रोजगार सहायक के भाई को पंचायत ने पहुंचाया लाभ

सरपंच-सचिव ने जानबूझकर नियमों की उड़ाई धज्जियां
(अमित दुबे+8818814739)
उमरिया। पंचायती राज एक अहम व्यवस्था है, पंचायतों से ही गांवों के विकास की रूपरेखा तैयार होती है। गावों में विकास कार्य करवाने में पंचायतें ही अहम भागीदारी निभाती हैं। यह सही है कि पंचायतों की ओर से करवाए जा रहे कार्यो से गांव तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन एक ओर जहां विकास कार्य हो रहे हैं, वहीं पंचायत प्रतिनिधियों सहित शासन द्वारा नियुक्त किये गये सचिव और रोजगार सहायक की ओर से कई प्रकार के घोटाले भी समय-समय पर उजागर होते रहते हैं। ऐसे में पंचायतों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी हैं।
मानपुर से जयसिंहनगर का सफर
मानपुर जनपद पंचायत इन दिनों संभाग में भ्रष्टाचार का केन्द्र बिन्दु बनी हुई हो, चाहे वह मानपुर मुख्यालय की पंचायत हो या धमोखर सहित अन्य पंचायत, यहां जिम्मेदारों ने खुलकर पंचायती राज्य अधिनियम की धज्जियां उड़ाई गई, वहीं जनपद में बैठे जिम्मेदार मानपुर से जयसिंहनगर के सफर में लीन रहे।
धमोखर में यह है हाल
मानपुर जनपद की धमोखर पंचायत में प्रहलाद राय नामक रोजगार सहायक की पदस्थापना की गई, लेकिन पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि और सचिव द्वारा सांठ-गांठ कर रोजगार सहायक के भाई विनोद राय के खाते में वर्ष 2018 में कई बार खातें में वाहन भाड़े के नाम पर राशि डाली गई, सूत्रों की माने तो कथित वेण्डर के खाते में लाभ पहुंचाने की नियत से उक्त राशि डाली गई।
परिवार को पहुंचाया लाभ
ग्राम पंचायत में वित्तीय प्रभार सचिव के पास है, सूत्रों की माने तो सचिव गजेन्द्र सिंह और रोजगार सहायक प्रहलाद राय ने अधिनियम को धता बताते हुए विनोद राय नामक फर्मों को लाभ पहुंचाया गया, मजे की बात तो यह है कि विनोद राय नामक वेण्डर के खाते में जो राशि डाली गई, वह रोजगार सहायक के भाई की फर्म है, सूत्रों की माने तो उक्त फर्मों का निर्माण कर सचिव, रोजगार सहायक सहित सरपंच ने भी जमकर मलाई छानी, अगर पंचायत में लगे सभी बिलो की सूक्ष्मता से जांच की जाये तो, पंचायत में मट़ेरियल सप्लाई सहित अन्य कई फर्में कटघरे में खड़ी नजर आयेंगी।
यह कहता है अधिनियम
मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 पर नजर डाले तो उक्त अधिनियम के पृष्ठ क्रमांक 189 में धारा 69 के अंतर्गत अध्याय 8 में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि त्रि-स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों के नातेदार किसी भी प्रकार का लाभ वाला कार्य नहीं करेंगे। अधिनियम अंतर्गत धारा 40 में ऐसा करने पर जो प्रावधान दिये गये हैं, उसमें शासकीय सेवकों व जनप्रतिनिधियों को पद से पृथक करने केअलावा राशि की वसूली के साथ चुने हुए प्रतिनिधियों को 6 वर्ष के लिए चुनाव लडने से वंचित करने के प्रावधान हैं।
इनका कहना है…
हा यह विनोद राय रोजगार सहायक का भाई है, उसने गाड़ी दी तो, उसके नाम पर बिल लगाये गये है, अगर आप काम करते तो, आपको राशि का भुगतान किया जाता, कोई काम करेगा तो, राशि तो देनी पड़ेगी।
गजेन्द्र सिंह
सचिव, ग्राम पंचायत धमोखर