शहडोल : लॉक डॉउन की छूट को लेकर , सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहा प्रशासन

हर दिन कलेक्टर बदल रहे लॉक डाऊन का समय
सोशल मीडिया पर समय को लेकर ट्रोल रहा प्रशासन
दूसरी तरफ दिखावा साबित हो रही जिले की सीमाओं की नाकेबंदी
रविवार को टोटल लॉक डाऊन के 8 दिनों के अंतराल में संभवत: चौथी बार कलेक्टर शहडोल ने प्रतिष्ठानों के खुलने का समय बदला। नई व्यवस्था के तहत अब सुबह 6 से 8 बजे दूध के लिए, 12 से 5 खाद्य प्रतिष्ठानों के लिए समय निर्धारित किया गया, पड़ोसी जिलों की तुलना में दिये गये दुगने समय को लेकर व्यापारियों में भी रोष व्याप्त होता जा रहा है।
(अमित दुबे)
शहडोल । रविवार को शहडोल कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह द्वारा प्रतिष्ठानों के खुलने के लिए नया समय निर्धारित किया गया, लॉक डाऊन के दौरान सुबह 6 बजे से 8 बजे तक दूध व्यवसाय की दुकाने और 12 से 5 बजे तक किराना, सब्जी, फल की दुकाने खोलने के आदेश दिये गये हैं, हालाकि सोशल मीडिया के माध्यम से कलेक्टर के द्वारा बार-बार बदले जा रहे आदेश आमजनों तक तो, जल्दी पहुंच जा रहे हैं, लेकिन जिनके पास इंटरनेट वाले सेल फोन नहीं है, उन गरीबी परिवारों के लिए बार-बार बदली जा रही समय की सीमा रेखा सिरदर्द बनी हुई है। वहीं शहडोल सहित जिले के प्रमुख कस्बों के व्यापारियों और बुद्धजीवियों ने भी इस आदेश को बेतुका बताया है।
सुबह 6 बजे से दूध….?
रविवार से नये आदेशों के तहत दूध की दुकाने सुबह 6 बजे से 8 बजे तक खुलने का समय जमीनी स्तर पर बिल्कुल बेतुका सा नजर आ रहा है, शहडोल सहित जिले के प्रमुख कस्बों में स्थित डेयरी दुकानों में सुबह 8 बजे के बाद पशुपालक दूध देने आते हैं, इस समय से पहले दूध निकालकर 6 बजे तक डेयरी दुकानों तक पहुंचाना असंभव सा है। कई डेयरी संचालकों ने इस संदर्भ में कहा कि 8 बजे के बाद ही दूध दुकानों में आता है, अत: वातानुकूलित कक्षों में बैठकर जमीनी सर्वे किये बिना ही जारी किया बयान दुकानदारों के साथ ही पशुपालकों औैर ग्राहकों के लिए भी सिरदर्द बन गये हैं।
दिन-भर घूम रहे मनचले
प्रधानमंत्री द्वारा घोषित किये गये टोटल लॉक डाऊन और उसका अर्थ या तो जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के समझ से परे हैं या फिर जानबूझकर कलेक्टर और बड़े पदों पर बैठे अधिकारी उसे लागू न कर कोविड-19 जैसी बीमारी को खुद आमंत्रण दे रहे हैं। शनिवार तक पूरे दिन व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खुले रहने की छूट के चलते सड़कों पर दिन भर खाद्य पदार्थ खरीदने के नाम पर खाली झोला लेकर घूमते हुए मनचले चौराहो पर मुस्तैद वर्दीधारियों को चुनौती देते हुए नजर आ रहे थे। ब्यौहारी में तहसीलदार जैसे न्यायिक दण्डाधिकारी पद पर बैठे अधिकारी से मनचले द्वारा की गई अभद्रता का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वॉयरल हुआ, तहसीलदार ने खुद थाने में इसकी शिकायत भी दी थी, यह मामला भी लिए गये मनमाने नियमों की परिणिति ही उपजा था।
व्यापारी खुद कर रहे आलोचना
पहले पूरे समय और रविवार से 5 घंटे किराना, सब्जी और 2 घंटे दूध के नाम पर दी गई छूट के खिलाफ व्यापारी ही खड़े नजर आ रहे हैं, हालाकि जिला प्रशासन के वृह्द अधिकारों और कार्यवाही के भय से कोई भी व्यापारी खुलकर नहीं बोल पा रहा है, दी गई 7 घंटों की छूट से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सहित डब्ल्यूएचओ के द्वारा घोषित की गई सोशल डिस्टेंस के पालन का खुलकर माखौल उड़ रहा है।
अनूपपुर में शांति ही शांति
संभाग अंतर्गत ही अनूपपुर जिले में कलेक्टर द्वारा पहले सिर्फ 12 बजे से 2 बजे तक की छूट खाद्य प्रतिष्ठानों को दी गई थी, लेकिन दो दिन पहले एक घंटा बढ़ाकर तीन घंटे की छूट दे दी गई। 3 घंटो में भी एक से डेढ़ घंटे तक ही दुकानों पर लोग नजर आ रहे हैं, बाकी समय दुकानें सूनी ही हैं। सवाल यह उठता है कि जब अनूपपुर में 3 घंटों की छूट में व्यवस्थाएं बन सकती हैं तो, शहडोल में 7 घंटे देने का क्या औचित्य है।
पुलिस के लिए सिरदर्द
टोटल लॉक डाऊन के दौरान कलेक्टर कार्यालय से दी गई पहले पूरे दिन और अब 7 घंटो की छूट पुलिसकर्मियों के लिए सबसे बड़ी सिरदर्द बनी हुई है, खाली झोला लेकर खाद्य सामग्री खरीदने के नाम पर सोशल डिस्टेंस की पूरी कवायत लगभग फेल होती नजर आ रही है। प्रमुख मार्गाे तथा चौराहों पर दिन-भर का यह आवागमन पुलिस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। पुलिस ने इसी बेफिजूल की आवाजाही को रोकने के लिए ही मुख्यालय और प्रमुख कस्बों में लगे सीसीटीवी कैमरो से लोगों पर नजर रख उन पर कार्यवाही की जा रही है, लेकिन यह कार्यवाही भी सिर्फ वाहनों के नंबर होने पर ही की जा सकती है।