शिक्षक बना असभ्य संस्कृतियों का किताब
(अनिल तिवारी 8827479966)
धनपुरी। रविवार की रात 11.30 बजे नेहरू डिग्री कालेज बुढ़ार में पदस्थ खेल अधिकारी अजय त्रिपाठी को अचानक कालेज की व्यवस्थाएं याद आ गई और उन्होंने धनपुरी नगर पालिका में पदस्थ स्वच्छता निरीक्षक पुरूषोत्तम गुप्ता को कॉल किया, रविवार और कार्यालयीन समय खत्म होने के कारण गुप्ता परिवार सहित किसी वैवाहिक कार्यक्रम में थे, जिस कारण उन्होंने पहले तो त्रिपाठी के कॉल को महत्व नहीं दिया, लेकिन लगातार कई बार कॉल आने के कारण उन्होंने उनसे चर्चा की। त्रिपाठी ने चर्चा के दौरान कबूला की, तनाव के कारण उन्होंने लगातार फोन किये और मर्यादा से भी उतर गये।
शराब के नशे में लगातार फोन पर धमकियां देते रहे खेल अधिकारी!
रविवार की रात त्रिपाठी शायद शराब के नशे में थे नशे के कारण वक्त का ख्याल था और न ही खुद की पद की मर्यादा का ही ध्यान रहा, स्वच्छता निरीक्षक के सेल फोन पर त्रिपाठी की जो बातें रिकार्ड हुई हैं, उसमें त्रिपाठी अमर्यादित भाषा का उपयोग करते हुए शासकीय कर्मचारी को गालियां दे रहे है। बहरहाल सोमवार को मुख्य नगरपालिका अधिकारी के माध्यम से बुढ़ार थाने में शिकायत और अभद्रता के रिकार्डिंग की वाईस क्लिप प्राथमिकी दर्ज करने के आवेदन के साथ दे दी गई है।
खेल अधिकारी अजय त्रिपाठी ने इस संदर्भ में बताया कि महाविद्यालय में खेल से संदर्भित कार्यक्रमों का आयोजन होना है, जिसके लिए तैयारी का जिम्मा उन्हीं के ऊपर है, समय कम था, इस कारण चर्चा के दौरान वे उत्तेजित हो गये और मर्यादा खो बैठे। इधर पीडित पुरूषोत्तम गुप्ता की ओर से दी गई शिकायत में यह उल्लेख किया गया है कि अजय त्रिपाठी ने दर्जनों कॉल किये और लगातार अमर्यादित भाषा का उपयोग किया, इस दौरान फोन पर जान से मारने की धमकी दी और महाविद्यालयीन छात्रों से नगरपालिका कार्यालय का घेराव तक करने की बात कह दी।
महाविद्यालय में वह भी खेल अधिकारी के पद पर पदस्थ अजय त्रिपाठी की करतूत की तुलना शराबियों और नये रंगरूटों से की जाये तो कोई गलत नहीं है। पुरूषोत्तम गुप्ता ने बताया कि अजय त्रिपाठी जिस दौरान बात कर रहे थे, ऐसा लग रहा था वह नशे में थे, रिकार्डिंग हुई चर्चा को सुनकर भी उनकी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है मामला नेहरू डिग्री कालेज में पदस्थ खेल अधिकारी का है सवाल यह उठता है कि आधी रात उन्हें सफाई करवाने का कौन सा भूत चढ़ा था, जो लगातार दर्जनों कॉल करते रहे, सवाल यह भी है कि महाविद्यालयीन छात्रों को ऐसे शिक्षक कैसी शिक्षा देंगे।