राष्ट्रवाद के नाम पर भाजपाईयों की रैली में ही राष्ट्र ध्वज का रंग भूल गये भाजपाई
(शुभम तिवारी+91 78793 08359)
शहडोल। सीएए के समर्थन में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के जिले भर से इक_ा हुए दो से तीन सैकड़ा पदाधिकारियों ने बिना भाजपा के झण्डे के पैदल मार्च निकाला, भारत माता की जय जैसे नारे लगाते हुए भाजपाईयों ने इस रैली में राष्ट्रध्वज हाथ में लेकर सीएए का समर्थन किया, गांधी चौराहे से यह रैली सोमवार की दोपहर करीब ढ़ाई बजे शुरू हुई, संभवत: संगठन की ओर से पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय ध्वज इस रैली में लाने के आदेश दिये गये थे। इसी कारण अलग-अलग स्थानों से अलग-अलग साईज के राष्ट्रीय ध्वज लेकर कार्यकर्ता व पदाधिकारी पैदल मार्च में शामिल हुए। इस पैदल मार्च में जो ध्वज भाजपाईयों के हाथों में नजर आये, उसमें दूर से ही स्पष्ट रूप से ध्वज के बीच में सफेद और नीचे हरा रंग तो सबमें एक सा नजर आ रहा था, लेकिन ऊपर का केशरिया रंग एक सा नहीं था। तीन अलग-अलग प्रकार के केशरिया, लाल और इससे मिलता-जुलता तीसरा रंग ध्वज में लहराता हुआ नजर आया। यह बात भी सही है कि इन तीन अलग-अलग रंगों में से एक ही रंग सही होगा, जिसे राष्ट्रध्वज के संंदर्भ में संविधान और इसके ध्वज के निर्माण के समय उल्लेखित किया गया होगा।
…तो ऐसे दिखायेंगे राष्ट्रवाद
इन दिनों पूरे देश में ही सीएए के समर्थन और विरोध में रैलियां, आमसभाएं, पैदल मार्च जैसे आयोजन हो रहे हैं, एक बड़ा वर्ग राष्ट्रवाद के नाम पर सीएए का समर्थन कर रहा है और दूसरा वर्ग भी राष्ट्रवाद के नाम पर सीएए का विरोध कर रहा है, विरोध और समर्थन में लोगों के वैचारिक मतभेद हो सकते हैें, लेकिन राष्ट्रध्वज का तीन अलग-अलग रंगों में होना, राष्ट्रध्वज की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करना है। सवाल यह भी खड़ा होता है कि राष्ट्रवाद के नाम पर सीएए के समर्थन में पैदल मार्च निकालने वालों को जब राष्ट्रध्वज के ही रंगों का भान नहीं है, तो ऐसे खोखले राष्ट्रवाद के दावे कहां तक सही हैं।
चर्चा में रहे अध्यक्ष और झण्डे
भारतीय जनता पार्टी ने इस बात का पूरा ख्याल किया कि उक्त कार्यक्रम को भाजपा से अलग रखकर पैदल मार्च निकाला जाये, ताकि सीएए के समर्थन करने वाले अन्य दलों, संगठनों के लोग जो भाजपा से परहेज करते हैं, वो यहां आकर भीड़ बढ़ाये, लेकिन जिस तरह गांधी चौराहे से शुरू हुए पैदल मार्च की अगुवाई भाजपा के जिलाध्यक्ष और युवा मोर्चा सहित इनके विभिन्न अनुशांगिक संगठनों और उनके पदाधिकारियों ने की, उससे इस कार्यक्रम पर भाजपा की छाप और राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में भेद करने के आरोप पार्टी के मुखिया के दामन पर तो लग ही गये।