लॉक डाउन के दौरान शासकीय भूमि पर हो रहा कब्जा

संभागायुक्त के आदेश की हो रही अवहेलना
मानपुर । देश में लॉक डाउन में 144 धारा का उल्लंघन कर तालाब को जबरदस्ती पाटकर कब्जा करने की कोशिश में मानपुर निवासी भूमाफिया कमलेश गुप्ता की जा रही, पीडि़त कमलेश गुप्ता स्वर्गीय मोहित लाल गुप्ता निवासी मानपुर के द्वारा यह अपील अपर कलेक्टर के राजस्व प्रकरण क्रमांक 26 अपील 2019 20 आदेश दिनांक 24 जुलाई 2019 के विरुद्ध मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 जिसे इसके पश्चात संहिता कहा जाएगा कि धारा 442 के तहत प्रस्तुत की गई है, सर्वप्रथम उनके द्वारा 02 अगस्त 2019 प्रारंभिक सुनवाई करते हुए अपील सुनवाई हेतु ग्रह किया। जाकर अधीनस्थ न्यायालय का मूल अभिलेख आहूत किए जाने का आदेश दिया गया अधीनस्थ न्यायालय के मूल अभिलेख प्राप्ति पश्चात 03 नवंबर 2019 को अपीलार्थी द्वारा भाषा का तर्क श्रवण किया गया प्रकरण गुण दोष के आधार पर आदेश हेतु नियत किया गया।
यह है मामला
मानपुर की भूमि खसरा नंबर 716/1क, 716/ख, 716/ग, 716/2, 716/1, 717/2, 717/1, 717/2, 717/3, 718/1, 718/2, 718/3 रकवा क्रमश 0.058, हे. किता कुल 10 कुल रकवा 1.137 है. भूमि का अपीलार्थी द्वारा कृषि प्रयोजन से व्यवसायिक प्रयोजन में भूमि का पुनर्निर्धारण किए जाने हेतु अनुविभागीय अधिकारी मानपुर के यहां आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया। अनुविभागीय अधिकारी द्वारा आदेश 3 जुलाई 2019 के द्वारा प्रश्नाधीन भूमि के संबंध में संहिता की धारा 59 के तहत संलग्न प्रारूप 1, नियम 11 के तहत प्रस्तुत आवेदन पत्र अपूर्ण प्रस्तुत करने एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अनुसार मौके पर तलाब व तालाब की मेढ होने एवं आवेदक से प्राप्त आवेदन पत्र के साथ संलग्न खसरे में भूमि तालाब दर्ज होने से अपीलार्थी का आवेदन पत्र निरस्त कर दिया गया। जिसकी अपील कलेक्टर उमरिया को करने पर कलेक्टर द्वारा आदेश 24 जुलाई 2019 द्वारा अपीलार्थी की अपील निरस्त कर दी गई।
यह कहते हैं आदेश
इसी आदेश से व्यथित होकर यह द्वितीय अपील संभागायुक्त को प्रस्तुत की गई है। संभागायुक्त के द्वारा प्रकरण का अवलोकन किया गया अभिलाषी की ओर से प्रस्तुत तर्क को एवं विधिक स्थितियों पर विचार किया गया प्रकरण के अवलोकन एवं विधिक स्थितियों से विचार करने पर प्रथम दृष्टा या स्पष्ट है कि अनुविभागीय अधिकारी द्वारा आदेश 3 जुलाई 2019 के द्वारा कृष्णा अधीन भूमि के संबंध में संहिता की धारा 59 के तहत संलग्न प्रारूप एक नियम 11 के तहत प्रस्तुत आवेदन पत्र अपूर्ण प्रस्तुत करने एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अनुसार मौके पर तालाब तालाब की मेड होने एवं आवेदक से प्राप्त आवेदन पत्र के साथ संलग्न खसरे में भूमि का लाभ दर्ज होने से प्रार्थी का आवेदन पत्र निरस्त कर दिया गया है। जिसकी पुष्टि कलेक्टर उमरिया द्वारा भी की गई है तलाब की भूमिका व्यापार पुनर्जागरण नहीं किया जा सकता है अनुविभागीय अधिकारी एवं कलेक्टर का आदेश विधि संगठित एवं उसमें प्रथम किस प्रकार की त्रुटि परिलक्षित नहीं होती है। अत: अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील ग्राहा योग्य नही होने से अग्राहा की जाती है। तालाब एवं मेढ़ की भूमियों का मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 एवं इसके पूर्व विन्ध्यप्रदेश मालगुजारी काष्तकारी अधिनियम 1935 प्रभावशील रहे है। किन्तु इन अधिनियमों में तालाब एवं उसकी मेढ़ या भीटा के व्यवस्थापन या बंटन का कोई प्रावधान नहीं था। ऐसी स्थिति में तालाब की भूमि किस प्रकार निजी भूमि स्वामित्व में दर्ज हो गई है। इसकी भी जांच की जाना आवश्यक है। मामले में कितनी सच्चाई है यह जांच के बाद ही पता चल सकेगा।