शिवराज सरकार का हुआ विस्तार
28 मंत्रियों को दिलाई गई शपथ
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में कई तरह की अटकलों पर विराम लग गया। गुरुवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राज्यमंत्रियों समेत कुल 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई। इनमें कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए दर्जन भर निवर्तमान विधायकों को शपथ लेने का मौका मिला। कमल नाथ की सरकार में सिंधिया कोटे में तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसौदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर और इमरती देवी को मंत्री पद मिला था। ये सभी मंत्री पद कुर्बान कर शिवराज सरकार बनाने में कारगर साबित हुए। दो चरणों के विस्तार में इन सभी को उनका ओहदा वापस लौटा दिया गया है। इनके अलावा इस्तीफा देने वाले 16 विधायकों में कुल आठ मंत्री पद पाने में सफल हुए हैं। इनमें एंदल सिंह कंषाना और बिसाहू लाल सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का समर्थक माना जाता रहा है जबकि हरदीप सिंह डंग रहे। कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा कि धीरे-धीरे सभी को अहसास हो जाएगा कि भाजपा छल करने वाली पार्टी है और जो लोग छल-कपट की राजनीति के साझीदार हुए हैं, उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
कमल नाथ की कांग्रेस सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को वादे के अनुरूप भाजपा नेतृत्व ने अहमियत दी। यही वजह है कि शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थकों का दबदबा दिखाई दे रहा है। सिंधिया कोटे के अन्य मंत्रियों में राज्यवद्र्धन सिंह दत्त्तीगांव, राज्यमंत्री गिर्राज दंतोडिया, विजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़ और ओपीएस भदौरिया का नाम शामिल है। इस तरह देखा जाए तो पिछली सरकार में छह की बजाय अब 14 मंत्री सिंधिया कोटे से हैं।
पहले विस्तार में सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के बाद दूसरे में कुल 12 बागियों को शपथ दिलाई गई है। हालांकि अभी विभागों के बंटवारे में संतुलन बनना बाकी है। मंत्रिमंडल विस्तार ने यह संकेत दे दिया कि जिस तरह 1967 में डीपी मिश्र की कांग्रेसी सरकार गिराने के बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया का जनसंघ और बाद में भाजपा में दखल बढ़ा उसी तरह अब ज्योतिरादित्य का भी प्रभाव बढ़ेगा और उनकी मर्जी चलेगी।
सिंधिया के साथ कांग्रेस को टाटा-बाय कहने वाले अनुसूचित जाति के कई विधायक थे, लेकिन इनमें जाटव उपजाति के कमलेश जाटव, जसवंत जाटव और रणवीर जाटव का नाम प्रमुख है। ग्वालियर-चंबल संभाग में जाटव समाज का वर्चस्व भी है। यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि इन तीन जाटवों में किसी को मौका मिलेगा लेकिन यह कयास सच नहीं हुआ। सिंधिया के साथ ही भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि भाजपा और सिंधिया अब एक ही हैं। जो भी मंत्री बने हैं सब भाजपा के ही कार्यकर्ता हैं। अब कोई खांचे में नहीं बंटा है और सबका नेता कमल निशान है।
सिंधिया समर्थकों की दलील है कि उनके कोटे से तो अनुसूचित समाज से इमरती देवी और प्रभुराम चौधरी को मंत्री बनाया ही गया है। शिवराज मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या भले बढ़ गई है, लेकिन असली ताकत विभागों के बंटवारे में दिखेगी। कमल नाथ की सरकार में तुलसीराम सिलावट को स्वास्थ्य, गोविंद सिंह को परिवहन विभाग था, लेकिन उन्हें बाद में अपेक्षाकृत कम महत्व वाला विभाग मिला।