लखनपुर पंचायत में बूंदी खरीदी की हो जांच
जिला मुख्यालय छोड़ चचाई से खरीदी मंहगे दामों पर बूंदी
एक व्यक्ति के खाते में डाले 13 लाख 8 हजार
(Amit Dubey- 91+8818814739)
अनूपपुर। शासन की योजनाओं में पैतरेबाजी करके शासन का पैसा निकाल लिया जाता है, इसका उदाहरण जिले की जैतहरी जनपद की कई ग्राम पंचायतों में देखने को मिल जायेगा। शासन की जन कल्याणकारी योजनाए और ग्राम विकास मे लाखो रुपए पानी की तरह बहने वाले इन रुपयो मे अब सरपंच , सचिव और जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों ने जमकर मलाई खाई है, इससे प्रक्रिया में जो गांव का विकास होना था, वहां केवल सरपंच-सचिव के साथ फर्जी फर्मों का ही विकास हुआ। सूत्रों की माने तो जनपद की लखनपुर ग्राम पंचायत में पदस्थ सचिव देवनारायण शुक्ला ने ऐसे फर्माें के बिल लगाये हैं, जिनका न तो किसी प्रकार का व्यापार का रजिस्ट्रेशन है और न ही किसी प्रकार का टिन नंबर लिया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि पंचायत द्वारा रेत-गिट्टी के बिना रायल्टी के कच्चे और फर्जी बिल लगाकर पेमेंट किया किया गया है।
राष्ट्रीय पर्व के नाम पर भी
ग्राम पंचायत लखनपुर में पदस्थ सचिव द्वारा 26 जनवरी 2019 को कितनी ईमानदारी से मनाया गया, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह राष्ट्रीय पर्व मनाने के लिए बूंदी, मीठा, नमकीन खरीदने अनूपपुर मुख्यालय छोड़ चचाई जा पहुंचे, मजे की बात तो यह है कि उन्होंने दूसरी पंचायतों से ज्यादा पैसा देकर बूंदी क्रय की। उन्होंने कृष्णा स्वीट से 140 किलो बूंदी 130 रूपये में खरीदी, 5 किलो मीठा 250, 5 किलो नमकीन 150 के हिसाब से खरीदी की। वहीं मेढ़ियारास पंचायत ने इसी व्यापारी से 120 रूपये के हिसाब से बूंदी क्रय की। समझ में यह नहीं आता कि पहले तो उक्त पंचायत के सचिव जिला मुख्यालय छोड़ चचाई के व्यापारी से खरीदी करने क्यों गये, और अगर गये भी तो दूसरी पंचायत से ज्यादा दर पर आखिर सामग्री क्यों क्रय की, यह भी जांच का विषय है। जब इस संबंध में सचिव से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन आउट आॅफ कवरेज मिला।
फर्म ही नहीं अस्तित्व में
जीएसटी लागू होने के बाद यह सोचा जा रहा था कि अब भ्रष्टाचार पर अंकुष लग जायेगा, लेकिन यह सिर्फ कागजी खानापूर्ति तक सीमित रह गया, जीएसटी के बाद यह फर्जीवाड़े बंद नहीं हुए बल्कि सुरक्षात्मक ठगी हो गई। पंचायत के सरपंच, सचिव व रोजगार सहायकों ने खुद या परिजनों के नाम से जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना शुरू कर दिया है। ऐसी फर्जी फर्में जिनका कोई अस्तित्व नहीं वह पंचायत में मनमाने दामों में सप्लाई कर सरकारी को चूना लगा रहे हैं। सूत्रों की माने में तो लखनपुर पंचायत में ऐसे बिल भी लगे हैं, जिसकी पंचायत ने खरीदी नहीं की, सिर्फ कमीशन देकर बिल लगा लिये गये।
आॅन लाईन दिखता भ्रष्टाचार
ग्राम पंचायत लखनपुर में आॅनलाईन दिखता भ्रष्टाचार उसके बाद भी कार्यवाही न होना ऐसा तो नहीं है कि जिन्हें कार्यवाही करना है, उनकी भी जेब का वजन बढ़ा दिया गया और जब जेब का वजन बढ़ता है तो अपने आप ही कार्यों को आंखें बंद करके प्रमाणित कर दिया जाता है हालांकि इस बात से इनकार किया नहीं जा सकता है क्योंकि जो देखा जा रहा है वह काफी है भ्रष्टाचार को आइना दिखाने के लिए जबकि कलेक्टर ने सख्त निर्देश दिये थे कि भ्रष्टाचार पर अंकुष लगना चाहिए, बावजूद इसके अधिकारियो की मिलीभगत कहा जाए या फिर मूक सहमति इस पर फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता है।
यह भी हैं कारनामें
ग्रामीणों को शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपये की धनराशि प्रस्तावित है। यह धनराशि जनपद के माध्यम से ग्राम पंचायत के बैंक खाते में दी जाती है। इसके बाद सचिव और सरपंच या तो लाभार्थी के बैंक खाते यह धनराशि सीधे स्थानांतरित कर सकते हैं अथवा लाभार्थी को खाते में जमा होने वाला चेकजारी कर सकता है। पंचायत अधिकारी व सरपंच और लाभार्थी के बीच कोई अन्य कड़ी नहीं होनी चाहिए। लेकिन लखनपुर में इन सभी कायदों को ताक पर रखकर एक व्यक्ति के खाते में लगभग 13 लाख 8 हजार रूपये की राषि डाल दी गई।