100 प्रतिशत फेल: गढ़पाले का-स्वच्छ सर्वेक्षण

0
स्वच्छता के नारे के नीचे ही, कचरे का लगा है अंबार 
संकट में उमरार: इधर सो रहे जिम्मेदार 
(शुभम तिवारी)
उमरिया। स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान बीते लगभग 5 वर्षाे से लगातार जिला मुख्यालय के निकाय द्वारा चलाया जा रहा है, नारों और पोस्टरों से पूरा शहर पटा पड़ा है, लेकिन नालियों में पटा कचरा नहीं निकल पा रहा है। इस अभियान के तहत प्रदेश में जब निकायों को रैकिंग आंवटित होती है तो, उमरिया नगर पालिका का नाम दूर-दूर तक नहीं रहता। अचरज तो इस बात का है कि बीते कई वर्षाे से निकाय की जिम्मेदारी मोटा वेतन लेने वाले नौकरशाहों के जिम्मे हैं, जनप्रतिनिधि पूरी तरह किनारे हैं, पदेन कलेक्टर खुद यहां प्रशासक रहते हैं, बावजूद इसके जिला मुख्यालय की सफाई व्यवस्था सिर्फ नारों तक सीमित है। सवाल तो यह भी उठता है कि शिकायत करें तो, किसके खिलाफ और जांच और कार्यवाही कौन करेगा, जब कलेक्टर ही यहां प्रशासक हैं, शायद इसी का फायदा उठाकर सीएमओ शशिकपूर गढ़पाले सिर्फ कागजी कोरम तक ही सीमित रहे हैं।
संकट में उमरार 
नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत खलेसर घाट पर उमरार नदी पूरी तरह कचरे से पटी है, जागरूकता के आभाव में नगरवासी यहां हर वो काम करते हैं, जिन्हें न करने के नारे और सूचना निकाय द्वारा यहां लगाई गई है, निकाय के जिम्मेदारों ने भी कभी मौके पर न तो, ऐसा करने से रोका और न ही कभी जुर्माना आदि लगाया, खलेसर घाट पर कपड़े, बर्तन तथा वाहन लाकर धोना, अब नित्य में शामिल हो चुका है।
नालियों का संगम उमरार 
उमरार नदी के कायाकल्प और जीर्णाेद्वार के लिए निकाय ने समय-समय पर लाखों रूपये खर्च किये, मजे की बात तो यह है कि एक तरफ कायाकल्प के लिए नदी की सफाई और घाटों और क्षेत्र के सौदर्यीकरण पर भी पानी की तरह पैसा खर्च किया गया, साथ ही कई वार्डाे से गंदगी लेकर आने वाली नालियों का निर्माण भी नपा ने करवाने के बाद उन्हें उमरार से जोड़ दिया, जिससे रही-सही कसर भी पूरी हो गई।
नारो के सामने ही टूटती उम्मीद 
स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान के तहत हर वर्ष यहां नारों पर लाखों रूपये खर्च किये गये और उन्हीं नारों के नीचे ही स्थानीयजन उस उम्मीद को भी हर दिन तोड़ते हैं, जिनकी कल्पना कर स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान शुरू किया गया था, नदी के अंदर कचरा न डालने, साफ-सफाई रखने जैसे दर्जनों नारे लिखे तो गये, लेकिन पसरी गंदगी और उससे उठती दुर्गन्ध शहर को सुंदर तो नहीं बना पाई, लेकिन जिला मुख्यालय की सुन्दरता पर ग्रहण जरूर लगा रही है।
अब आई वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की सुध 
मुख्य नगर पालिका अधिकारी शशिकपूर गढ़पाले से जब इस संदर्भ में चर्चा की गई तो, उन्होंने कहा कि यह सच है कि मुख्यालय की लगभग नालिया कचरा लेकर उमरार नदी में समाहित होती हैं, हमने वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है, नालियों से आने वाला पानी इस प्लांट में पहले शुद्ध किया जायेगा, फिर नदी तक पहुंचेगा, सवाल यह उठता है कि स्वयं गढ़पाले लगभग 4 वर्षाे से उमरिया की इसी निकाय में पदस्थ हैं और नगरीय निकाय भोपाल में यदि उनके जुगाड़ वाले बाबू नहीं हटे तो, उच्च न्यायालय के आदेश को आधार बनाकर अभी यहीं रहेंगे, बावजूद इसके उन्हें उमरार की सुध पहले क्यों नहीं आई। नालियों के माध्यम से गंदा पानी तो, वर्षाे से उमरार में जा रहा है, पहले इस संदर्भ में जिम्मेदारों ने पहल क्यों नहीं की।
इनका कहना है…
नगर पालिका द्वारा किये जा रहे पर्यावरण क्षति का प्रस्ताव बनाकर बोर्ड मुख्यालय को भेजा जा चुका है।
संजीव मेहरा
क्षेत्रीय अधिकारी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed