यादा किसानों ने साल 2015 से 2018 के बीच आत्महत्या की है। यह जानकारी महाराष्ट्र सरकार के राहत और पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने विधान सभा में लिखित जवाब के रूप में दी।अभी हाल ही में देश में 17वीं लोकसभा के चुनाव संपन्न हुए और जनता ने पीएम मोदी को फिर से भारी बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बना दिया, मगर सवाल ये है कि अपने ‘मन की बात’ करते हुए “अच्छे दिनों” की बात करने वाले प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश के आत्महत्या करते किसानों के लिए क्या किया ? महाराष्ट्र में पिछले 4 साल से भाजपा सरकार है, वहीँ केंद्र में भी डबल इंजन वाली मोदी सरकार थी, उसके बाद भी महाराष्ट्र में लगातार किसानों के आत्महत्या करने की खबरें आती रहीं मगर तब ना देवेंद्र फडणवीस की राज्य सरकार ने किसानों के लिए कुछ किया और ना ही केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने किसानों के लिए कुछ किया।

सदन में जानकारी देते हुए सुभाष देशमुख ने बताया कि, 610 किसानों ने जनवरी और मार्च 2019 के बीच आत्महत्या की। इनमें से 192 मामले में किसान वित्तीय सहायता के लिए पात्र थे। इसी पर आगे बताते हुए उन्होंने कहा, इन 192 पात्र मामलों में से 182 किसानों के परिजनों को वित्तीय मुआवजा दिया जा चुका है। देशमुख ने कहा कि मुआवजे की पात्रता के लिए बाकी मामलों की जांच हो रही है

गौरतलब है कि महाराष्ट्र से ही भाजपा सांसद रहे “नाना पटोले” ने प्रधानमंत्री मोदी की गलत नीतियों और उनके रवैये से नाराज होकर भाजपा छोड़ते हुए अपनी संसद सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था, पिछड़े वर्ग से आने वाले नाना पटोले ने कहा था कि किसानों की समस्या जैसे अहम मुद्दों पर भी पीएम मोदी किसी सांसद की नहीं सुनते। किसानों की समस्या को लेकर जब हमने उनसे मिलना चाहा और अपनी बात रखनी चाही तो हमें बात रखने तक का मौका नहीं दिया गया इसलिए ऐसे सांसद पद का क्या फायदा जो हम अपने किसान भाइयों की मदद भी ना कर पाएं और हमने भाजपा तथा सांसद पद दोनों से ही इस्तीफा दे दिया।

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