रेत के अवैध कारोबार के संचालन में था गठजोड़
दफ्तर, घर के अलावा फोन पर भी होती थी डील
नामी गैंगस्टर पवन पाठक और कलेक्टर उमरिया के बीच रिश्तों का खुलासा

(Amit Dubey-8818814739)
भोपाल । बीते वर्ष रेत के अवैध कारोबार ने प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया था, प्रशासनिक लापरवाही के चलते हुई खैरवार गैंगवार में वर्चस्व की लड़ाई में सत्ता पक्ष के ऊपर भी सवाल खड़े हुए थे, वहीं वारदात को अंजाम देने वाले भाजपा के पदाधिकारी और बड़े नेताओं के नजदीकी रहें है। 12 दिसम्बर को चंदिया के खैरवार में घटी घटना में सतेन्द्र उपाध्याय उर्फ लल्लू की मौत हो गई थी। इससे पहले भी हवाई पट्टी के पास गोलीकाण्ड कुछ दिन पूर्व हो चुका था, भाजपा शासन काल के दौरान जिले में रेवड़ी की तरह बांटे गये नियम विरूद्ध रेत के भण्डारण कांग्रेस सरकार के लिए नासूर बनते जा रहे थे। इन भण्डारणों पर माफियाओं ने कब्जा कर लिया था, वहीं पंचायत की खदानों पर भी माफियाओं ने अपनी हुकूमत जमा रखी थी, इसी का नतीजा था कि लगातार आपराधिक घटनाएं सामने आ रही थी। खैरवार गैंगवार के बाद अवैध रेत के कारोबार को बंद कर दिया गया, हालाकि प्रशासन में बैठे खनिज विभाग के अधिकारी और खुद जिले के मुखिया पर जो आरोप हैं कि उन्हीं के सह पर गैंगस्टर और माफिया इस पूरे कारोबार को अंजाम दे रहे थे, जिसकी उपज खैरवार काण्ड है।
पुलिस को हतोत्साहित करने के भी किये उपाय
जिले के चंदिया तहसील की पंचायत की खैरवार रेत खदान में गैंगस्टर पवन पाठक पिता बद्री पाठक उम्र 38 वर्ष निवासी साउथ करौददया थाना कोतवाली, जिला सीधी का कब्जा था, जिसके खिलाफ उत्तरप्रदेश के झांसी, ललितपुर, बीना सहित अन्य जिलो में हत्या, लूट, फिरौती सहित अन्य जघन्य अपराध दर्ज है, इसके अलावा मध्यप्रदेश के शहडोल, अनूपपुर, उमरिया सहित अन्य जिलो में भी यही हाल है। 13 दिसम्बर को पवन पाठक, भाईजी सहित अन्य लोगों ने गैंगवार की थी, जिसमें करकेली निवासी सतेन्द्र उपाध्याय लल्लू की मौत हो गई थी, आलोक सिंह, वीरेन्द्र सिंह गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गये थे, वारदात के बाद से ही पवन पाठक और भाईजी फरार है। न्यायालय के आदेश के बाद भाईजी की 2 करोड़ रूपये की चल संपत्ति उमरिया पुलिस के द्वारा राजसात की गई। अगर पुलिस के अधिकारियों के द्वारा अवैध उत्खनन के खिलाफ कार्यवाही की जाती थी तो, हतोत्साहित करने के लिए तमाम तरीके अपनाये जाते थे, जिसका उदाहरण कलेक्टर उमरिया के पत्र क्रमांक 5480/आरडीएम/2019 उमरिया दिनांक 19.12.19, पत्र क्रमांक 5481/आरडीएम/2019 उमरिया दिनांक 19.12.19, पत्र क्रमांक 5552/आरडीएम/2019 उमरिया दिनांक 26.12.19 एवं पत्र क्रमांक 5553/आरडीएम/2019 उमरिया दिनांक 26.12.19 से स्पष्ट होता है।
दफ्तर से लेकर घर तक थी पैठ
खैरवार गैंगवार में भाईजी और नामी गैंगस्टर पवन पाठक के साथ शामिल शांतिकांत शुक्ला उर्फ ठाकरे 21 फरवरी को पुलिस की गिरफ्त में आया, जिसके बाद अंदर खाने से जो खबरे निकलकर सामने आईं, उसमें उसने खुलासा किया कि पवन पाठक, कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी के दफ्तर भी जाता था और घर भी जाया करता था, एक बार वह उसे भी घर ले गया था, पर उसे बाहर गाड़ी में छोड़ दिया था और आकर कहा था कि डील फायनल हो गई है, अक्सर फोन में भी दोनों की बातें हुआ करती थी, खनिज अधिकारी मान सिंह बघेल से पवन पाठक के अच्छे संबंध थे।
रायबरेली भी गया था पाठक
जो जानकारियां सामने आई हैं, उसमें यह भी बातें हैं कि नवम्बर 2019 में पवन पाठक उत्तरप्रदेश के रायबरेली गया था, रायबरेली कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी का गृह ग्राम है, जहां पर पवन पाठक और ठाकरे को कलेक्टर के साले निलेश सोमवंशी ने होटल में रूकवाया था। शायद रायबरेली जाना रेत के कारोबार से जुड़ा हुआ हो सकता है, खैरवार गैंगवार के बाद भाजपा नेताओं ने एक पत्रकारवार्ता में नीलेश सोमवंशी, सुरेन्द्र सिंह चौहान सहित अन्य लोगों पर रेत के अवैध कारोबार कलेक्टर के संरक्षण में करने के आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग भी की थी। इससे पहले कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने प्रभारी मंत्री के सामने कलेक्टर की शिकायतों में इन लोगों के नामों का जिक्र भी किया था, जिसके बाद काफी बवाल हुआ था, पीसीसी ने नेताओं से जवाब तलब तक किया था।
लाखों में निपटाया करोड़ों का जुर्माना
इंदवार थाना क्षेत्र के अमरपुर चौकी में 11 व 12 दिसम्बर 2019 की दरमियानी रात एसडीएम मानपुर, खनिज, पुलिस के द्वारा संयुक्त कार्यवाही अन्नू सिंह के रेत भण्डारण और अवैध रूप से भदार नदी, सिद्धघाट ग्राम मुरगुड़ी में की गई थी, जिसमें 27 वाहन सहित बड़ी मशीने भी पकड़ी गई थी, नियमों के तहत इन पर करोड़ों रूपये का जुर्माने के साथ ही राजसात की कार्यवाही होनी थी, लेकिन 10 से 15 हजार का जुर्माना वसूलकर वाहनों को छोड़ दिया गया और माफियाओं से करोड़ों रूपये की रकम लेकर पूरे मामले को रफा-दफा खनिज विभाग के माध्यम से प्रशासन के द्वारा निपटा दिया गया, जिसमें सूत्रों के मुताबिक करोड़ों रूपये ऊपर से लिये गये, सीधे तौर पर यह पैसा शासन के खजाने में जाने के बजाये, अपनी झोली भरने का काम किया गया।

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