शासकीय निर्माण कार्य की अनुमति लेकर बाजार में बेच दी रेत
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आखिर कौन होगा इसका जिम्मेदार
कौन करेगा इसकी जांच और किस पर होगी कार्यवाही
अनूपपुर। कलेक्टर द्वारा शासकीय एवं सार्वजानिक निर्माण कार्यों की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए अपने जिले में रेत की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु .प्र. गौण खनिज नियम 1996 के नियम 68 के तहत मध्यप्रदेश रेत (खजन, परिवहन, भंडारण तथा व्यापार) नियम, 2019 के अंतर्गत जिले में रेत खनिज की स्वीकृत निविदा दर अनुसार राशि, अग्रिम में जमा करने के उपरांत रेत की अस्थायी अनुज्ञा जारी कर दी। जिले में ठेकेदारों को अनुबंधित रेत खदान संचालन हेतु आवश्यक अनुमतियां प्राप्त होने की अवधि तक स्वीकृत निविदा दर से शासकीय निर्माण कार्यों में उपयोग/प्रदाय करने के लिए उत्खनन अनुज्ञा कलेक्टर द्वारा जारी की गई, अनुमति मिलते ही रेत कारोबारियों ने रेत का उपयोग इस कदर किया कि शासकीय कार्य निर्माण हो या न हो, लेकिन उनका कारोबार चार गुना जरूर बढ गया।
ऐसे था प्रक्रिया
ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत आने वाली समस्त संस्थाओं, निकायो आदि की कार्यवार रेत खनिज की मांग मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा संकलित कर संबंधित कलेक्टर खनिज शाखा को भेजी गई, इसी प्रकार अन्य शासकीय विभागों एवं उनके अंतर्गत आने वाले निकायो/संस्थाओं की कार्यवार मांग संबंधित विभाग प्रमुख द्वारा कलेक्टर (खनिज शाखा) को भेज दी गई, कलेक्टर खनिज शाखा को भेजी जाने वाली रेत खनिज की माँग में दर्शायी गयी मात्रा के समर्थन में पर्याप्त दस्तावेज/ साक्ष्य जिसे कार्यादेश, एस्टीमेंट आदि की प्रति) भी संलग्न कर भेजने के उपरांत कार्य का संचालित करवा दिया गया।
…. और बेंच दी बाजारों में रेत
मानपुर रेत खदान में सैकड़ा भर से अधिक छोटे और बड़े वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है, जिन स्थानों पर रेत पहुंचाई जानी थी, वहां तो, नाम मात्र को रेत पहुंची, बल्कि अनूपपुर मुख्यालय सहित आस-पास के क्षेत्र के अलावा शहडोल जिले के बुढ़ार, धनपुरी, खैरहा सहित अन्य स्थानों पर रेत को बेचने का काम किया गया, एनजीटी और सिया के रोक के बावजूद हाइवा सहित प्रतिबंधित वाहनों को नदी में उतारा गया, कुल मिलाकर कोर्ट के आदेश का भी माखौल उड़ाया गया। 8 से 10 हजार रूपये डग्गी में रेत की बिक्री का खुला-खेल खेला जा रहा है।
जिम्मेदारों बंद कर ली आंखे
सत्ता की धौंस कहें या फिर जुगाड के कारोबार में किसी को कुछ नही दिखा। मानपुर खदान की स्थिति देखने लायक बन चुकी है, शासन ने शासकीय कार्यो के लिए रेत निकासी की अनुमति तो दे दी, लेकिन इसका फायदा उन माफियाओं ने उठाया जो सत्ता के साये में जीवन यापन कर रहे है, नदी के स्वरूप से उन्हे कोई लेना देना नही है और नही सडकों पर चल रहे आम नागरिकों से कोई मतलब है, जब जिम्मेदार ही कारोबार में शामिल हो जाये तो चाहे गाडियों में नंबर हो या न हो, किसी को कुचल कर चला जाये, उन्हे कोई फर्क नही पडता, शायद इसीलिए दिन रात सडकों पर बेरोकटोक रेत की गाडियां दौड रही है।
अनजान परिवहन और पुलिस
जिला मुख्यालय में ही परिवहन के नियमों को तोडकर रेत माफियाओं ने जो कारोबार किया है, उसे न तो पुलिस जानती है और न ही परिवहन विभाग के अधिकारी जानते है और न ही जिले को संभालने वाले जिम्मेदार अधिकारी ही कुछ समझ पा रहे है, रेत की ज्यादातर गाडियों न तो नंबर लिखा हुआ है न ही बीमा है और न ही फिटनेश का कोई ध्यान है, लेकिन सडकों पर तेज रफ्तार दौड रही है, ओव्हर लोड वाहनों को कोई रोकने वाला नही है। मानपुर रेत खदान में माफिया अवैध वसूली का ताण्डव मचा रहे है और जिम्मेदार सो रहे है, शासकीय निर्माण कार्य की आड़ में लाखों का खेल जारी है, बाजार में रेत को ऊंचे दामों पर बेंच दिया गया, शासकीय निर्माण कार्य प्रभावित न हो इसके लिए विभिन्न खदानों से ठेकेदारों को रेत निकासी की अनुमति दी गई, लेकिन बाजार में पूरी रेत बेच दी गई।
मात्रा से अधिक हुआ खनन
मानपुर रेत खदान के खसरा क्रमांक 75, 77, 78 और 37, रकवा 5.360 से 11 लोगों को 15670 घन मीटर रेत के उत्खनन और परिवहन की अनुमति जारी की गई थी, जिनमें आशीष राय धनपुरी 370 घन मीटर, सतीष गुप्ता बुढ़ार 1450 घन मीटर, पी.के. त्रिपाठी अनूपपुर 4550 घन मीटर, कौशल पटेल रीवा 400 घन मीटर, निखिल आर्य कोतमा 1000 घन मीटर, अजीत कुमार पुष्पराजगढ़ 1000 घन मीटर, प्रदीप सिंह पोड़ी पुष्पराजगढ़ 1000 घन मीटर, अतिशेष पाण्डेय किरगी 1000, जेसा नायक सरई 500 घन मीटर, विजय कुमार शर्मा अनूपपुर 300 घन मीटर, मेसर्स ओम स्टेशनरी अनूपपुर 100 घन मीटर व सुरेन्द्र पाण्डेय राजेन्द्र ग्राम 4000 घन मीटर की अनुमति दी गई थी, लेकिन दायरे से बाहर खनन किया गया और तय मात्रा से अधिक रेत का उत्खनन कर बेच दिया गया, क्या अब जिम्मेदार इन ठेकेदारों से रेत नियम 2019 के तहत वसूली या कार्यवाही करेंगे या फिर अभयदान जारी रहेगा।
बिगाड़ दिया स्वरूप
मानपुर रेत खदान में रेत के खनन के लिए बैठे माफिया और ठेकेदारों ने नदी के प्राकृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, रोक के बावजूद रैंप बनाये गये, इतना ही नहीं नदी पाठ व मेढ़ के साथ ही किनारों को निस्तोनाबूत करने का काम किया। जानकारों का कहना है कि इस मामले में दोषी चाहे वह ठेकेदार हो या अधिकारी, उनके खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धाराओं के तहत मामला दर्ज होना चाहिए।
जारी है अवैध वसूली
मानपुर रेत खदान में ठेकेदारों को भले ही अनुमति ऑन द रिकार्ड दी गई हो, लेकिन माफियाओं को ऑफ द रिकार्ड वसूली का जिम्मा सौंप दिया गया, वाहनों से 3 हजार से 3500 रूपये वसूल किये जा रहे है, जिले के बाहर के माफियाओं ने खदान पर कब्जा जमा लिया और ठेकेदार की आईडी और पासवर्ड जो कि खनिज विभाग ने उन्हें सौंपे थे, वह उन तक पहुंच गये और कच्ची और पक्की का खेल जमकर चला। ईटीपी में 3500 और बिना ईटीपी के 1500 रूपये में रेत बेची गई।
इनका कहना है
यहां से पत्र भेज दिया गया है, भोपाल स्तर पर प्रक्रिया चल रही है, रजिस्ट्रेसन होने के बाद ठेकेदार कार्य करना प्रारंभ कर देगा, रही बात हितग्राहियों तक रेत पहुंचने की तो वह जिला व जनपद पंचायत को देखना चाहिए, भौतिक सत्यापन के लिए भी बोला गया है, सभी का रिकार्ड लिया जायेगा, गडबडी हुई तो नियमत: कार्यवाही भी होगी।
राहुल शांडिल्य, खनिज निरीक्षक अनूपपुर
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अगर पुलिस मिलीभगत कर किसी प्रकार से गलत कार्यो में संलिप्त है तो मैं बात करती हूं, अगर गाडियों में नंबर नही है और ओव्हरलोड चल रहे है तो यह देखना यातायात विभाग का काम नही है, आप परिवहन विभाग से बात कर लीजिए।
श्रीमती किरणलता केरकेट्टा, पुलिस अधीक्षक अनूपपुर