योग: भारत की सांस्कृतिक विरासत

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मुस्कान सिंह की कलम से….

21 जून यह दिन तो हर वर्ष आता है लेकिन इसे इसका महत्व तब पता चला जब 2015 में पहली बार इस दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवास के रूप में मनाया गया और आगे हर वर्ष मनाए जाने लगा। योग चिकित्सा, एक विज्ञान है, एक अनुशासित जीवनशैली है, जीवन जीने की कला है। योग का मतलब केवल कुछ आसन या ध्यान करना मात्र नहीं है, बल्कि जीवन में आई विसंगति से दूर रहने के लिए अंतर्मुखी जीवन जीना हैं। नियमित ध्यान और प्राणायाम, दिमाग में फील गुड हॉर्मोन रिलीज करता है, जिससे व्यक्ति प्रसन्नचित रहता है। गीता में श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि हम जो भी काम करें, वो पूरी ईमानदारी, निष्ठा, लगन, मेहनत, त्याग और आनंद भाव से करें और उसमें पूरी सफलता प्राप्त करें। यह भी एक प्रकार का योग है। उसमें अपनी क्षमता, विचारों और अपने श्रम की पूर्णता की सफलता प्राप्त करें। किसी भी काम की परिपूर्णता या पराकाष्ठा तक पहुंच जाना भी योग है।

योग एक प्राचीन कला है जिसकी उत्पत्ति आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व हमारे देश भारत में ही हुई थी। पहले के समय में लोग अपने दैनिक जीवन में योग साधना जीवन भर स्वस्थ रहने के लिए किया करते थे।
योग शब्द का अर्थ जुड़ना या मिलना होता है, लेकिन यह बहुत ही विस्तृत विज्ञान है क्योंकि इसके सभी कर्म और क्रियाएं मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है और उनमे संतुलन बनाय रखने में मदद करता है। इसके नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक रूप से अनुशासन सीखने में मदद मिलती है।

2014 में नरेंद्र मोदी जी के प्रधान मंत्री बनने के बाद उन्होंने योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने हेतु अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की मांग रखी। 27 दिसम्बर 2014 को UNGA में दिए गए भाषण में इसका जिक्र किया था। तब 11 दिसम्बर 2014 को ही UNGA में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक मुखर्जी ने मसौदा प्रस्ताव पेश किया। उस वक़्त कुल 177 देशों ने इसपर अपनी सहमती जाताई, यह अपने आप में ही एक रिकार्ड था। भारत के अलावा बाकी देशों के नेताओं और आध्यात्मिक गुरुओं ने इसका समर्थन किया। वह एक ऐतिहासिक क्षण था जब यूनाइटेड नेशन्स की सभा ने भारत द्वारा पेश किए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया।

योग के कुछ प्रकार

अभ्यास के नाम पर योगा के रूप में और कोई कसरत स्थिर नहीं है और यह लगभग 5000 सालों के अधिक समय से प्रचलन में रहा है। योगा कैलोरी को जलाने और हमारी मांसपेशियों को मज़बूत करने में मदद करता है। यह एक सर्वसमावेशक कसरत है जो मन और शरीर दोनों पर केंद्रित है। योगा प्रशिक्षण के तहत सभी प्रकार के अभ्यास और कसरत की जाती है जिसमें गहरी साँस लेना, विश्राम करना और ध्यान लगाना आदि शामिल है।

वर्तमान में योगा के 100 से अधिक विभिन्न प्रकार ज्ञात हैं जो कठोर और तीव्र हैं जबकि अन्य प्रकार आसान और आरामदेह हैं। आज योगा के छह अलग-अलग रूप हैं जो प्रसिद्ध हैं:
हठ – यह रूप मुख्य रूप से योगा से संबंधित है और श्वास सहित बुनियादी जरूरतों के एक क्रम को जोड़ती है।
विन्यास – इसमें योगा के अलग-अलग अनुक्रम शामिल है जिसमें आसानी से एक से दूसरे योगा क्रिया में जाना शामिल हैं।
अय्यंगार – यह योगा का एक ऐसा प्रकार है जिसमें रस्सी का उपयोगा होता है जैसे कि स्ट्रैप्स, ब्लॉकों और कुर्सियां ताकि उसे सही संतुलन के साथ अपने शरीर को स्थानांतरित करने में मदद मिल सके।
बिक्रम – जिसे “हॉट योगा” भी कहा जाता है। इस प्रकार में 26 योगा अभ्यासों का एक क्रम शामिल होता है जिसे एक गर्म कमरे में किया जाता है जहाँ का तापमान उच्च होता है।
पावर – यह तेज़, अधिक तीव्रता का अभ्यास है जो मांसपेशियों को सही आकार देता है।
अष्टांग – यह योगा प्रकार असाधारण साँस लेने वाली तकनीक को जोड़ती है।

योग का महत्व और लाभ

योग कोई धर्म नहीं है, यह जीने की एक कला हैं जिसका लक्ष्य हैं- स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन ।
योग के अभ्यास की कला व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। यह भौतिक और मानसिक संतुलन कर के शान्त शरीर और मन प्राप्त करवाता हैं। तनाव और चिंता का प्रबंधन करके आपको राहत देता हैं। यह शरीर में लचीलापन, मांसपेशियों को मजबूत करने और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में भी मदद करता हैं साथ ही यह श्वसन, ऊर्जा और जीवन शक्ति में सुधार लाता हैं। योग का अभ्यास करने से ऐसा लगता हैं कि जैसे यह मात्र शरीर को खींचने या तानने तक ही सीमित हैं, लेकिन आप जैसा देखते हैं, महसूस और गतिविधि करते हैं, उससे कहीं अधिक यह आपके शरीर को करने में सक्षम करता हैं।
योग आसन शक्ति, लचीलापन और आत्मविश्वास का निर्माण करते हैं। योग का नियमित अभ्यास करने से वज़न में कमी, तनाव से राहत, प्रतिरक्षा में सुधार और एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने में मदद प्राप्त हो सकती हैं।

लॉक डाउन में योग

आज के समय में लोग इतना व्यस्त हो चुके हैं कि उनके पास खुद को समय देने का भी समय नहीं है। योग को ज्यादा महत्व ना देते हुए जिम जाना ज्यादा पसंद करते हैं, घंटों बिता कर बॉडी बनाते हैं। 25 मई यानी जिस दिन से लॉक डाउन घोषित किया गया है तब से लोगों का बहार जाना नहीं हो रहा, जिम जाना नहीं हो रहा है। इस बीच योग बहुत अच्छा माध्यम बन कर उभरा है जो लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद कर रहा है। यह बेहद आसान है और इसे करने के लिए किसी भी दूसरे समान की आवश्यकता नहीं होती।
आज लोग खुद को स्वस्थ रखने के लिए योग साधना कर रहे हैं। योग से कई तरह की बीमारियों में भी राहत मिलती है

डिप्रेशन के लिए भी है कारगर

आज के समय में लोग अकेलेपन, डिप्रेशन जैसी भावनाओं से गुजर रहे हैं। यह भावनाएं इतनी खतरनाक हो सकती है कि ये किसी की जान भी ले सकती है इसका उदहारण हम स्वर्गीय सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु से समझ सकते हैं। हाल ही में उन्होंने डिप्रेशन के चलते अपनी जान ले ली। इस बात से हम समझ सकते हैं कि यह कितनी खतरनाक भावना हो सकती है जो इंसान के जीने की इच्छा को ही समाप्त कर देती है। इतने काबिल ऐक्टर होने के बावजूद वह डिप्रेशन जैसी खतरनाक बीमारी के शिकार थे। आज की युवा कुछ इसी तरह की भावनाओं से गुजर रहे हैं, कहीं पढ़ाई/नौकरी की चिंता तो कहीं दिल टूट जाने का दर्द इन्हीं कारणों की वजह से आज युवा पीढ़ी अकेलेपन और डिप्रेशन जैसी भावनाओं से जुझ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चे अपनी भावनाएं अपने घर वालों से साझा करे और योग करे, योग के माध्यम से वह इन भावनाओं से बच सकते हैं, रोज़ाना 15 मिनट योग या ध्यान करने से ऐसी भावनाओं से बाहर निकलने में मदद मिलेगी और वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकेंगे।

 

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