सामान्य वर्ग के पुरुष और महिला को मिली आयु सीमा में छूट
भोपाल। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा आयु सीमा में सिर्फ प्रदेश के लोगों को छूट देने के प्रावधान को संविधान के खिलाफ माना है। प्रदेश में सरकारी नौकरी में अधिकतम आयु सीमा और राज्य के मूल निवासियों को दी गई छूट में सरकार संशोधन करेगी। इसके आधार पर राज्य लोकसेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक की परीक्षा भी हो चुकी है। आगे की परीक्षाओं में क्या पैमाना रहेगा, यह प्रदेश की कमलनाथ सरकार को तय करना है।विधि एवं विधायी विभाग ने भी नियम में बदलाव करने की राय दी है।
युवाओं किया था आकर्षित
सामान्य प्रशासन विभाग ने एक बार फिर संशोधन पर निर्णय की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दी है। शिवराज सरकार ने चुनाव से पहले 12 मई 2017 को युवाओं को आकर्षित करने के लिए सरकारी नौकरी में अधिकतम आयु सीमा 21 से 28 साल तय कर दी थी। इसके पीछे मकसद यह था कि दूसरे राज्यों के व्यक्ति आकर यहां के युवाओं के अवसर न छीन पाएं। सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के वक्त इस प्रावधान का विरोध हुआ और उत्तरप्रदेश के मुकेश कुमार कमर हाईकोर्ट, जबलपुर चले गए।
यह रखे हैं प्रावधान
राज्य लोकसेवा आयोग के माध्यम से भरे जाने वाले सीधी भर्ती के पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा 28 साल रखी गई। इसमें प्रदेश के सामान्य वर्ग के पुरुषों को 12 साल की छूट दी गई यानी वे 40 साल तक परीक्षा में हिस्सा ले सकते हैं। इसी तरह सामान्य महिला को 17 साल की छूट यानी 45 साल तक भर्ती का मौका दिया। इसी तरह पुरुष व महिला शासकीय कर्मचारी, निगम, मंडल, स्वशासी संस्था के कर्मचारी और नगर सैनिक को भी 17 साल की छूट दी गई। अजा व अजजा और निशक्तजन वर्ग के आवेदकों को भी 17 साल यानी 45 वर्ष की आयु तक भर्ती की पात्रता मिली।
सचिवालय से फाइल बैरंग लौटी
अदालत ने सरकार की इस व्यवस्था को संविधान की भावना के खिलाफ पाया। इसकी वजह से सहायक प्राध्यापक की भर्ती में सभी को मौका मिल गया। तब से ही नियमों में संशोधन की फाइल चल रही है, लेकिन निर्णय नहीं हो पा रहा है। चार माह बाद सामान्य प्रशासन विभाग में आठ अक्टूबर 2018 को मुख्यमंत्री सचिवालय से फाइल बैरंग लौट आई। अब एक बार फिर सामान्य प्रशासन विभाग ने आयु सीमा के बारे में निर्णय लेने के लिए फाइल मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेजी है। बताया जा रहा है कि आयु सीमा में छूट के प्रावधान में संशोधन के अलावा कोई विकल्प नहीं है।