श्रीकृष्ण रुकिमणी विवाह का हुआ मंचन, श्रद्धालुओं ने बरसाएं फूल

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बिजुरी। कपिलधारा कालोनी में चल रहे श्रीमदभागवत कथा वाचक ब्यास श्री अनूप शास्त्री जी वृंदावन धाम के द्वारा अमृतमयी श्रीमदभागवत कथा का श्रवण रसपान करा रहे हैं रविवार को श्रीकृष्ण रूकिमणी विवाह का प्रसंग सुनाया गया कथा वाचक ने कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान कंस का बध महिंससंदीपनी के आश्रम बिधा ग्रहण करना काल्यवन का बध ऊधव गोपी संबाद ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु वनना द्वारिका की स्थापना और रुकिमणी विवाह के प्रसंग का संगीत मय वरणन किया गया इस दौरान भारी संख्या में भग्त गण श्रोता शामिल हुए श्रीकृष्ण रुकिमणी का वेश धारण किए कलाकारों पर श्रदालुओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया कथा के दौरान व्यासपीठ जी ने कहा कि रुकिमणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का औतार थीं रुकिमणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप सौदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनीं तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निषचय किया रुकिमणी का बड़ा भाई रूक्मी श्रीकृष्ण से सत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेव राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से करना चाहता था रुकिमणी को जब इस बात का पता चला तब उन्होंने एक ब्राह्मण द्वारा एक संदेश श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भेजवाया तब श्रीकृष्ण बिर्दभ देश की नगरी कुडींनपुर पहुंचे और वहां वरात लेकर आये शिशुपाल वा उनके मित्र राजाओं शाल्व जरासंध बिदु रथ और पुंडरिक को युद्ध में परास्त करके रुकिमणी को उनकी इच्छा से हरण कर लाए इस अमृत मयी कथा को सुनने स्थानीय लोगों की आपार भीड़ उमड़ रही है और इस अवसर पर कपिलधारा निवासियों में राजकुमार पाण्डेय, रबी ओझा, एनपी मिश्रा, रावेन्दर यादव, जनपद शिक्षा केन्द्र कोतमा रामकुमार पाण्डेय, पार्षद पिंटू रजक, पिंटू दिबेदी, विजय शंकर तिवारी का सयोग सराहनीय कार्य कर रहे है।

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