मॉडल अस्पताल के बरामदें में टीबी मरीजों का उपचार

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शुभम तिवारी+91 78793 08359
शहडोल। संभाग के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में टीबी के मरीजों का उपचार किसी वार्ड या सुरक्षित कैम्पस में न होकर अस्पताल में जहां जगह मिली, वहीं बरामदे व खुले रास्तों पर लिटाकर किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में उनका उपचार किस हद तक उन्हें लाभ पहुंचा पायेगा, अस्पताल मेें आने वाले अन्य मरीजों व आगंतुकों का टीबी वाले मरीजों के संपर्क में आने पर उन पर क्या असर पड़ेगा, यह समझ से परे है। बुधवार को खुद सिविल सर्जन व अन्य चिकित्सकों ने जगह-जगह कम्बल बिछाकर गलियारे व अस्पताल के बाहर रास्तों में पड़े मरीजों से भेंट की व उन्हें दवाईयां दी।
लाखों का बजट, सुविधा शून्य
चिकित्सा विभाग द्वारा संभागीय जिला चिकित्सालय में टीबी के मरीजों व उनकी देखरेख के लिये अलग से विभाग बनाया गया है, जिसके प्रभारी और उसके मातहत कर्मचारियों की लम्बी टीम है, व्यवस्थाओं के लिये लाखों का बजट भी है जो हर माह खर्च भी होता है, लेकिन उसका लाभ मरीजों को कितना मिल रहा है, यह बुधवार को सामने आई अव्यवस्था को देखकर समझा जा सकता है। मरीजों को दवाएं भी उपलब्ध मात्रा में नहीं मिल पा रही हैं, हालात इतने बदतर है कि उन्हें अस्पताल परिसर में भर्ती तो किया जाता है, लेकिन उन्हें यहां दवा से ज्यादा शायद परिजनों द्वारा की गई दुआ ही काम आती है।

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