हाईकोर्ट ने शहडोल प्रशासन को कहा, 60 दिन में कर दे भुगतान

हाईकोर्ट ने शहडोल प्रशासन को कहा, 60 दिन में कर दे भुगतान
(अनिल तिवारी)
शहडोल। आज से लगभग 2 वर्ष पहले वर्ष 2017 में जिला पंचायत द्वारा आलोक प्रिंटिंग प्रेस को ठेके पर प्रिंटिंग और अन्य स्टेशनरी सप्लाई का कार्य दिया गया था कथित फर्म द्वारा उक्त कार्य नियत समय पर पूरा कर लिया गया और संबंधित कार्यालय में इसके भुगतान के लिए बिल भी लगा दिए गए लेकिन विभाग में बैठे अधिकारियों की लापरवाही के कारण इन 2 वर्षों के दौरान दर्जनों चक्कर लगाने और दो बार जनसुनवाई में आवेदन देने के बाद भी जब उठता नहीं हुआ तो हेलो प्रिंटिंग प्रेस के संचालक ने माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली बीते दिनों माननीय उच्च न्यायालय ने इस संबंध में याचिकाकर्ता की सुनवाई के बाद शहडोल प्रशासन को 60 दिनों के भीतर भुगतान करने के निर्देश जारी किए हैं।
यह लिखा हाईकोर्ट ने अपने आदेश में
जबलपुर, दिनांक: ०-02-०२-२०२० श्री योगेश सिंह बघेल, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता। श्री ईशान मेहता, सरकार। उत्तरदाताओं के लिए वकील। सुना। याचिकाकर्ता ने भुगतान न होने से क्षुब्ध होकर यह याचिका दायर की है उसके आदेश के अनुसार उसे दिए गए कार्य आदेश के अनुसार बकाया राशि 2017/05/06। याचिकाकर्ता के लिए सीखा परामर्श ने ध्यान आकर्षित किया है यह न्यायालय अनुलग्नक पी / 7, कलेक्टर शहडोल द्वारा लिखित एक पत्र है Addl को। मुख्य सचिव जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि गैर के कारण- इस संबंध में बजट की उपलब्धता, भुगतान नहीं किया गया है। हालांकि, किए गए काम के संबंध में कोई विवाद नहीं है और बिल में उल्लिखित राशि। यह प्रार्थना की जाती है कि इसके लिए एक प्रतिनिधित्व भुगतान करना कलेक्टर, शहडोल के समक्ष लंबित है जो हो सकता है एक प्रारंभिक तिथि पर निर्णय लेने के लिए निर्देशित किया जाए। सरकार ने सीखा। वकील ने याचिका का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि याचिकाकर्ता को वसूली के लिए मुकदमा दायर करना चाहिए यदि राशि का भुगतान नहीं किया गया है। अनुच्छेद 226 के तहत याचिका भारत का संविधान कायम नहीं है। हालांकि, इस तथ्य को देखते हुए कि राशि बिल में उल्लिखित है दिनांक 20.06.2017 कलेक्टर के पत्र से परिलक्षित नहीं है (अनुबंध पी / 7), इस याचिका को एक दिशा के साथ निपटाया जाता है उत्तरदाताओं को याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व का फैसला करने के लिए प्रमाणित की उत्पादन / प्राप्ति की तारीख से साठ दिनों की अवधि आज पारित आदेश की प्रति।
हालाँकि, यह स्पष्ट है कि इस न्यायालय ने इस पर विचार नहीं किया है मामले के गुण, और के प्रश्न पर कोई आदेश पारित नहीं किया है याचिका की स्थिरता और इसे खुला रखा गया है। पूर्वोक्त निर्देशों के साथ, याचिका का निपटारा किया जाता है। सी। प्रति
193440 थे बकाया
शहडोल के पांडव नगर स्थित आलोक प्रिंटिंग प्रेस के द्वारा जिला पंचायत के आदेश क्रमांक पचासी दिनांक 5 जून 2017 पर पर्यावरण रथ हेतु कार्य किए गए थे इसमें साउंड सिस्टम आमंत्रण कार्ड पंपलेट शपथ पत्र मुद्रण बैनर फ्लेक्स इत्यादि कुल मिलाकर ₹193440 का कार्यक्रम द्वारा किया गया था,
जिसके बाद उसके द्वारा संबंधित कार्यालय में भुगतान के लिए आवेदन विभिन्न लगा दिए गए थे लेकिन भुगतान न होने के कारण आवेदक ने कलेक्टर की जनसुनवाई में 17 जुलाई 2018 को और उसके बाद 21 अगस्त 2018 को प्रार्थना पत्र दिया लेकिन इस संबंध में भी उसे राहत नहीं मिली हालांकि तत्कालीन कलेक्टर ने जनसुनवाई में मिली शिकायत के बाद संबंधित विभाग को भुगतान करने संबंधी निर्देश दिए थे लेकिन भुगतान न होने के कारण तथा आवेदक को माननीय उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी हेलो प्रिंटिंग प्रेस के संचालक द्वारा 28 जनवरी 2020 को भी एक पत्र मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत शहडोल को दिया गया था जिसमें पूरे मामले का हवाला देते हुए आदि दोबारा प्रस्तुत किए गए थे इस आवेदन में प्रार्थी ने यह भी उल्लेख किया गया था कि यदि संबंधित भुगतान जल्दी नहीं होते हैं तो प्रार्थी को आत्महत्या जैसी कोशिशें करनी पड़ सकती हैं क्योंकि उसने अन्य लोगों से आर्थिक मदद लेकर जिला पंचायत द्वारा मिले के आदेश के अनुसार कार्य किया था और भुगतान न होने के कारण उसे मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही है